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मोटापा क्या होता है और आयुर्वेद इस बारे में क्या कहता है? (What is Obesity?)
अगर आपका वज़न लगातार बढ़ रहा है, पेट बाहर निकल रहा है, और हल्की-फुल्की शारीरिक मेहनत में भी थकावट महसूस होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि आप मोटापे (Obesity) से ग्रस्त हैं। मोटापा केवल शरीर का भारी होना नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो आपके पूरे शरीर पर असर डालती है।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार, जब आप रोज़ जितनी कैलोरी खर्च करते हैं उससे ज़्यादा खाते हैं, तो शरीर में वह अतिरिक्त ऊर्जा वसा (Fat) के रूप में जमा होने लगती है। धीरे-धीरे यह वसा शरीर में बढ़ती जाती है और मोटापे का कारण बनती है। इसके पीछे खाने की गलत आदतें, ज़्यादा देर बैठना, तनाव, नींद की कमी, और कई बार हार्मोन या दवाइयों का असर भी हो सकता है।
अब जानते हैं कि आयुर्वेद मोटापे को कैसे समझता है। आयुर्वेद में मोटापे को स्थौल्य कहा गया है। यह मुख्य रूप से कफ दोष और वात दोष की गड़बड़ी से होता है। जब शरीर में कफ बढ़ता है तो वह भारीपन, आलस्य और फैट बढ़ने का कारण बनता है। साथ ही वात दोष की गड़बड़ी के कारण शरीर में पोषण सही तरीके से नहीं बंटता और चर्बी एक जगह जमा होने लगती है।
आयुर्वेद के अनुसार, मोटापा सिर्फ बाहरी समस्या नहीं है, यह आपके शरीर की आंतरिक गड़बड़ी का संकेत है। जब आपकी अग्नि कमज़ोर हो जाती है और शरीर में आम (टॉक्सिन्स) बनने लगते हैं, तो चर्बी तेज़ी से जमा होने लगती है। यही कारण है कि आयुर्वेद में मोटापे का इलाज सिर्फ वज़न घटाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि जड़ से कारणों को पहचानकर शरीर को संतुलित करने पर ज़ोर दिया जाता है।
अगर आप वज़न घटाने के लिए बार-बार कोशिशें कर चुके हैं लेकिन फर्क नहीं पड़ रहा, तो आयुर्वेद आपके लिए एक नया रास्ता खोल सकता है, बिना साइड इफेक्ट्स और दवाओं के भरोसे।
मोटापे के प्रकार (Types of Obesity)
हर किसी का मोटापा एक जैसा नहीं होता। अगर आप वज़न बढ़ने की समस्या से जूझ रहे हैं, तो पहले ये जानना ज़रूरी है कि आपको किस प्रकार का मोटापा है। इससे आपको सही इलाज और बेहतर नतीजे मिल सकते हैं।
1. शारीरिक बनावट के अनुसार मोटापा
- एंड्रॉइड मोटापा (पेट वाला मोटापा):
अगर आपकी चर्बी पेट, कमर और सीने के आसपास ज़्यादा है, तो इसे पेट वाला मोटापा कहा जाता है। यह सबसे सामान्य और खतरनाक प्रकार का मोटापा होता है, क्योंकि इससे दिल की बीमारियाँ, डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है। - गाइनॉयड मोटापा (हिप्स और जांघों वाला मोटापा):
अगर आपकी चर्बी जांघों, कूल्हों और निचले हिस्सों में जमा होती है, तो इसे गाइनोंइड मोटापा कहते हैं। यह आमतौर पर महिलाओं में देखा जाता है और थोड़ा कम खतरनाक होता है, लेकिन फिर भी इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
2. BMI के अनुसार मोटापा
आपका BMI (Body Mass Index) यह बताता है कि आपका वज़न आपकी लंबाई के अनुसार कितना सही है।
- क्लास 1 मोटापा – BMI 30 से 34.9
- क्लास 2 मोटापा – BMI 35 से 39.9
- क्लास 3 मोटापा – BMI 40 या उससे ज़्यादा (गंभीर मोटापा)
3. कारणों के आधार पर मोटापा
- प्राइमरी मोटापा:
यह सबसे आम प्रकार है, जो गलत खानपान, आलस और तनाव से होता है। - सेकेंडरी मोटापा:
यह किसी बीमारी (जैसे थायरॉइड, PCOS) या दवा के असर से होता है।
Symptoms
ज़्यादा चर्बी
अगर आपके कपड़े पहले से ज़्यादा टाइट लगने लगे हैं और पेट तेज़ी से बाहर निकल रहा है, तो यह पहला संकेत हो सकता है।
साँस फूलना
सीढ़ियाँ चढ़ते या थोड़ी देर चलने पर ही आपको थकावट और साँस लेने में परेशानी होने लगे, तो यह मोटापे का असर हो सकता है।
ज़्यादा पसीना आना
बिना ज़्यादा मेहनत किए भी अगर आपको बहुत पसीना आता है, तो यह शरीर में अतिरिक्त चर्बी के कारण हो सकता है।
नींद में खर्राटे लेना
मोटापे के कारण गले में चर्बी जमा हो जाती है, जिससे साँस लेने में दिक्कत आती है और खर्राटे या नींद की समस्या होती है।
घुटनों और जोड़ों में दर्द
वज़न बढ़ने से शरीर पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव पड़ता है, जिससे हड्डियों और जोड़ों में दर्द बना रहता है।
त्वचा में रैशेज़
शरीर के मोड़ों (जैसे गर्दन, पेट के नीचे, जांघों के बीच) में पसीना जमा होने से वहाँ रैश, फंगल इन्फेक्शन या जलन हो सकती है।
मोटापा बढ़ने के आम कारण (Common Causes of Obesity)
अगर आपका वज़न बिना किसी खास वजह के लगातार बढ़ता जा रहा है, तो हो सकता है कि आप रोज़मर्रा की कुछ ऐसी आदतों का पालन कर रहे हैं जो अनजाने में मोटापे का कारण बन रही हों। कई बार हम सोचते हैं कि हम ज़्यादा नहीं खाते, लेकिन फिर भी वज़न काबू में नहीं आता। ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं।
मोटापा बढ़ने के आम कारण
- गलत खानपान
जब आप दिन भर बाहर का तला-भुना, जंक फूड, मिठाइयाँ और शक्कर वाले ड्रिंक्स लेते हैं, तो शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी जमा हो जाती है। ये कैलोरी अगर खर्च नहीं होती, तो चर्बी के रूप में जमा होने लगती है। - शारीरिक गतिविधि की कमी
अगर आप दिन भर कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं और नियमित व्यायाम नहीं करते, तो शरीर में जमा चर्बी कम नहीं हो पाती। कम चलना-फिरना मोटापे की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। - नींद की कमी
अगर आप रोज़ सात-आठ घंटे की नींद नहीं लेते, तो शरीर के हार्मोन बिगड़ जाते हैं, जिससे भूख बढ़ती है और वज़न तेज़ी से बढ़ता है। - तनाव और चिंता
जब आप तनाव में होते हैं, तो शरीर कॉर्टिसोल नाम का हार्मोन बनाता है जो भूख बढ़ाता है और आपको ज़्यादा खाने की ओर ले जाता है। इसी वजह से कई लोग स्ट्रेस ईटिंग का शिकार हो जाते हैं। - दवाइयों का असर
कुछ दवाएँ जैसे एंटी-डिप्रेशन, डायबिटीज़ की दवाएँ या स्टेरॉइड्स शरीर का वज़न बढ़ा सकती हैं। अगर आप लंबे समय से ऐसी दवाएँ ले रहे हैं, तो वज़न बढ़ना संभव है। - हार्मोनल गड़बड़ी
थायरॉइड, PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), कुशिंग सिंड्रोम जैसी बीमारियाँ आपके हार्मोन को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे शरीर में चर्बी बढ़ने लगती है। - अनुवांशिक कारण (Genetics)
अगर आपके परिवार में माता-पिता या भाई-बहन मोटे हैं, तो आपको भी मोटापा होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, सही जीवनशैली अपनाकर इसे रोका जा सकता है। - अत्यधिक स्क्रीन टाइम
टीवी, मोबाइल या लैपटॉप पर घंटों बिताना न सिर्फ शरीर को निष्क्रिय बनाता है, बल्कि स्नैक्स खाने की आदत भी डालता है। इससे बिना सोचे-समझे ज़्यादा कैलोरी अंदर चली जाती है।
मोटापे से होने वाली जटिलताएँ (Complications of Obesity)
मोटापा सिर्फ शरीर का आकार बढ़ाता है ऐसा नहीं है, यह धीरे-धीरे कई गंभीर बीमारियों की जड़ भी बन जाता है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो इसके असर पूरे शरीर पर दिखने लगते हैं:
- दिल की बीमारियाँ – हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल
- टाइप 2 डायबिटीज़ – इंसुलिन रेसिस्टेंस के कारण ब्लड शुगर बढ़ जाता है
- फैटी लीवर – लीवर में चर्बी जमा होने लगती है
- गठिया और जोड़ों का दर्द – वज़न का दबाव घुटनों और पीठ पर पड़ता है
- नींद में साँस रुकना (Sleep Apnea) – नींद के दौरान साँस बार-बार रुकती है
- महिलाओं में प्रजनन संबंधित समस्याएँ – अनियमित पीरियड्स, गर्भधारण में परेशानी
- कैंसर का खतरा – विशेषकर ब्रेस्ट, ओवरी, और कोलन कैंसर
मोटापे के लक्षण और संकेत (Signs and Symptoms of Obesity)
कई बार वज़न धीरे-धीरे इतना बढ़ जाता है कि हमें खुद समझ नहीं आता कि समस्या कब शुरू हुई। अगर आप खुद में कुछ बदलाव महसूस कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि यह मोटापे का संकेत हो सकता है या नहीं, तो नीचे दिए गए लक्षणों को ध्यान से पढ़िए। ये संकेत बताते हैं कि आपके शरीर में वज़न बढ़ रहा है और अब आपको इसे संभालने की ज़रूरत है।
मोटापे के आम लक्षण और संकेत:
- पेट और कमर के आसपास ज़्यादा चर्बी जमा होना
अगर आपके कपड़े पहले से ज़्यादा टाइट लगने लगे हैं और पेट तेज़ी से बाहर निकल रहा है, तो यह पहला संकेत हो सकता है। - हल्की मेहनत में भी साँस फूलना
सीढ़ियाँ चढ़ते या थोड़ी देर चलने पर ही आपको थकावट और साँस लेने में परेशानी होने लगे, तो यह मोटापे का असर हो सकता है। - ज़्यादा पसीना आना
बिना ज़्यादा मेहनत किए भी अगर आपको बहुत पसीना आता है, तो यह शरीर में अतिरिक्त चर्बी के कारण हो सकता है। - नींद में खर्राटे लेना या बार-बार नींद टूटना
मोटापे के कारण गले में चर्बी जमा हो जाती है, जिससे साँस लेने में दिक्कत आती है और खर्राटे या नींद की समस्या होती है। - पीठ, घुटनों और जोड़ों में दर्द रहना
वज़न बढ़ने से शरीर पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव पड़ता है, जिससे हड्डियों और जोड़ों में दर्द बना रहता है। - त्वचा में रैशेज़ या इंफेक्शन होना
शरीर के मोड़ों (जैसे गर्दन, पेट के नीचे, जांघों के बीच) में पसीना जमा होने से वहाँ रैश, फंगल इन्फेक्शन या जलन हो सकती है। - हर समय थकावट महसूस होना
चाहे आप ज़्यादा काम करें या नहीं, अगर दिनभर थकान महसूस हो रही है तो यह संकेत है कि वज़न का असर आपकी एनर्जी पर पड़ रहा है। - काम में मन न लगना या आत्मविश्वास की कमी
मोटापा कई बार मानसिक रूप से भी असर डालता है। आपको खुद में हीन भावना हो सकती है या दूसरों के बीच जाने से हिचक हो सकती है।
क्या आपको नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई है? (मोटापा)
सभी विकल्प चुनें जो आपके ऊपर लागू होते हैं।
☐ पेट और कमर के आसपास चर्बी बढ़ना
☐ थोड़ी मेहनत में ही साँस फूलना
☐ बिना मेहनत के भी ज़्यादा पसीना आना
☐ नींद में खर्राटे आना या बार-बार नींद टूटना
☐ पीठ, घुटनों या जोड़ों में लगातार दर्द रहना
☐ त्वचा में रैशेज़ या फंगल इन्फेक्शन होना
☐ हर समय थकावट और कमज़ोरी महसूस होना
☐ आत्मविश्वास में कमी या काम में मन न लगना
CTA → आज ही जीवा के सर्टिफाइड विशेषज्ञ से परामर्श लें
=से अतिरिक्त चर्बी को धीरे-धीरे बाहर निकालते हैं।
यहाँ हम आपके लिए लाए हैं मोटापा घटाने वाली असरदार आयुर्वेदिक दवाएँ और हर्ब्स, जो आपके शरीर को अंदर से ठीक कर वज़न नियंत्रित करने में मदद करती हैं:
- काली मिर्च (Black Pepper)
यह वसा को तेज़ी से जलाने में मदद करती है और शरीर का मेटाबॉलिज़्म बढ़ाती है। - त्रिफला (Triphala)
यह तीन फलों से बना एक शक्तिशाली मिश्रण है जो पाचन सुधारता है और शरीर की चर्बी को कम करता है। - हल्दी (Turmeric)
सूजन कम करती है, पाचन तंत्र को ठीक करती है और फैट को जमा नहीं होने देती। - मेथी दाना (Fenugreek)
भूख को नियंत्रित करता है और शरीर की ऊर्जा को संतुलित रखता है। - रोज़मेरी (Rosemary)
मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाती है और भूख पर काबू पाने में मदद करती है। - लेमनग्रास (Lemongrass)
यह शरीर से अतिरिक्त पानी और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और वज़न घटाने में सहायक होता है। - गुग्गुल (Guggul)
शरीर में जमा फैट को तोड़ता है और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रण में रखता है। - विजयसार (Vijaysar)
पाचन को सुधारता है और पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है। - पुनर्नवा (Punarnava)
यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है जो शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित रखता है और सूजन कम करता है। - दालचीनी (Cinnamon)
मेटाबॉलिज़्म को तेज़ करता है और पेट की चर्बी को कम करने में सहायक होता है। - अदरक (Ginger)
पाचन में सुधार करता है, भूख को संतुलित करता है और शरीर की कैलोरी बर्न करने की क्षमता बढ़ाता है। - चिया सीड्स (Chia Seeds)
पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं और मेटाबॉलिज़्म को तेज़ करते हैं। - अश्वगंधा (Ashwagandha)
तनाव कम करता है, जिससे आप भावनात्मक रूप से ज़्यादा न खाएँ और शरीर का संतुलन बना रहे। - कलौंजी (Nigella Seed)
शरीर में फैट जमा होने से रोकती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। - अजवाइन (Carom Seeds)
गैस और अपच से राहत दिलाती है और पेट की सूजन को कम करती है। - एलोवेरा (Aloe Vera)
शरीर को डिटॉक्स करता है, पाचन तंत्र को साफ करता है और फैट मेटाबॉलिज़्म को सुधारता है।
इन सभी आयुर्वेदिक दवाओं का असर धीरे-धीरे लेकिन स्थायी होता है। आप इन हर्ब्स को अपने खानपान या चाय के रूप में शामिल कर सकते हैं, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए जीवा के आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है। क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और उसी अनुसार इलाज भी अलग होना चाहिए।
FAQs
आयुर्वेद में मोटापा कम करने के लिए त्रिफला, गुग्गुल, पुनर्नवा और विजयसार जैसी जड़ी-बूटियाँ असरदार मानी जाती हैं। ये न सिर्फ वज़न घटाती हैं बल्कि शरीर को अंदर से डिटॉक्स भी करती हैं। आप इन्हें आयुर्वेदिक सलाह लेकर अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
गुग्गुल, दालचीनी, काली मिर्च और लेमनग्रास जैसी जड़ी-बूटियाँ शरीर में जमा फैट को तोड़ने और मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने में मदद करती हैं। ये जड़ी-बूटियाँ चर्बी को धीरे-धीरे पिघलाती हैं और शरीर को हल्का और फिट बनाती हैं।
आयुर्वेद में ‘तुरंत’ कोई शॉर्टकट नहीं होता, लेकिन आप कुछ उपाय अपनाकर तेज़़ी से फर्क महसूस कर सकते हैं, जैसे सुबह खाली पेट त्रिफला लेना, रोज़ व्यायाम करना, हल्का खाना खाना और तनाव कम करना। नियमितता से आपको जल्दी फर्क दिखने लगेगा।
आयुर्वेदिक दवाएँ असरदार होती हैं, लेकिन अकेले इन्हीं पर निर्भर रहना सही नहीं। इनके साथ आपको खानपान में सुधार, नियमित व्यायाम और नींद पर ध्यान देना भी ज़रूरी है। तभी पूरा फायदा मिलेगा।
हाँ, आयुर्वेद में उद्वर्तन, वमन और विरेचन जैसे पंचकर्म उपचारों से शरीर में जमा टॉक्सिन्स और अतिरिक्त चर्बी को बाहर निकाला जाता है। ये थेरेपीज़ वज़न घटाने में सहायक होती हैं, लेकिन इन्हें किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में ही करवाना चाहिए।
हाँ, जब आप तनाव में होते हैं तो शरीर एक हार्मोन बनाता है जिससे भूख बढ़ती है और आप ज़्यादा खाते हैं। इससे वज़न बढ़ सकता है। आयुर्वेद में अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियाँ तनाव कम करने में मदद करती हैं।
सुबह जल्दी उठें, त्रिफला या हल्दी पानी लें, हल्का नाश्ता करें, दोपहर में संतुलित भोजन लें, शाम को टहलें और रात का खाना जल्दी खा लें। सोने से पहले गर्म पानी पिएँ। यह दिनचर्या आयुर्वेद में वज़न घटाने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
दालचीनी, अदरक, काली मिर्च और गुग्गुल पेट की चर्बी को कम करने में काफ़ी मददगार हैं। ये जड़ी-बूटियाँ मेटाबॉलिज़्म तेज़ करती हैं और शरीर की चर्बी को एनर्जी में बदलने में मदद करती हैं।
बिलकुल, लेकिन बच्चों का इलाज बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। उनके लिए हल्के और स्वादिष्ट आयुर्वेदिक काढ़े, संतुलित आहार और खेलने-कूदने की आदत को बढ़ावा देना ज़रूरी होता है।
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