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क्या आप जानते हैं बेहतर आराम और पर्याप्त नींद, सीखने की क्षमता को बढ़ाता है?

इस बात से हम पूरी तरह से निश्चित है कि एक माता-पिता के रूप में आप ये ज़रूर सोचते होंगे कि आपका बच्चा जितना अधिक पढ़ाई करेगा उतना अधिक वो सीखेगा। लेकिन इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नही है, आप कितने घण्टे पढ़ाई करते है और उससे कितना सीखते हैं इसमें कोई भी समानुपात नही है। वास्तव में आपके बच्चें को बेहतर पढ़ाई करने के लिए पूरी नींद और अच्छे आराम की ज़रूरत होती है।

आपके बच्चें को कितनी नींद आवश्यक है?

शरीर की ही तरह आपके दिमाग़ को भी आराम की ज़रूरत होती है। कुछ सीखते या पढ़ते समय जब कोई नई जानकारी हम सीखते है तो ये तरंग के रूप में हमारे दिमाग़ में जाती है जिसे की दिमाग़ को व्यवस्थित कर के संग्रहित करना होता है।

इस प्रक्रिया को अच्छी तरह से पूरा करने के लिए दिमाग़ को आराम की आवश्यकता होती है। केवल अच्छे आराम के बाद ही दिमाग़ बेहतर काम कर सकता है और इसके बाद ही दिमाग़ ताज़ी न्यूरोट्रांसमीटर तरंगों का भी संचार करता है जिससे कि किसी भी चीज़ को याद रखने में आसानी होती है। अब यहाँ पर सवाल ये उठता है कि हम ये कैसे जानें कि हमें कितने घण्टे की नींद जरूर लेनी चाहिए? अलग़-अलग़ उम्र के बच्चों को अलग़ -अलग़ मात्रा में सोने की जरूरत होती है। यहाँ पर आपकी सुविधा के लिए इसका चार्ट दिया गया है।

  • 12 महीनें के बच्चे को- 14.5 घण्टे

  • 2 साल तक के बच्चों को- 13 घण्टे

  • 5 साल तक के बच्चों को- 11 घण्टे

  • 10 साल तक के बच्चो को- 10 घण्टे

  • 16 साल तक के बच्चों को- 8.5 घण्टे

बच्चों को अच्छी नींद दिलाने के नुस्खें

जैसा कि ये बेहद आसान लगता है वैसा है नही, बिस्तर पर सोने के लिए जाते ही हमेशा नींद का आ जाना आसान नही है। अतः हमने कई बार ऐसा देखा है कि पढ़ाई करते समय बच्चे बिल्कुल नींद में नज़र आते हैं और जैसे ही वो बिस्तर पर सोने के लिए जाते हैं उनकी नींद गायब हो जाती है और वो खेलना शुरू कर देते हैं।

क्या अक्सर आपके साथ ऐसा होता है? इसके लिए यहाँ पर कुछ ऐसे उपाय दिए गए हैं जिनकी मदद से आप बच्चों को उनकी पूरी नींद बिना किसी समस्या के दिलाने में कामयाब होंगे।

  • बच्चों को सोने के 2 घण्टे पहले तक टीवी मत देखने दें। टीवी की स्क्रीन से निकलने वाली किरणें मेलाटोनिन हार्मोन्स को प्रभावित करती है जो कि नींद लाने के लिए ज़िम्मेदार होता है।

  • इसी कारण से अगर सोने के कमरे में प्रकाश अधिक हो तो भी ये नींद आने में दुविधा पैदा करता है क्योंकि इससे मेलाटोनिन हार्मोन्स प्रभावित होता है।

  • अगर बच्चों के लिए रात में सोने के लिए एक निश्चित समय निर्धारित कर दिया जाए तो उन्हें उस समय तुरन्त ही नींद आ जाती है। इसीलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप बच्चों के सोने के लिए एक समय निर्धारित कीजिये।

  • सोतें समय बच्चों का आरामदेह स्थिति में होना बहुत ही आवश्यक है। इसलिए सोतें समय उनके कपड़े बिल्कुल ढीले और ऐसे होने चाहिए जिससे उन्हें उलझन ना हो।

  • वहीं सोने से पहले की कुछ ऐसी आदतें जैसे कि गर्म पानी से नहाना, हल्का संगीत सुनना भी आपको अच्छी नींद दिलाने में मदद कर सकता है।

  • इस बात का भी ध्यान रखे कि बच्चों के द्वारा दोपहर में लिया जाने वाला पॉवर नैप 20 मिनट से अधिक समय का ना हो, क्योंकि 20 मिनट से अधिक समय तक सोते रहने से वो गहरी नींद में चले जाते है। इसके बाद उठने पर बच्चो में चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है साथ ही उनका पढ़ने में भी मन नही लगेगा।

आप सोने के महत्व की बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ ना करें इसके साथ ही आपका बच्चा जिस तरीक़े से नींद को पूरा करना चाहता है उसे भी कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिये। जब वो बड़े हो जायेंगे तो उस समय रातों को जग कर काफ़ी मेहनत कर लेंगे। लेकिन अभी जब कि उनका दिमाग़ विकास करने स्थिति में है, उन्हें अच्छे आराम की ज़रूरत है ताकि वो अगले दिन सुबह उठकर अच्छे से काम कर सके।

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