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बाहर से लक्षणों को कहें अलविदा

ऑटोइम्यून रोगों के लिए जड़ से इलाज
अब संभव है जीवा आयुर्वेद के साथ

ऑटोइम्यून रोगों का आयुर्वेदिक इलाज

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ऑटोइम्यून रोगों का आयुर्वेदिक इलाज

ऑटोइम्यून रोग क्या होते हैं? (What Are Autoimmune Diseases?)

ऑटोइम्यून रोग तब होते हैं जब शरीर की इम्युनिटी प्रणाली अपने ही अंगों, ऊतकों या ग्रंथियों को दुश्मन समझकर नुकसान पहुँचाने लगती है। इसका परिणाम होता है – सूजन, दर्द, थकावट और शरीर की कार्यक्षमता में धीरे-धीरे कमी।

आज के तनावभरे जीवन, गलत खानपान, नींद की कमी और प्रदूषण के कारण ये बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। महिलाओं में 30 वर्ष के बाद इनका खतरा अधिक होता है। भारत में रूमेटॉइड अर्थराइटिस, ल्यूपस, थायरॉयड, सोरायसिस और मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियाँ आम हो चुकी हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, इन रोगों की जड़ होती है कमज़ोर पाचन अग्नि और शरीर में जमा ‘आम’ (टॉक्सिन)। जब ये आम नाड़ियों को अवरुद्ध कर देता है, तो शरीर का रक्षा तंत्र भ्रमित होकर स्वस्थ ऊतकों पर हमला करने लगता है।

जीवा आयुर्वेद में उपचार का उद्देश्य केवल लक्षणों को दबाना नहीं, बल्कि शरीर की शुद्धि, अग्नि सुधार और इम्युनिटी को पुनः संतुलित करना है ताकि रोग जड़ से समाप्त हो सके।

जीवा में इलाज किए जाने वाले ऑटोइम्यून रोगों के प्रकार (Types of Autoimmune Diseases Treated at Jiva)

  • आमवात (Rheumatoid Arthritis): जोड़ों में सूजन और दर्द। इलाज — आम शोधन, वात संतुलन और संधि संरक्षण।
  • ल्यूपस (Systemic Lupus Erythematosus): त्वचा, किडनी और जोड़ों में सूजन। इलाज — त्रिदोष संतुलन और आम निवारण।
  • थायरॉयड विकार (Thyroid Disorders): हार्मोन असंतुलन से थकान, वज़न परिवर्तन। इलाज — अग्नि सुधार और ग्रंथि कार्य पुनर्स्थापन।
  • सोरायसिस / एक्ज़िमा: त्वचा पर खुजली और लालिमा। इलाज — रक्त शुद्धि, पित्त शमन और त्वचा पोषण।
  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis): तंत्रिका क्षति से कमजोरी और संतुलन समस्या। इलाज — वात शमन और तंत्रिका पोषण।
  • सीलिएक रोग (Celiac Disease): ग्लूटन असहिष्णुता से आंतों में सूजन। इलाज — मंदाग्नि सुधार और आम निवारण।
  • फाइब्रोमायल्जिया: पूरे शरीर में दर्द और थकावट। इलाज — वात संतुलन, अभ्यंग और स्नायु पोषण।
  • विटिलिगो (श्वित्र): त्वचा पर सफेद धब्बे। इलाज — रक्त शुद्धि और त्वचा धातु पोषण।
  • एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस: रीढ़ और जोड़ों में अकड़न। इलाज — बस्ती, स्वेदन और शोधन।
  • स्क्लेरोडर्मा: ऊतकों की कठोरता। इलाज — रक्त दोष शुद्धि और वात शमन।

आयुर्वेद का दृष्टिकोण (Ayurvedic Understanding)

आयुर्वेद मानता है कि जब तीनों दोष – वात, पित्त और कफ – असंतुलित हो जाते हैं, तब पाचन शक्ति कमजोर होकर आम (Toxins) का निर्माण करती है। यही आम शरीर की नाड़ियों को जाम कर देता है और इम्युनिटी को भ्रमित कर देता है। परिणामस्वरूप शरीर अपने ही ऊतकों पर हमला करने लगता है।

इलाज का लक्ष्य है इस आम को निकालना, दोषों को संतुलित करना और शरीर को अंदर से मजबूत बनाना — ताकि भविष्य में रोग वापस न लौटे।

आयुर्वेदिक इलाज के प्रमुख लाभ (Benefits of Ayurvedic Treatment)

  • 1. जड़ से इलाज: केवल राहत नहीं, रोग के मूल कारण का समाधान।
  • 2. इम्युनिटी और पाचन में सुधार: शरीर की स्वयं-उपचार शक्ति बढ़ाना।
  • 3. प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार: 100% हर्बल औषधियाँ, बिना साइड इफेक्ट।
  • 4. जीवनशैली में सुधार: संतुलित आहार, नींद और मानसिक शांति पर फोकस।
  • 5. व्यक्तिगत इलाज: हर व्यक्ति की प्रकृति और रोग-स्थिति के अनुसार उपचार।

प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ (Key Ayurvedic Herbs)

  • अश्वगंधा: तनाव घटाकर इम्युनिटी बढ़ाती है।
  • गिलोय (Guduchi): शरीर से विषैले तत्व निकालती है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
  • हल्दी (Turmeric): सूजन और दर्द कम करने वाली प्राकृतिक औषधि।
  • आंवला: ऊतकों की मरम्मत और रक्त शुद्धि में सहायक।
  • त्रिफला: पाचन सुधारे और शरीर से आम को बाहर निकाले।
  • ब्राह्मी: मानसिक शांति और तंत्रिका शक्ति बढ़ाती है।

पंचकर्म और थेरेपी (Therapies for Autoimmune Disorders)

  • विरेचन: पित्त दोष और आम शुद्धि के लिए शोधन प्रक्रिया।
  • बस्ति: वात संतुलन और जोड़ों/नसों की राहत हेतु औषधीय एनिमा।
  • अभ्यंग: हर्बल तेल मालिश से तनाव, सूजन और जकड़न में राहत।
  • नस्य: सिर व तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोगों में उपयोगी।
  • रक्तमोक्षण: त्वचा रोग और रक्त दोष शुद्धि के लिए प्रभावी।

जीवा आयुनिक™ – व्यक्तिगत इलाज की पद्धति (Jiva Ayunique™ Approach)

  • HACCP प्रमाणित औषधियाँ: उच्च गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों के अनुरूप।
  • योग, ध्यान और माइंडफुलनेस: तनाव कम कर मानसिक शांति लाना।
  • पारंपरिक पंचकर्म: शरीर को अंदर से शुद्ध और संतुलित करना।
  • व्यक्तिगत आहार और दिनचर्या: आपकी प्रकृति के अनुसार डाइट और रूटीन।
  • निगरानी व फॉलो-अप: हर चरण पर सुधार की निरंतर समीक्षा।

इलाज शुरू करने के आसान 3 चरण (3 Easy Steps to Start Treatment)

  1. 1. परामर्श बुक करें: फोन, वीडियो कॉल या क्लिनिक विज़िट द्वारा डॉक्टर से बात करें।
  2. 2. जड़ कारण पहचानें: आपकी प्रकृति, जीवनशैली और दोष स्थिति के अनुसार निदान।
  3. 3. व्यक्तिगत इलाज शुरू करें: औषधियाँ, पंचकर्म और आहार सलाह सहित संपूर्ण उपचार।

अब देरी क्यों? आज ही शुरू करें अपना आयुर्वेदिक इलाज

यदि आप किसी भी ऑटोइम्यून रोग से जूझ रहे हैं और दवाइयाँ केवल अस्थायी राहत दे रही हैं, तो अब जड़ से इलाज का समय है। जीवा आयुर्वेद में उपचार आपकी प्रकृति के अनुसार तय होता है — ताकि आपका शरीर खुद को फिर से संतुलित कर सके।

आप चाहें तो ऑनलाइन (फोन या वीडियो कॉल) या नज़दीकी क्लिनिक विज़िट द्वारा परामर्श ले सकते हैं।

अभी अपनी निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और ऑटोइम्यून रोगों से स्थायी राहत पाएँ।

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Personalized Treatment and Medicines

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