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मुँह के छाले क्या होते हैं और आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? (What is Mouth Ulcer?)
अगर आपके मुँह में अचानक दर्दनाक फफोले या जलन वाले छोटे-छोटे घाव बन जाते हैं, तो इसे आम भाषा में मुँह के छाले कहा जाता है। ये छाले जीभ पर, होंठों के अंदर, गाल के अंदरूनी हिस्से या मुँह की छत पर हो सकते हैं। जब ये होते हैं तो खाना, पीना, या बात करना भी मुश्किल हो जाता है।
अक्सर ये समस्या कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन जब बार-बार हो या बहुत दर्द दे, तो ये आपके लिए चिंता का विषय बन सकता है।
आयुर्वेद में मुँह के छालों को मुखपाक कहा गया है। यह मुख्य रूप से पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। जब कुछ कारणों से शरीर में पित्त बढ़ता है, जैसे कि बहुत ज़्यादा मसालेदार खाना खाना, देर रात तक जागना, या ज़्यादा तनाव लेना, तो वह आपके शरीर में गर्मी पैदा करता है और इसी से मुँह में छाले होने लगते हैं।
इसके अलावा कब्ज़, पाचन की गड़बड़ी, या पेट की गर्मी भी मुँह के छालों की बड़ी वजह हो सकती है। जब आपका पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता, तो शरीर में विषैले तत्व (जिसे आयुर्वेद में 'आम' कहा जाता है) जमा होने लगते हैं, और ये अंदरूनी गर्मी बनाकर छालों को जन्म देते हैं।
आयुर्वेद का मानना है कि अगर शरीर का संतुलन सही रखा जाए, पाचन तंत्र मज़बूत हो और खानपान शुद्ध हो, तो छाले जैसी समस्याएँ खुद-ब-खुद दूर हो सकती हैं। यही कारण है कि आयुर्वेद सिर्फ दवा से नहीं, बल्कि पूरे जीवनशैली में सुधार करके इलाज करता है।
अगर आप भी मुँह के छालों से बार-बार परेशान होते हैं, तो आयुर्वेदिक समझ को अपनाकर आप न सिर्फ राहत पा सकते हैं, बल्कि छालों को दोबारा होने से भी रोक सकते हैं।
मुँह के छालों के प्रकार (Types of Mouth Ulcers)
जब मुँह में छाले होते हैं, तो आप सोचते होंगे कि ये क्यों हुए और क्या ये किसी बीमारी का संकेत हैं? आपको जानकर हैरानी होगी कि मुँह के छाले भी कई प्रकार के होते हैं, और हर प्रकार की वजह और लक्षण अलग हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि मुँह के छालों के कौन-कौन से प्रकार होते हैं:
1. एप्थस अल्सर (Aphthous Ulcer)
यह सबसे आम प्रकार के छाले होते हैं जो अधिकतर लोगों को कभी न कभी ज़रूर होते हैं। ये छोटे, सफेद या पीले रंग के होते हैं और इनके किनारे लाल रहते हैं।
कारण: तेज़ मिर्च-मसाला, पेट की गड़बड़ी, तनाव, नींद की कमी या गलती से गाल को काट लेना।
यह छाले संक्रामक नहीं होते यानी दूसरों को नहीं फैलते।
2. ऑरल लायकेन प्लेनस (Oral Lichen Planus)
यह एक इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्या होती है जिसमें मुँह के अंदर सफेद-जाली जैसे निशान बन जाते हैं। इससे जलन या खुजली भी हो सकती है। यह अधिकतर 50 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं में देखा जाता है।
3. थ्रश (Thrush)
अगर आपने हाल ही में एंटीबायोटिक ली हो या आपकी इम्यूनिटी कमज़ोर हो, तो मुँह में सफेद फंगस जैसी परत बन सकती है, जिसे थ्रश कहा जाता है। यह बच्चों और बुज़ुर्गों में ज़्यादा आम है।
4. लीयुकोप्लाकिया और एरिथ्रोप्लाकिया
अगर आप धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करते हैं, तो मुँह में सफेद या लाल रंग के मोटे पैच बन सकते हैं। ये कभी-कभी कैंसर का संकेत भी हो सकते हैं, इसलिए इनका समय पर इलाज ज़रूरी होता है।
मुँह में छाले होने के आम कारण (Common Causes of Mouth Ulcers)
कई बार आपको लगता है कि मुँह में अचानक छाले क्यों हो गए, जबकि आपने कुछ खास तो खाया भी नहीं। असल में, छाले किसी एक कारण से नहीं होते बल्कि ये कई छोटी-छोटी बातों का नतीजा हो सकते हैं, जिन्हें हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में नज़रअंदाज़ कर देते हैं। आइए जानते हैं कि किन कारणों से आपको बार-बार मुँह में छाले हो सकते हैं:
- तेज़ मिर्च-मसाले वाला या बहुत गर्म खाना: इससे शरीर में पित्त बढ़ता है और मुँह में जलन और छाले होने लगते हैं।
- पाचन की गड़बड़ी या कब्ज़: जब पेट साफ़ नहीं होता, तो शरीर में गर्मी और विषैले तत्व (आम) जमा हो जाते हैं, जो छालों की वजह बनते हैं।
- नींद की कमी और ज़्यादा तनाव: लगातार थकान और चिंता से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमज़ोर हो जाती है और छाले हो सकते हैं।
- गलती से गाल या जीभ काट लेना: यह चोट भी छाले में बदल सकती है, खासकर जब आपकी इम्यूनिटी कमज़ोर हो।
- तंबाकू या धूम्रपान करना: इससे मुँह में सूजन, जलन और बाद में छाले या घाव हो सकते हैं।
- हार्मोनल बदलाव: महिलाओं में पीरियड्स के दौरान भी छाले हो सकते हैं।
- बहुत ज़्यादा खट्टे फल या एसिडिक चीज़ें खाना: जैसे नींबू, संतरा, टमाटर आदि।
मुँह की साफ-सफाई में लापरवाही: ब्रश करते समय ज़ोर लगाने या गंदे मुँह की वजह से बैक्टीरिया पनप सकते हैं। - विटामिन B12, आयरन या फोलिक एसिड की कमी: शरीर में पोषण की कमी भी छालों का कारण बन सकती है।
मुँह के छालों के लक्षण (Signs and Symptoms of Mouth Ulcers)
कई बार मुँह में जलन या दर्द होता है, लेकिन आप समझ नहीं पाते कि यह सिर्फ कोई सामान्य घाव है या मुँह का छाला। अगर आपको समय रहते इसके लक्षणों की सही पहचान हो जाए, तो इलाज भी जल्दी और बेहतर हो सकता है। नीचे दिए गए लक्षणों को ध्यान से पढ़ें और खुद में देखें कि क्या आप इनमें से किसी का अनुभव कर रहे हैं:
- मुँह के अंदर छोटे-छोटे सफेद, पीले या हल्के स्लेटी रंग के घाव: ये छाले अक्सर जीभ, गाल के अंदर, होठों के भीतर या मुँह की छत पर हो सकते हैं।
- छालों के किनारों पर लाल रंग का घेरा: इससे छाले साफ़-साफ़ नज़र आते हैं और अलग दिखते हैं।
- खाने-पीने में जलन और दर्द: खासकर खट्टा, तीखा या गरम खाना खाते समय ज़्यादा तकलीफ़ होती है।
- बात करने में परेशानी: छाले अगर जीभ या होठों के पास हों, तो बोलना भी मुश्किल हो जाता है।
- दाँत ब्रश करते समय दर्द या मुँह में जलन: जब छालों पर ब्रश का रगड़ पड़ता है, तो तेज़ दर्द महसूस होता है।
- मुँह में सूजन या भारीपन महसूस होना: खासकर छालों के आसपास की जगह पर सूजन हो सकती है।
- थोड़ी बदबू आना या मुँह का स्वाद बिगड़ना: छाले की वजह से मुँह की सफाई पर असर पड़ता है, जिससे दुर्गन्ध की समस्या हो सकती है।
- बुखार जैसा अहसास या थकान: अगर छाले बहुत ज़्यादा हों, तो शरीर थका-थका सा लग सकता है।
- 3 हफ्ते से ज़्यादा समय तक छाले न भरना: यह गंभीर संकेत हो सकता है और तुरंत सलाह लेनी चाहिए।
Symptoms
छोटे-छोटे सफेद घाव
मुँह के अंदर छोटे-छोटे सफेद, पीले या हल्के स्लेटी रंग के घाव: ये छाले अक्सर जीभ, गाल के अंदर, होठों के भीतर या मुँह की छत पर हो सकते हैं।
लाल रंग का घेरा
छालों के किनारों पर लाल रंग का घेरा: इससे छाले साफ़-साफ़ नज़र आते हैं और अलग दिखते हैं।
मुँह में सूजन
मुँह में सूजन या भारीपन महसूस होना: खासकर छालों के आसपास की जगह पर सूजन हो सकती है।
खाने-पीने में जलन
खाने-पीने में जलन और दर्द: खासकर खट्टा, तीखा या गरम खाना खाते समय ज़्यादा तकलीफ़ होती है।
बात करने में परेशानी
छाले अगर जीभ या होठों के पास हों, तो बोलना भी मुश्किल हो जाता है।
दाँत ब्रश करते समय दर्द
जब छालों पर ब्रश का रगड़ पड़ता है, तो तेज़ दर्द महसूस होता है।
मुँह का स्वाद बिगड़ना
छाले की वजह से मुँह की सफाई पर असर पड़ता है, जिससे दुर्गन्ध की समस्या हो सकती है।
बुखार जैसा अहसास या थकान
अगर छाले बहुत ज़्यादा हों, तो शरीर थका-थका सा लग सकता है।
-
क्या आपको मुँह के छालों से जुड़े निम्न में से कोई लक्षण हैं?
चुनें जो आप पर लागू होता है
- मुँह में सफेद, पीले या ग्रे रंग के छोटे घाव
- छालों के किनारों पर लाल घेरा
- खाना या पीते समय जलन और दर्द
- बोलने में परेशानी या दर्द
- ब्रश करते समय छाले में चुभन
- मुँह में सूजन या भारीपन
- मुँह से हल्की बदबू या स्वाद बिगड़ना
- छाले 3 हफ्ते से ज़्यादा समय से ठीक नहीं हो रहे
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जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति – मुँह के छालों के लिए संपूर्ण आयुर्वेदिक समाधान
मुँह के छाले बार-बार हो रहे हैं और आप सिर्फ क्रीम या घरेलू उपायों से राहत पा रहे हैं? जीवा आयुर्वेद इस समस्या का समाधान केवल लक्षणों को दबाकर नहीं करता, बल्कि उसकी जड़ तक जाकर इलाज करता है।
यहाँ हर व्यक्ति की शरीर प्रकृति (दोष), पाचन स्थिति और जीवनशैली को समझकर एक व्यक्तिगत इलाज योजना बनाई जाती है। इसमें आयुर्वेदिक दवाएँ, शरीर को ठंडक देने वाले उपाय, खानपान में सुधार और जीवनशैली बदलाव शामिल होते हैं।
जीवा का ये तरीका सिर्फ छालों को ठीक करने तक सीमित नहीं होता बल्कि यह आपके शरीर के अंदर का संतुलन बनाकर दोबारा छाले न हों, इस पर भी ध्यान देता है। यही है जीवा आयुनिक का संपूर्ण और प्राकृतिक उपचार।
जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति की मुख्य बातें – आसान और असरदार आयुर्वेदिक देखभाल
- शुद्ध और HACCP प्रमाणित आयुर्वेदिक दवाएँ: जीवा की आयुर्वेदिक दवाएँ आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान से तैयार की जाती हैं। ये दवाएँ आपके शरीर को अंदर से साफ़ करने, रोगों से लड़ने और मन को शांत रखने में मदद करती हैं।
- योग, ध्यान और मानसिक शांति: तनाव कम करना किसी भी इलाज का ज़रूरी हिस्सा है। इसलिए जीवा में आपको आसान योग, मेडिटेशन और ध्यान की तकनीकें सिखाई जाती हैं, जिससे आप अंदर से मज़बूत और शांत महसूस करें।
- पारंपरिक आयुर्वेदिक थैरेपी: यहाँ पंचकर्म, तेल मालिश और शरीर की सफाई करने वाली दूसरी प्राकृतिक थैरेपी से आपके शरीर का संतुलन वापस लाया जाता है और बीमारियों की जड़ पर असर होता है।
- खानपान और जीवनशैली की सही सलाह: आपको क्या खाना चाहिए, कब सोना चाहिए, और दिनभर में कौन-कौन सी आदतें अपनानी चाहिए, इसकी पूरी जानकारी जीवा आयुर्वेद के विशेषज्ञ आपको देते हैं ताकि आपका शरीर और इम्यूनिटी दोनों मज़बूत रहें।
मुँह के छालों के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ और जड़ी-बूटियाँ (Ayurvedic Medicines for Mouth Ulcers)
अगर आप मुँह के छालों से बार-बार परेशान रहते हैं और हर बार सिर्फ बाहरी इलाज करते हैं, तो अब वक्त है आयुर्वेद की मदद लेने का। आयुर्वेद छालों को सिर्फ दबाने की नहीं, बल्कि जड़ से ठीक करने की पद्धति है। इसमें ऐसी जड़ी-बूटियाँ और प्राकृतिक दवाएँ होती हैं जो आपके पाचन को ठीक करती हैं, शरीर से गर्मी और विषैले तत्वों को निकालती हैं और मुँह को अंदर से ठंडक पहुँचाती हैं। नीचे कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और घरेलू उपाय दिए गए हैं जो मुँह के छालों में बेहद असरदार माने जाते हैं:
- तुलसी (Tulsi): इसके 4-5 पत्ते चबाने से छालों की जलन कम होती है और दर्द में राहत मिलती है।
- शहद (Honey): शहद ठंडक देता है और इसमें घाव भरने वाले प्राकृतिक गुण होते हैं। इसे सीधे छालों पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
- मुलेठी (Mulethi): मुलेठी का पाउडर शहद में मिलाकर लेप बनाएँ और छालों पर लगाएँ। यह पाचन को ठीक करता है और अल्सर को जल्दी भरता है।
- कत्था (Black Catechu): इसे मुलेठी और शहद के साथ मिलाकर लगाया जा सकता है। साथ ही अमरूद के कोमल पत्तों में मिलाकर चबाना भी फायदेमंद है।
- इलायची (Cardamom): सफेद इलायची और शहद मिलाकर छालों पर लगाने से ठंडक और खुशबू मिलती है।
- चमेली (Jasmine Leaves): इसके पत्तों का रस निकालकर सीधे छालों पर लगाएँ। इससे जलन और सूजन में राहत मिलती है।
- आंवला (Amla): आंवला, सौंफ, इलायची और मिश्री मिलाकर चूर्ण बनाएँ और पानी के साथ लें। यह शरीर को ठंडक देता है और पाचन सुधारता है।
- सौंफ (Fennel): यह पाचन में मदद करती है और मुँह की जलन को शांत करती है।
- सफेद इलायची: मुँह की दुर्गंध और स्वाद बिगड़ने की समस्या में लाभदायक है।
- त्रिफला (Triphala): इसमें हरड़, बहेरा और आंवला होते हैं। यह मुँह के छालों में एंटीसेप्टिक और उपचार का काम करता है।
- लौंग का तेल (Clove Oil): दर्द और सूजन के लिए लौंग का तेल बहुत असरदार है। रुई में लगाकर छालों पर लगाया जा सकता है।
- एलोवेरा (Aloe Vera): एलोवेरा जेल मुँह के छालों पर लगाने से ठंडक मिलती है और घाव जल्दी भरता है।
- लहसुन (Garlic): इसमें एंटीबायोटिक गुण होते हैं। लहसुन की कुछ कलियों का पेस्ट बनाकर छालों पर लगाएँ।
इन सभी उपायों को आप अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं, लेकिन याद रखें कि अगर छाले बार-बार हो रहे हैं या बहुत लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहे, तो जीवा के अनुभवी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है। जीवा आयुर्वेद में आपको प्रमाणित और अनुभवी वैद्य से निःशुल्क परामर्श का लाभ भी मिल सकता है।
- मुँह में सफेद, पीले या ग्रे रंग के छोटे घाव
FAQs
अगर आप बार-बार मुँह के छालों से परेशान रहते हैं, तो सिर्फ बाहरी इलाज काफ़ी नहीं होता। आयुर्वेद में इसका जड़ से इलाज पाचन को ठीक करने, शरीर की गर्मी कम करने और खानपान में बदलाव करने से होता है। त्रिफला, आंवला और मुलेठी जैसे उपाय मददगार हैं।
आयुर्वेद में इसे “मुखपाक” कहा जाता है। तुलसी, शहद, मुलेठी और त्रिफला जैसी जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है। साथ ही, पित्त दोष को संतुलित करने वाला भोजन, भरपूर पानी और तनाव कम करना भी ज़रूरी होता है।
जुबान पर छाले होने पर शहद और मुलेठी का लेप लगाएँ या तुलसी के पत्ते चबाएँ। ठंडी चीज़ें खाएँ, खट्टे और मसालेदार भोजन से परहेज करें। लौंग का तेल भी दर्द में राहत देता है।
अगर छाले बहुत ज़्यादा हो जाएँ, तो तुरंत ठंडी और पित्त शांत करने वाली चीज़ें लेना शुरू करें जैसे आंवला, एलोवेरा जेल या त्रिफला। खाने में हल्का खिचड़ी जैसा भोजन लें और तुरंत किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ से संपर्क करें।
मुँह के इन्फेक्शन से बचने के लिए हल्दी वाले गुनगुने पानी से गरारे करें, तुलसी पत्ते चबाएँ और शहद में कपूर मिलाकर लगाएँ। मुँह की सफाई का ध्यान रखें और मसालेदार भोजन से दूरी बनाए रखें।
मुलेठी, त्रिफला और आंवला को सबसे प्रभावी माना जाता है। शहद के साथ मुलेठी का पेस्ट लगाना, त्रिफला का सेवन और सौंफ-मिश्री के चूर्ण से पाचन दुरुस्त करना छालों को तेज़ी से ठीक करता है।
विटामिन B12, फोलिक एसिड और आयरन की कमी से छाले हो सकते हैं। साथ ही शरीर में पित्त बढ़ने, पाचन खराब होने और नींद पूरी न होने से भी यह समस्या होती है।
खट्टे फल, ज़्यादा मिर्च-मसाले वाला खाना, गरम तासीर की चीज़ें और तली हुई चीज़ें खाने से परहेज करें। तेज़ चाय, कॉफी और तंबाकू उत्पाद भी छालों को बढ़ा सकते हैं।
हाँ, अगर छाले बार-बार होते हैं या लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहे, तो यह पाचन की गड़बड़ी, इम्यूनिटी की कमी या किसी अंदरूनी बीमारी का संकेत हो सकता है। तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।
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