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लगातार बैठने से सिर्फ़ पीठ नहीं, पाचन भी बिगड़ता है – जानिए समाधान आयुर्वेद से

Information By Dr. Keshav Chauhan

सरकारी अनुसंधानों से मिली जानकारी से पता चलता है कि भारत में वयस्कों के बीच शारीरिक निष्क्रियता (physical inactivity) तेज़ी से बढ़ रही है—2022 में लगभग 45.4% भारतीय वयस्क WHO द्वारा सुझाए गए व्यायाम स्तर को पूरा नहीं कर पाए, जो 2000 में सिर्फ़ 22.4% था।

यह आँकड़ा न सिर्फ़ हैरान करने वाला है, बल्कि आपके लिए चेतावनी भी है। जब आप रोज़ाना लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, चाहे घर पर, ऑफिस में या कहीं और, तो यह सिर्फ़ पीठ दर्द तक सीमित नहीं रह जाता। यह आपके पाचन, यानी कि आपके पेट और पाचन तंत्र पर भी असर डाल सकता है।

आप शायद यह सोचते हों कि “थोड़ी देर बैठकर काम करने से क्या फ़र्क पड़ता है?” लेकिन सच यह है कि समय के साथ यह आदत आपके पाचन अग्नि (digestive fire) को कमज़ोर कर सकती है, जिससे गैस, कब्ज़, अपच और भारीपन जैसी समस्याएँ जन्म लेती हैं।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि लगातार बैठने से पाचन कैसे प्रभावित होता है, आयुर्वेद में इसका क्या वैज्ञानिक ‘व्याख्या’ है, और सबसे आवश्यक - आप इस स्थिति से कैसे बच सकते हैं, खासकर आयुर्वेद के सरल उपायों से।

लगातार बैठने से आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है? (What Effect Does Sitting Continuously Have on Your Body?)

वर्तमान समय की व्यस्त जीवनशैली में ज़्यादातर लोग दिन का बड़ा हिस्सा कुर्सी पर बैठे-बैठे गुज़ारते हैं। आप ऑफिस में घंटों कंप्यूटर पर काम करते हैं, घर पर मोबाइल या टीवी के सामने बैठते हैं और सफर के दौरान भी ज़्यादातर समय बैठे रहते हैं। यह आदत धीरे-धीरे आपके शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

लगातार बैठने का असर केवल आपकी पीठ या गर्दन तक सीमित नहीं है। जब आप बहुत देर तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं, तो:

  • मांसपेशियाँ और हड्डियाँ कमज़ोर होने लगती हैं: इससे पीठ दर्द, गर्दन का दर्द और जोड़ों में अकड़न बढ़ जाती है।

  • खून का संचार धीमा हो जाता है: पैरों में सूजन, वैरिकोज़ वेन्स और थकान जैसी समस्याएँ शुरू हो जाती हैं।

  • वज़न तेज़ी से बढ़ने लगता है: कैलोरी बर्न नहीं होती, जिससे मोटापा और उससे जुड़ी बीमारियाँ (डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर) होने का खतरा बढ़ जाता है।

  • पाचन तंत्र कमज़ोर पड़ने लगता है: यही सबसे बड़ा और अक्सर अनदेखा किया जाने वाला नुकसान है।

जब शरीर लगातार एक ही पोज़िशन में रहता है, तो आपके पेट और आँतों पर दबाव बनता है। इससे आपका पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता।

क्या लगातार बैठने से पाचन शक्ति कमज़ोर हो सकती है? (Can Sitting Continuously Weaken Your Digestive System?)

आयुर्वेद में पाचन शक्ति को जठराग्नि कहा जाता है। इसका मतलब है कि आपके शरीर के अंदर वह शक्ति, जो भोजन को तोड़कर पोषण और ऊर्जा में बदलती है। जब यह अग्नि धीमी या असंतुलित हो जाती है, तो आपको गैस, कब्ज़, भूख न लगना और भारीपन जैसी समस्याएँ महसूस होने लगती हैं।

जब आप लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो आपके पेट के अंगों पर हल्का दबाव बना रहता है। इस वजह से:

  • आँतों की गति धीमी पड़ जाती है, यानी खाना धीरे-धीरे पचता है।

  • खून का प्रवाह पेट की तरफ कम हो जाता है, जिससे पाचन एंज़ाइम्स सही मात्रा में नहीं बनते।

  • भोजन से मिलने वाली ऊर्जा कम हो जाती है, और आपको अक्सर थकान और सुस्ती महसूस होती है।

आपने खुद भी शायद महसूस किया होगा कि जब आप घंटों बैठे रहते हैं, तो खाना खाने के बाद भारीपन ज़्यादा लगता है। यह सीधे तौर पर पाचन शक्ति के कमज़ोर होने की निशानी है।

क्या लंबे समय तक बैठकर काम करने से गैस, कब्ज़ और अपच की समस्या बढ़ जाती है? (Does Sitting and Working for Long Hours Increase Gas, Constipation and Indigestion?)

लगातार बैठने की आदत का सबसे बड़ा असर आपके पेट पर पड़ता है। आप सोचते होंगे कि गैस, कब्ज़ या अपच सिर्फ़ गलत खानपान से होता है, लेकिन हकीकत यह है कि लंबे समय तक बैठे रहना भी इन समस्याओं की जड़ है।

1. गैस की समस्या

जब आप घंटों बैठे रहते हैं, तो आपके पेट और आँतों की मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। यह स्थिति गैस बनने और रुकने का कारण बनती है। अक्सर आप देखते होंगे कि ऑफिस या लंबे सफर के बाद गैस की तकलीफ़ ज़्यादा बढ़ जाती है।

2. कब्ज़ की समस्या

कब्ज़ सीधी तरह से आपकी जीवनशैली से जुड़ी होती है। बैठे-बैठे शरीर की गतिविधि बहुत कम हो जाती है। आँतें उतनी सक्रिय नहीं रहतीं, जितनी चलने या हल्का व्यायाम करने से रहती हैं। नतीजा यह होता है कि मल पूरी तरह साफ नहीं होता और कब्ज़ की समस्या बार-बार सामने आती है।

3. अपच और भारीपन

बैठकर काम करने से आपका मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है। जब खाना सही समय पर और सही तरीके से नहीं पचता, तो पेट में भारीपन, खट्टी डकारें और अपच महसूस होता है। धीरे-धीरे यही आदत बदहज़मी का कारण बनती है।

पाचन बिगड़ने के आयुर्वेदिक कारण क्या हैं? (What are the Ayurvedic Reasons for Poor Digestion?)

आयुर्वेद के अनुसार पाचन शक्ति का केंद्र है जठराग्नि, यानी वह अग्नि जो आपके खाने को ऊर्जा और पोषण में बदलती है। अगर यह अग्नि संतुलित रहे, तो आपका शरीर स्वस्थ रहता है। लेकिन जब यह कमज़ोर पड़ती है, तो शरीर में कई समस्याएँ जन्म लेती हैं।

आप जब लगातार बैठे रहते हैं और शरीर को हरकत नहीं देते, तो:

  • जठराग्नि कमज़ोर हो जाती है।

  • खाया हुआ भोजन पूरी तरह से पच नहीं पाता।

  • शरीर में आम (टॉक्सिन्स) बनने लगते हैं, जो और बीमारियों की जड़ बनते हैं।

आयुर्वेद मानता है कि असंतुलित दिनचर्या भी पाचन बिगाड़ने का बड़ा कारण है। जैसे:

  • अनियमित समय पर खाना खाना

  • देर रात तक जागना और नींद पूरी न लेना

  • जंक फूड या बहुत भारी भोजन का सेवन

  • तनाव और चिंता

इन आदतों से आपकी पाचन शक्ति धीरे-धीरे कमज़ोर हो जाती है। इसका असर आप रोज़मर्रा की जिंदगी में महसूस करते हैं।

घर पर कौन-से आसान उपाय पाचन को सही कर सकते हैं? (What Simple Home Remedies Can Help Improve Digestion?)

पाचन को ठीक करने के लिए आपको हमेशा दवाइयों पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। आपके घर की रसोई में ही ऐसी कई चीज़ें मौजूद हैं जो आपके पेट को आराम पहुँचा सकती हैं। अगर आप इन आसान उपायों को अपनाएँ, तो गैस, कब्ज़ और अपच जैसी समस्याएँ धीरे-धीरे कम हो सकती हैं।

1. अजवाइन और काला नमक

अगर आपको बार-बार गैस और पेट फूलने की समस्या होती है, तो अजवाइन और काला नमक का मिश्रण बहुत मददगार है। एक चम्मच अजवाइन में चुटकी भर काला नमक डालकर गुनगुने पानी के साथ लें। यह आपके पेट की जकड़न को कम करेगा और गैस को बाहर निकालने में मदद करेगा।

2. सौंफ और मिश्री

खाने के बाद सौंफ और मिश्री चबाना सिर्फ़ माउथ फ्रेशनर नहीं है, बल्कि यह पाचन एंज़ाइम्स को सक्रिय करता है। इससे खाना जल्दी और अच्छे से पचता है।

3. छाछ या दही

छाछ और दही दोनों ही प्रोबायोटिक होते हैं। यानी इनमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो आपकी आँतों को मज़बूत बनाते हैं। अगर आपको अक्सर पेट भारी लगता है, तो खाने के साथ या बाद में एक गिलास छाछ ज़रूर लें। इसमें थोड़ा भुना हुआ जीरा पाउडर और काला नमक डालने से और भी फ़ायदा होगा।

4. नींबू और शहद

सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू और शहद लेना शरीर को डिटॉक्स करता है और पाचन को सुधारता है। यह तरीका कब्ज़ को दूर करता है और आपको दिनभर हल्का और शक्तिशाली महसूस कराता है।

5. गुनगुना पानी

अगर आप दिनभर बहुत ठंडा पानी पीते हैं, तो पाचन धीमा हो जाता है। गुनगुना पानी पीने से आँतों की गति बेहतर होती है और खाना जल्दी पचता है। सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पीने की आदत आपके लिए बहुत फ़ायदेमंद हो सकती है।

क्या तनाव और चिंता भी पाचन को बिगाड़ सकते हैं? (Can Stress and Anxiety Also Impair Digestion?)

आपने अक्सर महसूस किया होगा कि जब आप तनाव में होते हैं, तो खाना खाने का मन नहीं करता या फिर खाना खाने के बाद पेट में जलन और भारीपन बढ़ जाता है। यह कोई संयोग नहीं है।

जब आप लगातार तनाव या चिंता में रहते हैं, तो शरीर का पूरा सिस्टम प्रभावित होता है। तनाव के समय शरीर एक तरह की "लड़ो या भागो" वाली स्थिति में चला जाता है। ऐसे में पाचन एंज़ाइम्स कम बनने लगते हैं और खून का प्रवाह पेट की तरफ कम हो जाता है। नतीजा - भोजन पूरी तरह पचता नहीं है।

तनाव और चिंता से जुड़े कुछ असर, जो आप रोज़ महसूस कर सकते हैं:

  • एसिडिटी और खट्टी डकारें बार-बार होना।

  • भूख का कम या ज़्यादा लगना (कभी बिल्कुल मन न करना, कभी ज़रूरत से ज़्यादा खाना)।

  • तनाव में स्नैकिंग यानी बार-बार चाय, बिस्किट या जंक फूड खाना।

  • नींद की कमी, जो पाचन को और कमजोर करती है।

अगर आप लंबे समय तक बैठे-बैठे काम करते हैं और उसी के साथ तनाव भी ज़्यादा है, तो इसका सीधा असर आपके पाचन तंत्र पर पड़ेगा। इसलिए तनाव को नियंत्रित करना उतना ही ज़रूरी है जितना अच्छा खाना खाना। ध्यान, प्राणायाम और समय पर आराम आपकी मदद कर सकते हैं।

क्या बार-बार चाय और कॉफी पीना पाचन पर असर डालता है? (Does Frequent Drinking of Tea and Coffee Affect Digestion?)

ऑफिस में बैठकर काम करने वालों के लिए चाय और कॉफी एक आम आदत है। थकान दूर करने और नींद भगाने के लिए आप दिन में कई बार कप उठाते होंगे। लेकिन क्या आपने सोचा है कि यह आदत आपके पाचन पर कैसा असर डालती है?

चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन थोड़ी मात्रा में शरीर को सतर्क और एक्टिव रखती है, लेकिन जब आप इसे ज़्यादा मात्रा में लेने लगते हैं, तो यह पाचन तंत्र के लिए हानिकारक बन जाती है।

  • एसिडिटी और गैस: चाय और कॉफी पेट में एसिड का स्तर बढ़ा देती हैं। ज़्यादा लेने पर जलन, खट्टी डकारें और गैस की समस्या बढ़ती है।

  • डिहाइड्रेशन: कैफीन शरीर से पानी बाहर निकालता है। अगर आप पानी कम और चाय/कॉफी ज़्यादा पीते हैं, तो कब्ज़ की समस्या बढ़ सकती है।

  • ब्लोटिंग और पेट फूलना: बार-बार चाय पीने से पेट फूला हुआ लगता है और भारीपन बना रहता है।

  • भूख पर असर: चाय या कॉफी पीकर आपको थोड़ी देर के लिए भूख नहीं लगती, लेकिन बाद में यही आदत पाचन गड़बड़ कर देती है।

आप अगर सोचते हैं कि "बस एक कप और पी लूँ तो ठीक लगेगा", तो यह धीरे-धीरे आदत बन सकती है। सही तरीका यह है कि आप दिनभर में सीमित मात्रा में ही चाय या कॉफी लें। साथ ही, हर कप के बाद पर्याप्त पानी पिएँ ताकि डिहाइड्रेशन न हो।

पाचन मज़बूत करने के लिए दिनचर्या में क्या बदलाव ज़रूरी हैं? (What Changes in Your Daily Routine are Necessary to Improve Digestion?)

पाचन सिर्फ़ इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आप क्या खाते हैं, बल्कि इस पर भी निर्भर करता है कि आप कैसे और कब खाते हैं। अगर आपकी दिनचर्या असंतुलित है, तो सबसे अच्छा खाना भी सही से नहीं पचेगा। इसलिए आपको कुछ आसान लेकिन असरदार बदलाव अपनी लाइफस्टाइल में करने होंगे।

1. समय पर भोजन करें

अगर आप कभी सुबह का नाश्ता छोड़ देते हैं और कभी देर रात को भारी खाना खा लेते हैं, तो यह आपकी पाचन शक्ति को कमज़ोर कर देता है। कोशिश करें कि आप रोज़ाना निश्चित समय पर भोजन करें। इससे आपके शरीर की आंतरिक घड़ी (biological clock) ठीक रहती है और खाना अच्छे से पचता है।

2. खाना चबा-चबाकर खाएँ

जल्दी-जल्दी खाना खाने से खाना अधूरा पचता है और भारीपन होता है। अगर आप हर निवाले को अच्छी तरह चबाकर खाएँगे, तो लार के एंज़ाइम्स खाना पचाने में मदद करेंगे। यह आदत कब्ज़ और अपच से बचाने का आसान तरीका है।

3. पर्याप्त पानी पिएँ

पानी की कमी से भी पाचन बिगड़ता है। अगर आप दिनभर कम पानी पीते हैं, तो कब्ज़ की समस्या बार-बार होगी। दिन में कम से कम 7-8 गिलास पानी पिएँ। पर ध्यान रखें कि खाना खाने के तुरंत बाद बहुत ज़्यादा पानी न पिएँ।

4. बीच-बीच में चलते रहें

अगर आप ऑफिस में लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो हर घंटे में कम से कम 5 मिनट के लिए खड़े होकर चलें। छोटी-छोटी वॉक आपके पाचन को एक्टिव करती है और पेट फूलने की समस्या कम करती है।

5. पर्याप्त नींद लें

नींद की कमी सीधा असर आपके पाचन पर डालती है। जब आप ठीक से नहीं सोते, तो शरीर की अग्नि कमज़ोर पड़ जाती है और खाना पूरी तरह पचता नहीं है। रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद आपके पाचन को संतुलित रखती है।

6. तनाव से बचें

तनाव और चिंता पाचन को बिगाड़ने का सबसे बड़ा कारण है। जब आप तनाव में होते हैं, तो पाचन एंज़ाइम्स कम बनते हैं और खाना भारी लगता है। ध्यान (Meditation) या गहरी साँस लेने की आदत आपके पाचन को मज़बूत बना सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

दिनभर कुर्सी पर बैठे रहना सिर्फ़ आपकी पीठ को नहीं, बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी कमज़ोर कर देता है। जब पेट की शक्ति कम होती है, तो गैस, कब्ज़ और भारीपन जैसी छोटी-छोटी लगने वाली समस्याएँ भी बड़ी परेशानी का कारण बन जाती हैं। अगर आप चाहते हैं कि शरीर हल्का लगे, ऊर्जा बनी रहे और बीमारियाँ पास न आएँ, तो बैठने की आदतों में बदलाव ज़रूरी है।

अगर आप लंबे समय से पाचन की समस्याओं से परेशान हैं, तो इंतज़ार न करें। अपने स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत परामर्श के लिए आज ही हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से संपर्क करें। कॉल करें: 0129-4264323

FAQs

पाचन तंत्र को मज़बूत करने के लिए कौन से घरेलू उपाय हैं?
आप सौंफ, अजवाइन, नींबू-शहद और छाछ का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही गुनगुना पानी पीना और हल्की वॉक करना भी पाचन मज़बूत करने में मदद करता है।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा पाचन तंत्र कमज़ोर है?
अगर आपको बार-बार गैस, कब्ज़, पेट फूलना, भूख न लगना और खाने के बाद भारीपन महसूस होता है, तो यह संकेत है कि पाचन तंत्र कमज़ोर हो रहा है।

पेट का डाइजेशन खराब होने पर क्या करें?
आप हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएँ, गुनगुना पानी पिएँ और ज़्यादा मसालेदार या तैलीय भोजन से बचें। ज़रूरत लगे तो आयुर्वेदिक चूर्ण या घरेलू नुस्खा लें।

यदि पाचन तंत्र अपना कार्य ठीक से न करे तो क्या होगा?
अगर पाचन तंत्र ठीक से काम न करे, तो शरीर को पोषण नहीं मिलेगा। इससे कमज़ोरी, थकान और समय के साथ गंभीर बीमारियों की संभावना बढ़ सकती है।

पाचन के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?
हर व्यक्ति के लिए दवा अलग हो सकती है, लेकिन सामान्य तौर पर त्रिफला चूर्ण और हिंगवाष्टक चूर्ण पाचन को मज़बूत बनाने और पेट की समस्याओं में बहुत असरदार मानी जाती हैं।

क्या ज़्यादा देर तक खाली पेट रहना पाचन पर असर डालता है?
हाँ, लंबे समय तक खाली पेट रहने से अग्नि असंतुलित हो सकती है। इससे एसिडिटी, जलन और कमज़ोरी महसूस होती है। समय पर हल्का और संतुलित खाना ज़रूरी है।

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