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सोरायसिस के लिए आयुर्वेदिक इलाज

सोरायसिस के लिए आयुर्वेदिक इलाज

सोरायसिस एक तकलीफ़देह त्वचा रोग है, जिसमें खुजली, जलन और परतदार चकत्ते हो जाते हैं। आयुर्वेद में इसका इलाज जड़ से संभव है। जीवा आयुर्वेदा में आपको पारंपरिक चिकित्सा, हर्बल दवाइयों, सही खानपान और जीवनशैली में बदलाव के ज़रिए व्यक्तिगत इलाज मिलता है।

Symptoms

त्वचा पर लाल, सूजे हुए और परतदार चकत्ते बनना

ये चकत्ते मोटे और रूखे होते हैं और अक्सर इन पर सिल्वर या सफेद रंग की परत जम जाती है।

तेज़ खुजली और जलन

प्रभावित हिस्से में लगातार खुजली और जलन हो सकती है, जिससे नींद भी प्रभावित हो सकती है।

त्वचा का फटना और खून आना

अगर आप बार-बार खुजलाते हैं, तो स्किन की परतें फट सकती हैं और हल्का खून भी निकल सकता है।

त्वचा का अत्यधिक सूखापन और झड़ना

स्किन इतनी सूखी हो जाती है कि उससे पपड़ी गिरने लगती है।

नाखूनों में बदलाव

नाखून कमज़ोर हो सकते हैं, उनमें गड्ढे या दरारें आ सकती हैं, और रंग भी बदल सकता है।

जोड़ों में दर्द या सूजन

कुछ लोगों में सोरायसिस के साथ-साथ जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या भी होती है, जिसे 'सोरियाटिक अर्थराइटिस' कहा जाता है।

त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ जाना

हल्की-सी रगड़ या चोट भी त्वचा पर लालपन और जलन पैदा कर सकती है।

Are you going through any of these symptoms?

त्वचा पर लाल, सूजे हुए और परतदार चकत्ते बनना
तेज़ खुजली और जलन
त्वचा का फटना और खून आना
त्वचा का अत्यधिक सूखापन और झड़ना
नाखूनों में बदलाव
जोड़ों में दर्द या सूजन
त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ जाना
 

सोरायसिस क्या है? (What is Psoriasis?)

सोरायसिस (Psoriasis) एक ऑटोइम्यून त्वचा रोग है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति अपनी ही स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगती है। इसके कारण त्वचा पर लाल, खुजली वाले चकत्ते और उन पर सफेद या सिल्वर रंग की परतें बन जाती हैं।

यह संक्रामक नहीं है लेकिन इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की परेशानी हो सकती है। यह बीमारी लंबे समय तक बनी रहती है और कभी-कभी अचानक बढ़ भी जाती है, जिसे फ्लेयर-अप कहा जाता है।

आयुर्वेद में सोरायसिस को “एककुष्ठ” या “किटिभ” कहा गया है, जो मुख्यतः वात और कफ दोष के असंतुलन से होता है। शरीर में जमा आम (Toxins) त्वचा की गहराई तक पहुँचकर रोग को बढ़ाते हैं।

जीवा आयुर्वेद में इलाज का उद्देश्य केवल त्वचा की सतह को ठीक करना नहीं, बल्कि शरीर को अंदर से शुद्ध कर स्थायी राहत देना है।

सोरायसिस के प्रकार (Types of Psoriasis)

  • प्लेक सोरायसिस: सबसे आम प्रकार; लाल, उभरे हुए चकत्तों पर सिल्वर परतें बनती हैं।
  • गुटेट सोरायसिस: बच्चों और युवाओं में आम; छोटे-छोटे लाल दाने या धब्बे दिखते हैं।
  • नाखून सोरायसिस: नाखूनों में गड्ढे, दरारें या रंग बदलना।
  • इनवर्स सोरायसिस: त्वचा की सिलवटों में लाल, चिकनी त्वचा बनना।
  • पस्ट्युलर सोरायसिस: मवाद-भरे छाले बनना; गंभीर और दर्दनाक रूप।
  • एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस: पूरे शरीर पर लाल, छिलती और जलन वाली त्वचा; आपात स्थिति।

सोरायसिस के कारण (Common Causes of Psoriasis)

  • कमज़ोर इम्यून सिस्टम: शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का असंतुलन।
  • आनुवंशिकता: परिवार में इतिहास होने पर जोखिम बढ़ता है।
  • तनाव: मानसिक दबाव रोग को ट्रिगर कर सकता है।
  • त्वचा में चोट: घाव या कट लगने पर नए चकत्ते उभर सकते हैं (Koebner phenomenon)।
  • इन्फेक्शन: विशेषकर बच्चों में गले का संक्रमण।
  • दवाइयों के साइड इफेक्ट: बीटा-ब्लॉकर, लिथियम आदि।
  • मौसम: ठंडा और सूखा मौसम लक्षण बढ़ाता है।
  • हार्मोनल बदलाव: गर्भावस्था या मेनोपॉज़ में लक्षण उभरना।

सोरायसिस के लक्षण (Symptoms of Psoriasis)

  • त्वचा पर लाल, मोटे और परतदार चकत्ते बनना
  • खुजली, जलन और सूजन
  • त्वचा का फटना और हल्का खून आना
  • अत्यधिक सूखापन और पपड़ी झड़ना
  • नाखूनों में गड्ढे या रंग बदलना
  • जोड़ों में दर्द या सूजन (Psoriatic Arthritis)

आयुर्वेद क्या कहता है? (Ayurvedic View on Psoriasis)

आयुर्वेद मानता है कि जब शरीर में वात-कफ दोष असंतुलित होते हैं और आम (Toxins) जमा हो जाते हैं, तो वे रक्त और त्वचा धातु को दूषित करते हैं। परिणामस्वरूप खुजली, सूजन और परतदार चकत्ते बनते हैं।

इसलिए जीवा आयुर्वेद में इलाज का लक्ष्य शरीर को अंदर से शुद्ध कर दोषों को संतुलित करना है ताकि रोग दोबारा न लौटे।

जीवा आयुनिक™ इलाज पद्धति (Jiva Ayunique™ Treatment Approach)

  • HACCP प्रमाणित औषधियाँ: सुरक्षित हर्बल दवाएँ जो शरीर को डिटॉक्स करती हैं और त्वचा को पोषण देती हैं।
  • योग और ध्यान: तनाव घटाने और मानसिक संतुलन लाने के लिए।
  • पंचकर्म और डिटॉक्स थैरेपी: शरीर से आम और दोष निकालने के लिए।
  • आहार और जीवनशैली परामर्श: क्या खाना है और किन चीज़ों से बचना है, इसकी व्यक्तिगत सलाह।

सोरायसिस के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ (Ayurvedic Remedies for Psoriasis)

  • नीम: एंटीबैक्टीरियल और डिटॉक्स गुणों से त्वचा की सूजन कम करता है।
  • एलोवेरा: ठंडक देता है और खुजली-जलन को शांत करता है।
  • गंधक: प्राकृतिक रक्त शोधक, संक्रमण दूर करता है।
  • हल्दी: एंटी-इंफ्लेमेटरी और हीलिंग एजेंट।
  • गुडूची (गिलोय): इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है और दोष संतुलित करता है।
  • गुग्गुलु: सूजन घटाता है और त्वचा को अंदर से स्वस्थ करता है।
  • त्रिफला: डिटॉक्स और पाचन सुधारक औषधि।

सोरायसिस में बचने योग्य चीज़ें (Foods & Habits to Avoid)

  • बहुत मसालेदार, तली हुई या मांसाहारी चीज़ें
  • दही, समुद्री भोजन और शराब
  • धूप में अत्यधिक रहना या बार-बार स्क्रैच करना

सोरायसिस में उपयोगी सुझाव

  • त्वचा को हमेशा मॉइश्चराइज़ रखें।
  • हल्के साबुन और गुनगुने पानी से स्नान करें।
  • तनाव घटाने के लिए योग और ध्यान करें।
  • पर्याप्त नींद और संतुलित आहार लें।

अपने इलाज की शुरुआत करें

अगर आप सोरायसिस से परेशान हैं और बार-बार दवाओं से केवल अस्थायी राहत मिलती है, तो अब समय है आयुर्वेद की ओर लौटने का। जीवा आयुर्वेद में विशेषज्ञ आपकी प्रकृति और लक्षणों के अनुसार व्यक्तिगत उपचार योजना बनाते हैं।

आज ही निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और स्वस्थ, चमकदार त्वचा की ओर कदम बढ़ाएँ।

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  • Sunita Malik - Knee Pain
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