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कैंसर क्या है और आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? (What is Cancer?)
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। आम तौर पर आपके शरीर को ये पता होता है कि कब नई कोशिकाएँ बनानी हैं और कब पुरानी कोशिकाएँ खत्म करनी हैं। लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो कुछ कोशिकाएँ बिना रुके बढ़ने लगती हैं और एक गाँठ या ट्यूमर बन सकती है। कुछ कैंसर शरीर के खून या हड्डियों में भी फैल सकते हैं और कई बार शरीर के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित कर देते हैं।
अब सवाल ये है – आयुर्वेद कैंसर को कैसे देखता है?
आयुर्वेद कैंसर को सिर्फ एक बीमारी नहीं मानता। आपके शरीर में जब किसी अंग या ऊतक में असामान्य वृद्धि होती है, तो आयुर्वेद उसे दो रूपों में पहचानता है:
- ग्रंथि (Granthi): यानी छोटी सूजन या गाँठ
- अर्बुद (Arbuda): यानी बड़ी सूजन या बड़ा ट्यूमर
आयुर्वेद के अनुसार, आपके शरीर में तीन तरह की ऊर्जा होती हैं, वात, पित्त और कफ। जब इनमें से कोई भी दोष असंतुलित हो जाता है, तो शरीर में विषैले तत्व (आम) इकट्ठे होने लगते हैं। ये विष शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को कमज़ोर कर देते हैं और धीरे-धीरे कोशिकाओं के सामान्य काम में रुकावट डालते हैं। यही रुकावट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
अगर आप बहुत ज़्यादा तनाव में रहते हैं, असंतुलित आहार लेते हैं, नींद पूरी नहीं करते या प्रदूषण और रसायनों के संपर्क में रहते हैं – तो ये सब चीज़ें आपके शरीर के दोषों को बिगाड़ सकती हैं और रोग का कारण बन सकती हैं।
आयुर्वेद का मानना है कि शरीर को ठीक करने के लिए सिर्फ लक्षणों को नहीं, बल्कि बीमारी की जड़ को समझकर इलाज करना ज़रूरी होता है। यही वजह है कि कैंसर जैसी बीमारियों के लिए आयुर्वेद एक समग्र (holistic) दृष्टिकोण अपनाता है।
कैंसर के प्रकार (Types of Cancer)
कैंसर कई तरह के होते हैं और ये शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकते हैं। अगर आप या आपके किसी करीबी को कैंसर का शक है, तो ये जानना ज़रूरी है कि कैंसर किस हिस्से में और किस तरह से हो रहा है। इससे सही इलाज तय करने में मदद मिलती है।
आइए जानते हैं कैंसर के मुख्य प्रकार:
1. कार्सिनोमा (Carcinoma)
यह सबसे आम प्रकार का कैंसर है। यह आपकी त्वचा या शरीर के आंतरिक अंगों की परत में शुरू होता है – जैसे फेफड़े, स्तन (breast), लिवर, पेट या आंत। उदाहरण के लिए – ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, ओवेरियन कैंसर आदि।
2. सारकोमा (Sarcoma)
यह कैंसर आपकी हड्डियों, मांसपेशियों, वसा (fat), रक्त वाहिकाओं या ऊतकों में होता है। अगर आपको हड्डियों में दर्द या सूजन हो जो समय के साथ बढ़ रही हो, तो जाँच कराना ज़रूरी है।
3. ल्यूकेमिया (Leukemia)
यह कैंसर आपके खून और बोन मैरो (हड्डियों के अंदर का भाग) में होता है। इसमें शरीर बहुत ज़्यादा और असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएँ बनाता है। इसमें ट्यूमर नहीं बनता लेकिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो जाती है।
4. लिम्फोमा (Lymphoma)
यह आपके लसीका तंत्र (lymphatic system) को प्रभावित करता है, जो शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करता है। इसमें लिम्फ नोड्स में सूजन, बुखार और वज़न कम होना जैसे लक्षण होते हैं।
5. मायलोमा (Myeloma)
यह कैंसर प्लाज़्मा कोशिकाओं (white blood cells का एक प्रकार) में होता है। इससे हड्डियाँ कमज़ोर होती हैं और इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है।
6. मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड का कैंसर
यह आपके दिमाग या रीढ़ की हड्डी में होता है और याददाश्त, संतुलन या बोलने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
कैंसर के आम कारण (Common Causes of Cancer)
कैंसर अचानक नहीं होता। ये धीरे-धीरे आपके शरीर में तब बनता है जब रोज़मर्रा की कुछ आदतें, आसपास का माहौल और आपकी जीवनशैली आपके शरीर की कोशिकाओं पर गलत असर डालने लगती हैं। अगर आप इन कारणों को पहचान लें, तो समय रहते बचाव करना आसान हो सकता है।
आइए जानते हैं कैंसर के सबसे आम कारण क्या हैं:
- अनुवांशिक बदलाव (Genetic mutations):
आपके शरीर की कोशिकाएँ DNA के निर्देशों पर काम करती हैं। जब इनमें कोई गड़बड़ी या बदलाव हो जाता है, तो कोशिकाएँ बिना रुके बढ़ने लगती हैं और कैंसर की शुरुआत हो सकती है। - धूम्रपान और तंबाकू का सेवन:
अगर आप सिगरेट पीते हैं या तंबाकू चबाते हैं, तो यह आपके मुँह, गले, फेफड़े और मूत्राशय (bladder) के कैंसर का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। - अत्यधिक शराब पीना:
अधिक मात्रा में शराब पीने से आपके लीवर, मुँह, गले और पेट के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। - अत्यधिक धूप या रेडिएशन का संपर्क:
अगर आप ज़्यादा देर धूप में रहते हैं या हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आते हैं, तो इससे त्वचा कैंसर हो सकता है। - हानिकारक रसायनों से संपर्क:
यदि आप एस्बेस्टस, आर्सेनिक, या केमिकल्स (जैसे पेंट, धुआं, धातु) के लगातार संपर्क में रहते हैं, तो इससे कैंसर का खतरा हो सकता है। - वायरस और संक्रमण:
कुछ वायरस जैसे HPV (Human Papillomavirus), हेपेटाइटिस B और C आपकी कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाकर कैंसर का कारण बन सकते हैं। - गलत खानपान और मोटापा:
अधिक तला-भुना, प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और मीठा खाने की आदत, साथ ही मोटापा – ये सभी आपके शरीर में सूजन और हार्मोनल गड़बड़ी पैदा करते हैं, जो कैंसर को जन्म दे सकते हैं। - व्यायाम की कमी और तनाव:
अगर आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहते और लगातार मानसिक तनाव में रहते हैं, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। - परिवार में कैंसर का इतिहास:
अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर रहा है, तो आपको भी उसका खतरा हो सकता है, इसलिए नियमित जाँच कराना ज़रूरी है।
Symptoms
असामान्य गाँठ या सूजन
अगर आपके शरीर में कहीं कोई गाँठ बन रही है जो धीरे-धीरे बढ़ रही है या लंबे समय तक बनी हुई है, तो इसे हल्के में न लें।
अचानक वज़न कम या ज़्यादा होना
बिना कोई डाइट या व्यायाम किए अगर आपका वज़न तेज़ी से घट रहा है या बढ़ रहा है, तो यह किसी अंदरूनी बीमारी का संकेत हो सकता है।
लगातार थकान महसूस होना
अगर आप पर्याप्त नींद लेने के बाद भी हमेशा थके हुए महसूस करते हैं, तो यह शरीर में किसी गंभीर बदलाव की ओर इशारा कर सकता है।
शरीर में लगातार दर्द रहना
बिना किसी कारण के यदि किसी हिस्से में लगातार दर्द बना हुआ है और दवा से आराम नहीं मिल रहा, तो डॉक्टर से जाँच कराना ज़रूरी है।
त्वचा में बदलाव
किसी तिल या मस्से का रंग, आकार या बनावट बदल रही हो, या अचानक त्वचा पीली (jaundice), गहरी या लाल होने लगे, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है।
खाँसी या साँस लेने में तकलीफ़
यदि आपको लगातार खाँसी बनी रहती है या साँस लेने में परेशानी हो रही है, तो यह फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
कैंसर के लक्षण (Signs and Symptoms of Cancer)
कैंसर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि कैंसर शरीर के किस हिस्से में हो रहा है। लेकिन कुछ संकेत ऐसे होते हैं जिन्हें आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। अगर आप इन लक्षणों को जल्दी पहचान लें, तो समय रहते इलाज शुरू करना आसान हो जाता है।
आइए जानते हैं कैंसर के आम लक्षण क्या हो सकते हैं:
- असामान्य गाँठ या सूजन:
अगर आपके शरीर में कहीं कोई गाँठ बन रही है जो धीरे-धीरे बढ़ रही है या लंबे समय तक बनी हुई है, तो इसे हल्के में न लें। - अचानक वज़न कम या ज़्यादा होना:
बिना कोई डाइट या व्यायाम किए अगर आपका वज़न तेज़ी से घट रहा है या बढ़ रहा है, तो यह किसी अंदरूनी बीमारी का संकेत हो सकता है। - लगातार थकान महसूस होना:
अगर आप पर्याप्त नींद लेने के बाद भी हमेशा थके हुए महसूस करते हैं, तो यह शरीर में किसी गंभीर बदलाव की ओर इशारा कर सकता है। - शरीर में लगातार दर्द रहना:
बिना किसी कारण के यदि किसी हिस्से में लगातार दर्द बना हुआ है और दवा से आराम नहीं मिल रहा, तो डॉक्टर से जाँच कराना ज़रूरी है। - त्वचा में बदलाव:
किसी तिल या मस्से का रंग, आकार या बनावट बदल रही हो, या अचानक त्वचा पीली (jaundice), गहरी या लाल होने लगे, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है। - खाँसी या साँस लेने में तकलीफ़:
यदि आपको लगातार खाँसी बनी रहती है या साँस लेने में परेशानी हो रही है, तो यह फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। - अनियमित रक्तस्राव या डिस्चार्ज:
पेशाब, मल या खाँसी के साथ खून आना, या महिलाओं को पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग होना – यह गंभीर लक्षण हो सकते हैं। - जख्म या घाव जो भर नहीं रहे:
अगर कोई चोट या जख्म बहुत समय से ठीक नहीं हो रहा, तो यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में कमी का संकेत हो सकता है।
क्या आपको इनमें से कोई लक्षण है? (कैंसर)
☐ शरीर में कोई गाँठ या सूजन जो लंबे समय से बनी हुई है
☐ अचानक वज़न कम या बढ़ जाना बिना किसी कारण
☐ पर्याप्त आराम के बाद भी लगातार थकान महसूस होना
☐ शरीर के किसी हिस्से में लगातार दर्द बना रहना
☐ त्वचा का रंग या तिल-मस्से का आकार बदलना
☐ लगातार खाँसी या साँस लेने में तकलीफ़
☐ पेशाब, मल या खाँसी के साथ खून आना
☐ कोई घाव जो बहुत समय से भर नहीं रहा
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जीवा आयुर्वेद कैंसर के इलाज के लिए एक प्राकृतिक और व्यक्तिगत तरीका अपनाता है। यहाँ इलाज सिर्फ लक्षणों को दबाने के लिए नहीं होता, बल्कि कैंसर की असली वजह को पहचानकर उसे जड़ से ठीक किया जाता है। इलाज में शरीर और मन दोनों के संतुलन पर ज़ोर दिया जाता है, ताकि आपको लंबे समय तक आराम मिल सके।
जीवा आयुनिक™ उपचार की खासियत – आपके संपूर्ण इलाज का व्यक्तिगत तरीका
- HACCP सर्टिफाइड आयुर्वेदिक दवाएँ: जीवा में मिलने वाली दवाएँ खास हर्ब्स से वैज्ञानिक तरीके से बनाई जाती हैं। ये दवाएँ शरीर को अंदर से साफ करती हैं, प्राकृतिक रूप से ठीक होने में मदद करती हैं और मानसिक संतुलन बनाए रखती हैं।
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- आयुर्वेदिक थेरपी: पंचकर्म, तेल मालिश और प्राकृतिक डिटॉक्स जैसी पारंपरिक विधियों से शरीर को विषरहित किया जाता है और अंदरूनी संतुलन दोबारा स्थापित किया जाता है।
- आहार और दिनचर्या से जुड़ी सलाह: आपके शरीर और रोग के अनुसार, जीवा के विशेषज्ञ यह बताते हैं कि क्या खाना चाहिए, कब सोना और उठना चाहिए, और किन आदतों से शरीर मज़बूत और रोगमुक्त रहेगा।
कैंसर के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ (Ayurvedic Medicines for Cancer)
अगर आप या आपके किसी अपने को कैंसर है, तो आपको ये जानकर राहत मिल सकती है कि आयुर्वेद में ऐसे कई हर्ब्स और दवाएँ हैं जो शरीर को अंदर से मज़बूत बनाकर कैंसर से लड़ने में मदद करती हैं। ये दवाएँ न सिर्फ बीमारी के लक्षणों को कम करती हैं, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immunity) और ऊर्जा को भी बढ़ाती हैं।
आइए जानते हैं कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के बारे में जो कैंसर के इलाज में उपयोगी मानी जाती हैं:
- अश्वगंधा (Ashwagandha):
यह एक शक्तिशाली रसायन है जो आपके शरीर को तनाव से लड़ने में मदद करता है और इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है। अश्वगंधा शरीर की शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव करता है। - हल्दी (Turmeric):
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) नाम का तत्व एक मज़बूत एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में सूजन को कम करता है और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सहायक होता है। यह खून को शुद्ध करता है और लीवर को भी डिटॉक्स करता है। - तुलसी (Tulsi):
तुलसी एक पवित्र और गुणकारी पौधा है जो आपके शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह आपके शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाकर कैंसर से लड़ने की ताकत देता है। - गुडूची (Guduchi):
गुडूची को 'अमृता' भी कहा जाता है, जो शरीर को फिर से ऊर्जा देने वाला हर्ब है। यह शरीर से विषैले तत्व (toxins) को निकालता है और रोगों के ख़िलाफ़ रक्षा करता है। - आँवला (Amla):
आँवला विटामिन C का प्राकृतिक स्रोत है और एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट है। यह कोशिकाओं को सुरक्षित रखता है और कैंसर बनने की प्रक्रिया को रोकने में मदद करता है। - कालमेघ (Kalmegh):
इसे राचा वेमु के नाम से भी जाना जाता है। यह हर्ब शरीर के दोषों को संतुलित करता है और इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है। शोधों के अनुसार यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता भी रखता है। - लहसुन (Garlic):
लहसुन एक सामान्य लेकिन बहुत असरदार औषधि है जो आपके शरीर में कोशिकाओं को नुकसान से बचाती है। यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने और शरीर को विषम परिस्थितियों से बचाने में मदद करती है।
इन सभी हर्ब्स को आयुर्वेदिक विशेषज्ञ आपकी स्थिति, शरीर प्रकृति (dosha), और बीमारी की गंभीरता के आधार पर मिलाकर विशेष दवाएँ तैयार करते हैं। जीवा आयुर्वेद में ऐसे हर्बल कॉम्बिनेशन बनाए जाते हैं जो सिर्फ लक्षणों को नहीं, बल्कि बीमारी की जड़ पर काम करते हैं।
अगर आप इन दवाओं को बिना सलाह के इस्तेमाल करते हैं, तो इनका पूरा फायदा नहीं मिल सकता। इसलिए यह ज़रूरी है कि आप किसी अनुभवी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करें और अपने लिए सही इलाज की दिशा तय करें।
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FAQs
अगर आप कीमोथेरपी नहीं करवाना चाहते हैं, तो आयुर्वेदिक इलाज एक प्राकृतिक विकल्प हो सकता है। इसमें शरीर को विषरहित करने, प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने और रोग की जड़ तक पहुँचने पर ज़ोर दिया जाता है। आयुर्वेदिक हर्ब्स और जीवनशैली में बदलाव के ज़रिए कैंसर से लड़ना संभव है।
आयुर्वेदिक हर्ब्स जैसे अश्वगंधा, हल्दी, लहसुन और कालमेघ शरीर की रक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकते हैं। साथ ही सही खानपान, तनाव से दूरी और नियमित व्यायाम भी इस प्रक्रिया में मदद करता है।
अगर आप कैंसर से पीड़ित हैं, तो जीवन को सकारात्मक सोच और संतुलन के साथ जीना बहुत ज़रूरी है। नियमित दिनचर्या, आयुर्वेदिक दवाएँ, हेल्दी डाइट और योग-प्राणायाम की मदद से आप शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर महसूस कर सकते हैं।
नहीं, हर कैंसर अनुवांशिक नहीं होता। आपके जीवनशैली, खानपान, धूम्रपान, तनाव, और पर्यावरणीय कारक भी कैंसर का कारण बन सकते हैं। अगर परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो सावधानी और नियमित जाँच करवाना ज़रूरी है।
हाँ, अगर आप लक्षणों को जल्दी पहचान लें और तुरंत जाँच कराएँ, तो कैंसर की शुरुआत में ही उसका इलाज संभव है। आयुर्वेद में समय पर शरीर की सफाई, दोष संतुलन और प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करके शुरुआती कैंसर को रोका जा सकता है।
हर व्यक्ति का शरीर और रोग की स्थिति अलग होती है, इसलिए इलाज का समय भी अलग हो सकता है। आयुर्वेद धीरे-धीरे लेकिन स्थायी रूप से असर करता है। सही दवाएँ, अनुशासित दिनचर्या और धैर्य से आप सकारात्मक बदलाव महसूस कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक इलाज में ज़्यादातर मामलों में ऑपरेशन की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि यहाँ बीमारी की जड़ को ठीक करने पर ध्यान दिया जाता है। लेकिन अगर कैंसर बहुत आगे बढ़ चुका हो, तो कुछ मामलों में आयुर्वेद और आधुनिक इलाज साथ मिलकर काम करते हैं।
यह आपकी स्थिति पर निर्भर करता है। अगर कैंसर शुरुआती स्तर पर है, तो आयुर्वेदिक इलाज प्रभावी हो सकता है। लेकिन अगर स्थिति गंभीर हो, तो आयुर्वेद को पूरक इलाज के रूप में आधुनिक चिकित्सा के साथ अपनाना ज़्यादा फायदेमंद हो सकता है।
हाँ, आयुर्वेद में ऐसे कई रसायन (रासायनिक टॉनिक) और हर्ब्स होते हैं जो आपकी ऊर्जा को बढ़ाते हैं। अश्वगंधा, आँवला और गुडूची जैसे हर्ब्स थकान दूर करने, शरीर को मज़बूत करने और रोग से उबरने में मदद करते हैं।
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