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हर धड़कन रहे मज़बूत,
जीवा आयुर्वेद के साथ

दिल की देखभाल अब आसान है –
हृदय रोगों से बचाव और इलाज, दोनों एक जगह।

हृदय रोगों के लिए आयुर्वेदिक इलाज

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हृदय रोगों के लिए आयुर्वेदिक इलाज

हृदय रोग क्या हैं? (What Are Heart Diseases?)

हृदय रोग यानी दिल से जुड़ी बीमारियाँ, जिनमें हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट फेल होना, और अनियमित धड़कन (Arrhythmia) जैसी समस्याएँ शामिल हैं। जब दिल या उससे जुड़ी रक्तवाहिनियाँ ठीक से काम नहीं करतीं, तो शरीर को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता और गंभीर जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं।

तेज़ रफ्तार जीवनशैली, तनाव, जंक फूड, नींद की कमी और व्यायाम न करने से आज हर उम्र में दिल की बीमारियाँ आम हो चुकी हैं। महिलाएँ और युवा भी अब इनसे प्रभावित हो रहे हैं।

आयुर्वेद में दिल को “हृदय” कहा गया है – जो शरीर में रक्त और रस (Body Fluids) का संचार करता है। जब वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ता है, तो हृदय की कार्यक्षमता घटती है। जीवा आयुर्वेद में इलाज का उद्देश्य बीमारी की जड़ को पहचानकर शरीर, मन और जीवनशैली को संतुलन में लाना है।

जीवा में इलाज किए जाने वाले हृदय रोगों के प्रकार (Types of Heart Diseases Treated at Jiva)

  • हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension): धमनियों में अधिक दबाव के कारण सिरदर्द, चक्कर और थकावट। इलाज – हर्बल औषधियाँ, योग, शिरोधारा और आहार नियंत्रण।
  • कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना (High Cholesterol): एलडीएल की वृद्धि से ब्लॉकेज का खतरा। इलाज – त्रिफला, गुग्गुलु, पंचकर्म और डिटॉक्स।
  • वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया: दिल की तेज़ धड़कन; कारण – मांसपेशियों की कमज़ोरी या तनाव। इलाज – हृदय टॉनिक और संतुलनकारी औषधियाँ।
  • अतालता (Arrhythmia): धड़कन का बहुत तेज़ या धीमा होना। इलाज – अश्वगंधा, ब्राह्मी, नस्य और ध्यान योग।
  • कोस्टोचॉन्ड्राइटिस: छाती की हड्डियों और पसलियों के बीच सूजन। इलाज – सूजननाशक औषधियाँ और स्निग्ध अभ्यंग।
  • एंजाइना पेक्टोरिस (Angina): सीने में दर्द या भारीपन; संकेत कि दिल को ऑक्सीजन नहीं मिल रही। इलाज – अर्जुन, लहसुन, वातहर औषधियाँ।
  • इस्केमिक हार्ट डिज़ीज़: हृदय को खून की कमी से कार्यक्षमता घटती है। इलाज – रक्तशुद्धि, पंचकर्म और हृदय टॉनिक।
  • कॉरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (CAD): दिल की रक्तवाहिनियों में ब्लॉकेज। इलाज – गुग्गुलु, अर्जुन, पंचकर्म और नियंत्रित आहार।
  • टैकीकार्डिया / ब्रेडीकार्डिया: धड़कन बहुत तेज़ या धीमी। इलाज – शिरोधारा, योग और वात शमन।
  • घबराहट और साँस फूलना: दिल की कमजोरी या रक्त प्रवाह में रुकावट। इलाज – हृदय वर्धक औषधियाँ और प्राणायाम।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Understanding of Heart Diseases)

आयुर्वेद के अनुसार, हृदय रोगों की शुरुआत तीन मुख्य कारणों से होती है:

  • त्रिदोष असंतुलन: वात, पित्त और कफ के असंतुलन से हृदय की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
  • आम (Ama) का जमाव: अधपचा भोजन और विषाक्त पदार्थ रक्त और मेद में जमा होकर धमनियों को अवरुद्ध करते हैं।
  • स्रोतों का ब्लॉक होना: रक्तवाहिनियों में रुकावट आने से रक्त प्रवाह बाधित होता है।

जीवा आयुर्वेद में रक्तवह स्रोत और मेदधातु की शुद्धि के लिए पंचकर्म, औषधियाँ, डाइट और योग के माध्यम से जड़ से उपचार किया जाता है।

आयुर्वेदिक इलाज के फायदे (Benefits of Ayurvedic Treatment)

  • 1. जड़ से इलाज: केवल लक्षण नहीं, बल्कि बीमारी के मूल कारण को दूर करता है।
  • 2. लंबे समय तक सुरक्षित: 100% प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ, बिना साइड इफेक्ट।
  • 3. इम्युनिटी और मेटाबॉलिज़्म में सुधार: शरीर की स्वाभाविक शक्ति को बहाल करता है।
  • 4. जीवनशैली और मानसिक संतुलन: योग, आहार और ध्यान से मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।
  • 5. व्यक्तिगत उपचार: हर व्यक्ति की प्रकृति और रोग की स्थिति के अनुसार योजना।

मुख्य जड़ी-बूटियाँ (Key Ayurvedic Herbs)

  • अर्जुन: दिल की मांसपेशियाँ मज़बूत करता है और ब्लड प्रेशर संतुलित करता है।
  • गुग्गुलु: वसा कम करता है और ब्लॉकेज बनने से रोकता है।
  • अश्वगंधा: तनाव कम कर हृदय की स्थिरता बढ़ाती है।
  • त्रिफला: शरीर को डिटॉक्स करता है और पाचन सुधारता है।
  • हल्दी: सूजन कम करती है और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है।
  • तुलसी: हृदय को मज़बूत बनाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
  • लहसुन: रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल दोनों को नियंत्रित करता है।

प्रमुख आयुर्वेदिक थैरेपीज़ (Therapies for Heart Health)

  • विरेचन: पित्त और विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने की शोधन प्रक्रिया।
  • बस्ती: वात दोष को संतुलित कर हृदय की गति को स्थिर करता है।
  • अभ्यंग: औषधीय तेलों से मालिश; तनाव और रक्तसंचार सुधारती है।
  • नस्य: सिर और हृदय के बीच संचार संतुलित करती है।
  • शिरोधारा: मानसिक शांति और धड़कन का संतुलन बनाए रखती है।

जीवा आयुनिक™ – हमारी विशेष उपचार पद्धति (Jiva Ayunique™ Approach)

  • HACCP प्रमाणित औषधियाँ: वैज्ञानिक रूप से तैयार सुरक्षित हर्बल फॉर्मूलेशन।
  • संपूर्ण प्रगति पर नज़र: इलाज के हर चरण पर निरंतर मॉनिटरिंग।
  • व्यक्तिगत आहार और दिनचर्या सलाह: रोग की प्रकृति और व्यक्ति की ज़रूरतों के अनुसार।
  • योग, ध्यान और माइंडफुलनेस: तनाव कम कर हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाना।

इलाज शुरू करने के आसान 3 चरण (3 Easy Steps to Begin Treatment)

  1. 1. परामर्श बुक करें: फोन या वीडियो कॉल द्वारा जीवा विशेषज्ञ से सलाह लें।
  2. 2. रोग का असली कारण जानें: दोष, आम और जीवनशैली का आकलन किया जाता है।
  3. 3. व्यक्तिगत इलाज शुरू करें: औषधियाँ, योग और खानपान के साथ जड़ से समाधान।

अपने दिल की देखभाल आज से शुरू करें

अगर आपको सीने में दर्द, घबराहट, धड़कन तेज़ होना या हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएँ हैं, तो इन्हें नज़रअंदाज़ न करें। समय पर सही उपचार आपके दिल को बचा सकता है।

जीवा आयुर्वेद में उपचार सिर्फ लक्षणों पर नहीं, बल्कि हृदय को अंदर से मज़बूत बनाने पर केंद्रित है।

आज ही अपनी निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और अपने दिल को स्वस्थ रखें।

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