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अगर आप एक्जिमा की खुजली, जलन और सूजन से परेशान हैं, तो आयुर्वेद में इसका प्राकृतिक और असरदार समाधान मौजूद है। जीवा आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर आपकी परेशानी की जड़ को समझकर व्यक्तिगत इलाज प्रदान करते हैं – जिसमें शामिल हैं हर्बल दवाएँ, खास आहार और जीवनशैली में बदलाव।
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एक्जिमा क्या है और आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? (What is Eczema?)
अगर आपकी त्वचा पर अक्सर खुजली, सूजन, लाल धब्बे या रुखापन रहता है, तो यह एक्जिमा हो सकता है। यह एक ऐसी त्वचा की समस्या है जिसमें स्किन की ऊपरी परत कमज़ोर हो जाती है। इससे आपकी त्वचा अपनी नमी (moisture) बनाए नहीं रख पाती और बाहरी धूल, प्रदूषण या एलर्जी से जल्दी प्रभावित हो जाती है।
एक्जिमा कई तरह का हो सकता है – जैसे एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis), कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस (Contact Dermatitis), या नुम्युलर एक्जिमा (Nummular Eczema)। किसी को बचपन से होता है, किसी को तनाव, मौसम, खानपान या किसी खास चीज़ से एलर्जी के कारण।
अब जानिए आयुर्वेद क्या कहता है
आयुर्वेद के अनुसार, एक्जिमा को विचर्चिका कहा जाता है और यह तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) के असंतुलन से होता है, लेकिन सबसे ज़्यादा पित्त और कफ दोष इसमें प्रमुख माने जाते हैं। पित्त दोष त्वचा में सूजन और जलन पैदा करता है, जबकि कफ दोष त्वचा को भारी, चिपचिपा और खुजली वाला बना देता है।
आपके शरीर में जब पाचन ठीक से नहीं होता, तो आम (toxins) बनते हैं जो खून के ज़रिए त्वचा तक पहुँचते हैं और एक्जिमा जैसे रोगों को जन्म देते हैं। इसलिए आयुर्वेद सिर्फ लक्षणों को दबाने की जगह, बीमारी की जड़ को ठीक करने पर ज़ोर देता है।
आयुर्वेदिक इलाज में खास जड़ी-बूटियों, पंचकर्म थेरेपी, सही आहार और दिनचर्या से शरीर के अंदर और बाहर दोनों का संतुलन सुधारा जाता है। यही वजह है कि आयुर्वेद में एक्जिमा का इलाज जड़ से होता है।
अगर आप भी बार-बार होने वाली खुजली, लालिमा और जलन से थक चुके हैं, तो अब वक्त है कि आप एक बार आयुर्वेद को आज़माएँ – वह भी व्यक्तिगत मार्गदर्शन के साथ।
एक्जिमा के प्रकार (Types of Eczema)
एक्जिमा एक ही तरह का नहीं होता। यह अलग-अलग लोगों में अलग लक्षणों के साथ दिखता है। अगर आप लंबे समय से खुजली, सूजन या त्वचा पर रैशेज़ से परेशान हैं, तो ज़रूरी है कि आप समझें कि आपको कौन-सा टाइप का एक्जिमा है। इससे इलाज में भी आसानी होती है।
1. एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis)
एटॉपिक डर्मेटाइटिस सबसे आम प्रकार का एक्जिमा है। अक्सर बचपन में शुरू होता है और बड़े होने पर भी बना रह सकता है। अगर आपके परिवार में किसी को अस्थमा, एलर्जी या एक्जिमा की हिस्ट्री है, तो आपको भी यह हो सकता है।
2. कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस (Contact Dermatitis)
अगर आपकी त्वचा किसी साबुन, डिटर्जेंट, कॉस्मेटिक या किसी धातु से टच होते ही लाल हो जाती है या जलन महसूस होती है, तो कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस आपके लिए हो सकता है।
3. न्यूम्युलर एक्जिमा (Nummular Eczema)
इसमें त्वचा पर सिक्के जैसे गोल-गोल चकत्ते बन जाते हैं जो बहुत खुजली करते हैं। ये ज़्यादातर ठंड के मौसम में या ड्राई स्किन वालों को होता है।
4. डायसहाइड्रोटिक एक्जिमा (Dyshidrotic Eczema)
इसमें हाथों और पैरों में छोटे-छोटे पानी वाले फोड़े बनते हैं। यह बहुत खुजली और जलन करता है।
5. सिबोरिक डर्मेटाइटिस (Seborrheic Dermatitis)
अगर आपके सिर की त्वचा या चेहरे पर सफेद पपड़ी, खुजली और रैशेज़ होते हैं, तो सिबोरिक डर्मेटाइटिस आपके लिए हो सकता है। यह डैंड्रफ से भी जुड़ा होता है।
6. न्यूरोडर्मेटाइटिस (Neurodermatitis)
अगर आप बार-बार किसी एक जगह खुजलाते हैं और वहाँ की त्वचा मोटी, रूखी और गहरी हो गई है, तो आपको यह प्रकार हो सकता है।
एक्जिमा होने के आम कारण (Common Causes of Eczema)
अगर आपकी त्वचा बार-बार सूखती है, खुजली करती है या उस पर चकत्ते बन जाते हैं, तो यह सिर्फ बाहर की समस्या नहीं होती। कई बार इसके पीछे आपकी दिनचर्या, भावनात्मक स्थिति, खानपान या वातावरण की गहरी भूमिका होती है। अगर आप बार-बार एक्जिमा से परेशान रहते हैं, तो इन कारणों पर ध्यान देना ज़रूरी है:
कमज़ोर इम्यून सिस्टम
आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति (immune system) अगर ज़्यादा एक्टिव हो जाए, तो वो छोटी-छोटी चीज़ों जैसे धूल, परफ्यूम, धुएँ को भी खतरनाक समझने लगती है और त्वचा पर सूजन और खुजली कर देती है।
आनुवांशिक कारण
अगर आपके परिवार में किसी को एक्जिमा, अस्थमा या एलर्जी रही है, तो आपको भी यह समस्या हो सकती है। यह शरीर की त्वचा को मज़बूत बनाने वाले प्राकृतिक सिस्टम को कमज़ोर बना देता है।
त्वचा की रक्षात्मक परत का कमज़ोर होना
कुछ लोगों की त्वचा में नमी रोककर रखने की क्षमता कम होती है। इससे त्वचा ड्राई और संवेदनशील हो जाती है, जिससे एक्जिमा के लक्षण जल्दी उभरते हैं।
तनाव और भावनात्मक असंतुलन
अगर आप बहुत ज़्यादा तनाव, चिंता या गुस्से में रहते हैं, तो इसका असर आपकी त्वचा पर भी पड़ता है। भावनात्मक उतार-चढ़ाव एक्जिमा को और बढ़ा सकते हैं।
बाहरी वातावरण
प्रदूषण, धूल, धुआं, अत्यधिक गर्मी या ठंडक, कम नमी वाला मौसम – ये सभी आपकी त्वचा को नुकसान पहुँचा सकते हैं और एक्जिमा को ट्रिगर कर सकते हैं।
रासायनिक उत्पादों का अधिक प्रयोग
अगर आप बहुत तेज़़ साबुन, डिटर्जेंट, परफ्यूम या स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, तो ये आपकी त्वचा की ऊपरी परत को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
खाद्य एलर्जी
कुछ लोगों को दूध, अंडा, मूंगफली आदि खाने से एक्जिमा के लक्षण बढ़ जाते हैं। अगर किसी चीज़ से खाने के बाद खुजली या सूजन हो, तो उसे पहचानना ज़रूरी है।
एक्जिमा के लक्षण (Signs and Symptoms of Eczema)
कई बार हम त्वचा की परेशानी को मामूली समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन जब ये समस्या बार-बार लौटकर आए या हर मौसम में बढ़े, तो समझ लीजिए कि यह सिर्फ सूखापन नहीं, बल्कि एक्जिमा हो सकता है। अगर आप नीचे दिए गए लक्षणों को अक्सर महसूस करते हैं, तो इसे गंभीरता से लेना ज़रूरी है।
एक्जिमा के आम लक्षण:
- लगातार खुजली होना: खासतौर पर रात में या जब आपको पसीना आता है। ये खुजली कभी-कभी इतनी बढ़ जाती है कि आप अपनी त्वचा को नोचने लगते हैं।
- रूखी और फटी हुई त्वचा: स्किन का मॉइस्चर कम हो जाता है, जिससे वह बहुत ड्राई, खिंची हुई और फटने लगती है।
- लाल या काले धब्बे: प्रभावित हिस्सों पर लालिमा या गहरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
- गांठ या दाने: त्वचा पर छोटे-छोटे दाने या फुंसियाँ निकल सकती हैं, जिनमें कभी-कभी पानी भी हो सकता है।
- त्वचा का मोटा और कठोर होना: अगर आप किसी जगह को लगातार खुजलाते हैं, तो वहाँ की स्किन मोटी, कठोर और चमड़ी जैसी हो जाती है।
- त्वचा पर छिलका उतरना या पपड़ी बनना: स्किन की ऊपरी परत उतरने लगती है या सूखी सफेद पपड़ी सी दिखने लगती है।
- जलन और हल्की सूजन: कई बार स्किन पर हल्की जलन या सूजन भी बनी रहती है, जिससे आप असहज महसूस करते हैं।
- त्वचा का संवेदनशील होना: छूने पर या हल्के कपड़े पहनने पर भी त्वचा में चुभन या परेशानी हो सकती है।
Symptoms
लगातार खुजली होना
खासतौर पर रात में या जब आपको पसीना आता है। ये खुजली कभी-कभी इतनी बढ़ जाती है कि आप अपनी त्वचा को नोचने लगते हैं।
रूखी और फटी हुई त्वचा
स्किन का मॉइस्चर कम हो जाता है, जिससे वह बहुत ड्राई, खिंची हुई और फटने लगती है।
लाल या काले धब्बे
प्रभावित हिस्सों पर लालिमा या गहरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं
गांठ या दाने:
त्वचा पर छोटे-छोटे दाने या फुंसियाँ निकल सकती हैं, जिनमें कभी-कभी पानी भी हो सकता है।
त्वचा का मोटा और कठोर होना
अगर आप किसी जगह को लगातार खुजलाते हैं, तो वहाँ की स्किन मोटी, कठोर और चमड़ी जैसी हो जाती है।
त्वचा पर छिलका उतरना या पपड़ी बनना
स्किन की ऊपरी परत उतरने लगती है या सूखी सफेद पपड़ी सी दिखने लगती है।
जलन और हल्की सूजन
कई बार स्किन पर हल्की जलन या सूजन भी बनी रहती है, जिससे आप असहज महसूस करते हैं।
त्वचा का संवेदनशील होना:
छूने पर या हल्के कपड़े पहनने पर भी त्वचा में चुभन या परेशानी हो सकती है।
Jiva Ayunique™ उपचार पद्धति – एक्जिमा के लिए सम्पूर्ण और जड़ से इलाज का तरीका
जीवा आयुर्वेद एक्जिमा का इलाज केवल लक्षणों को दबाने के लिए नहीं, बल्कि उसकी जड़ तक पहुँचकर करता है। यहाँ हर व्यक्ति की समस्या को समझकर उसके शरीर के दोषों के अनुसार इलाज तैयार किया जाता है। इसमें हर्बल दवाएँ, खास आहार, जीवनशैली और थेरेपी का ऐसा संयोजन दिया जाता है जो आपकी त्वचा को अंदर से ठीक करता है और दोबारा समस्या न हो, इसका भी ध्यान रखता है।
Jiva Ayunique™ उपचार पद्धति के मुख्य सिद्धांत
- HACCP प्रमाणित आयुर्वेदिक दवाएँ: ये वैज्ञानिक तरीकों से तैयार की गई हर्बल दवाएँ होती हैं जो आपके शरीर की सफाई करती हैं, रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाती हैं और मन को भी शांत रखती हैं।
- योग, ध्यान और सचेतन: ये आसान लेकिन असरदार तरीके हैं जो तनाव को कम करते हैं और आपके शरीर व मन को संतुलित रखते हैं।
- आयुर्वेदिक थेरेपी: पंचकर्म, हर्बल मसाज और डिटॉक्स ट्रीटमेंट जैसे पारंपरिक इलाज शरीर की अंदरूनी सफाई कर संतुलन बहाल करते हैं।
- आहार और जीवनशैली की सलाह: विशेषज्ञ डॉक्टर आपको बताते हैं कि क्या खाना है, दिनभर क्या आदतें अपनानी हैं ताकि आपका शरीर मज़बूत बने और बीमारियाँ पास न आएँ।
एक्जिमा के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ (Ayurvedic Medicines for Eczema)
अगर आप बार-बार एक्जिमा की खुजली, जलन और त्वचा पर रैशेज़ से परेशान हो चुके हैं, तो अब समय है आयुर्वेद की शरण लेने का। आयुर्वेदिक दवाएँ न सिर्फ लक्षणों को शांत करती हैं, बल्कि आपके शरीर की अंदरूनी सफाई भी करती हैं, जिससे समस्या जड़ से ठीक हो सके। नीचे दी गई आयुर्वेदिक औषधियाँ और घरेलू उपाय आपकी त्वचा को राहत देने के लिए बेहद कारगर हैं।
एक्जिमा में उपयोग होने वाली प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ और जड़ी-बूटियाँ:
- करंज (Karanj): यह एक प्रभावी एंटी-इंफ्लेमेटरी जड़ी-बूटी है। इसका तेल त्वचा की सूजन और खुजली में राहत देता है।
- दूध (Milk): ठंडा दूध त्वचा पर लगाने से लालिमा और जलन कम होती है। यह त्वचा को ठंडक पहुँचाता है।
- शहद (Honey): इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं जो त्वचा को मॉइस्चराइज करते हैं और घाव भरने में मदद करते हैं।
- नीम (Neem): नीम की पत्तियाँ या तेल त्वचा की सूजन, खुजली और संक्रमण से राहत दिलाते हैं।
- कैमोमाइल (Chamomile): इसकी चाय को त्वचा पर लगाने से जलन और खुजली में आराम मिलता है।
- नारियल तेल (Coconut oil): यह त्वचा को नमी देता है, खुजली को शांत करता है और सूजन में आराम पहुँचाता है। इसे टी ट्री ऑयल या कपूर के साथ भी मिलाकर लगाया जा सकता है।
- एलोवेरा (Aloe Vera): एलोवेरा जेल को ताज़ा पत्तों से निकालकर लगाने से त्वचा की जलन, खुजली और लालिमा में बहुत राहत मिलती है।
- तुलसी (Tulsi): तुलसी का रस या चाय त्वचा को संक्रमण से बचाता है और खुजली को शांत करता है।
- अलसी (Flaxseed): अलसी के बीज या तेल को प्रभावित जगह पर लगाने से सूजन और जलन कम होती है।
- हल्दी (Turmeric): हल्दी में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण त्वचा की एलर्जी और जलन को नियंत्रित करते हैं। यह दूध या गुलाब जल के साथ मिलाकर लगाई जाती है।
- ब्राह्मी (Brahmi): ब्राह्मी की पत्तियों का पेस्ट लगाने से त्वचा की सूजन और खुजली कम होती है।
- सेज (Sage): इसके काढ़े का सेवन त्वचा की सूजन और लाली को कम करता है।
- मंजिष्ठा (Manjistha): यह खून को शुद्ध करती है और त्वचा की गहराई से सफाई कर एक्जिमा जैसी पुरानी समस्याओं को ठीक करती है।
- खदिरारिष्ट: यह एक आयुर्वेदिक टॉनिक है जो खून को साफ करता है और त्वचा संबंधी रोगों जैसे एक्जिमा, मुँहासे और सोरायसिस में लाभकारी है।
FAQs
एक्जिमा के लिए सबसे असरदार आयुर्वेदिक दवाओं में नीम, मंजिष्ठा, करंज तेल और खदिरारिष्ट शामिल हैं। ये खून को शुद्ध करते हैं और त्वचा की सूजन, जलन और खुजली को कम करते हैं। पर सही दवा का चुनाव आपके शरीर के दोष और समस्या की जड़ पर निर्भर करता है।
एक्जिमा को जड़ से खत्म करने के लिए सिर्फ क्रीम या दवा लगाना काफ़ी नहीं है। आयुर्वेद में अंदर से शुद्धिकरण, संतुलित आहार, दिनचर्या सुधारना और पंचकर्म थेरेपी जैसे उपाय अपनाकर बीमारी की जड़ पर असर किया जाता है।
अगर आप जल्दी राहत चाहते हैं तो एलोवेरा जेल, नारियल तेल, नीम का पेस्ट और हल्दी-दूध का लेप त्वचा को तुरंत ठंडक और राहत दे सकते हैं। इसके साथ-साथ तुलसी की चाय और शहद भी मदद करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, यह पित्त और कफ दोष की गड़बड़ी, कमज़ोर पाचन, और खून में विषाक्तता (toxins) की वजह से होता है। आधुनिक नज़रिए से देखा जाए तो स्किन की नमी बनाए रखने वाली परत की कमज़ोरी और इम्यून सिस्टम की ओवरएक्टिविटी भी इसके कारण हैं।
आपको तीखा, बहुत मसालेदार, खट्टा और तला-भुना खाना नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, बहुत ठंडी चीज़ें, और ज़्यादा मीठा भी एक्जिमा को बढ़ा सकते हैं।
अगर एक्जिमा है, तो संतरा, नींबू, अमरूद जैसे खट्टे फल खाने से परहेज़ करें। ये फल शरीर में पित्त को बढ़ाते हैं जिससे खुजली और जलन ज़्यादा हो सकती है।
एक्जिमा ज़्यादातर हाथ, पैर, गर्दन, चेहरा और कोहनी-घुटनों की त्वचा को प्रभावित करता है। बच्चों में यह गालों और सिर पर ज़्यादा दिखता है जबकि बड़ों में हाथ-पैर पर ज़्यादा असर होता है।
हाँ, सर्दियों में ड्रायनेस और गर्मियों में पसीना एक्जिमा को ट्रिगर कर सकता है। मौसम बदलने पर त्वचा संवेदनशील हो जाती है, जिससे खुजली और रैशेज़ बढ़ सकते हैं।
नहीं, यह बीमारी बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकती है। हालाँकि अधिकतर मामलों की शुरुआत बचपन से होती है, लेकिन कई बार ये युवावस्था या प्रौढ़ अवस्था में भी पहली बार हो सकता है।
नहीं, केवल क्रीम लगाने से राहत मिल सकती है लेकिन पूरी तरह ठीक होने के लिए अंदर से शरीर का संतुलन बनाना ज़रूरी है। आयुर्वेद में इसके लिए खानपान, औषधियाँ और शुद्धिकरण उपाय अपनाए जाते हैं।
अगर समय पर इलाज न किया जाए तो एक्जिमा से त्वचा काली, मोटी या दागदार हो सकती है। लेकिन आयुर्वेदिक उपायों से त्वचा को धीरे-धीरे फिर से स्वस्थ बनाया जा सकता है।
हाँ, एक्जिमा क्रॉनिक (बार-बार होने वाली) बीमारी है। अगर आपने कारणों पर ध्यान नहीं दिया या नियमित इलाज नहीं किया, तो इसके लक्षण दोबारा उभर सकते हैं। आयुर्वेद में इसकी रोकथाम पर खास ज़ोर दिया जाता है।
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