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डेंगू का आयुर्वेदिक इलाज

जीवा आयुर्वेद के साथ पाएँ डेंगू बुखार का प्राकृतिक और सम्पूर्ण आयुर्वेदिक इलाज। यहाँ आपको मिलती है व्यक्तिगत समस्या के अनुसार बनी उपचार योजना, जिसमें शामिल हैं आयुर्वेदिक दवाएँ, जड़ी-बूटियाँ, खानपान में बदलाव और जीवनशैली में सुधार। आज ही करें जीवा के प्रमाणित विशेषज्ञों से निःशुल्क परामर्श बुक।

डेंगू क्या है और आयुर्वेद इस बारे में क्या कहता है? (What is Dengue?)

अगर आप या आपके आसपास किसी को अचानक तेज़ बुखार, बदन दर्द, आँखों के पीछे दर्द, थकान या रैशेज़ हो रहे हैं, तो ये डेंगू के लक्षण हो सकते हैं। डेंगू एक वायरल बुखार है जो एडीज़ एजिप्टी (Aedes aegypti) नाम की मादा मच्छर के काटने से होता है। ये मच्छर आमतौर पर दिन के समय काटता है, खासकर सुबह और शाम के समय।

डेंगू के चार प्रकार के वायरस होते हैं और अगर आपको एक बार डेंगू हो चुका है, तो दूसरी बार किसी और टाइप के वायरस से संक्रमित होने पर बीमारी ज़्यादा गंभीर हो सकती है। कई बार डेंगू बुखार गंभीर रूप ले लेता है, जिसे गंभीर डेंगू या डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Dengue Hemorrhagic Fever) कहा जाता है। इसमें शरीर के अंदर ब्लीडिंग (खून बहना), प्लेटलेट्स की संख्या का गिरना और अंगों में सूजन जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं।

अब अगर बात करें आयुर्वेद की, तो आयुर्वेद में डेंगू को दंडक ज्वर कहा गया है। यह एक प्रकार का अगन्तुज ज्वर (बाहरी कारणों से उत्पन्न बुखार) माना जाता है, जो शरीर में दोषों के असंतुलन, विशेष रूप से पित्त और कफ के बढ़ने से होता है। जब मच्छर के माध्यम से विषाणु शरीर में प्रवेश करता है, तो वह रक्त (blood) और ओजस (शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति) को प्रभावित करता है। इससे शरीर कमज़ोर हो जाता है और बीमारी जल्दी पकड़ में आ जाती है।

आयुर्वेद का मानना है कि अगर आप अपने शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत रखें और समय रहते सही जड़ी-बूटियों और जीवनशैली में बदलाव अपनाएँ, तो आप न केवल डेंगू से जल्दी उबर सकते हैं, बल्कि दोबारा बीमार होने से भी बच सकते हैं।

जीवा आयुर्वेद में आपको डेंगू के लिए पूरी तरह व्यक्तिगत और जड़ों से इलाज मिलता है, जो केवल लक्षणों को नहीं, बल्कि बीमारी की जड़ को ठीक करने पर ध्यान देता है।

डेंगू होने के आम कारण (Common Causes of Dengue)

डेंगू एक आम वायरल बीमारी बन गई है, खासकर बारिश और गर्मी के मौसम में। अगर आप थोड़ा भी लापरवाह हो जाएँ, तो डेंगू का मच्छर आपका शरीर कमज़ोर कर सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप इसके कारणों को जानें और समय रहते खुद को सुरक्षित रखें।

डेंगू होने के आम कारण:

  • रुका हुआ या जमा हुआ पानी: आपके घर के आसपास अगर कहीं भी पानी जमा है जैसे कूलर, पुराने टायर, गमले, बाल्टी, छत पर रखे बर्तन तो वहाँ डेंगू फैलाने वाले मच्छर बहुत तेज़ी से पनपते हैं।

  • साफ-सफाई की कमी: अगर आप आसपास की सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं, तो गंदगी और नमी वाले इलाकों में मच्छरों का बसेरा बन जाता है, जिससे डेंगू का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

  • बिना पूरी आस्तीन के कपड़े पहनना: जब आप दिन में घर से बाहर जाते हैं और पूरी तरह से शरीर ढक कर नहीं रखते, तो मच्छरों के काटने की संभावना बढ़ जाती है।

  • खिड़की-दरवाज़े पर जाली का न होना: अगर आप मच्छरदानी या खिड़की-दरवाजों पर जाली नहीं लगाते हैं, तो मच्छर आसानी से घर में घुसकर आपको संक्रमित कर सकते हैं।

  • दिन में सोना: डेंगू फैलाने वाले मच्छर खासकर दिन में ज़्यादा एक्टिव होते हैं। अगर आप दिन के समय सोते हैं और मच्छरों से सुरक्षा नहीं रखते, तो संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

  • मच्छर मारने वाले साधनों का उपयोग न करना: अगर आप अपने घर में मच्छर भगाने वाली क्रीम, कॉइल, लिक्विड या स्प्रे का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो आप मच्छरों को खुला मौका दे रहे हैं।

डेंगू के जोखिम बढ़ाने वाले कारक (Risk Factors)

  • बारिश के मौसम में रहना: इस मौसम में पानी अधिक जमा होता है और मच्छर तेज़ी से फैलते हैं।

  • तटीय या उष्णकटिबंधीय इलाकों में रहना या यात्रा करना: अगर आप ऐसी जगह रहते हैं या वहाँ घूमने जा रहे हैं, जहाँ डेंगू आम है, तो आपको सावधान रहना चाहिए।

  • पिछले सालों में डेंगू हो चुका है: यदि आपको पहले डेंगू हो चुका है, तो दोबारा किसी अन्य प्रकार के वायरस से संक्रमण होने पर डेंगू ज़्यादा गंभीर रूप ले सकता है।

  • बच्चों और बुज़ुर्गों का कमज़ोर इम्यून सिस्टम: इनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिससे बीमारी जल्दी पकड़ लेती है और गंभीर रूप ले सकती है।

डेंगू के लक्षण (Signs and Symptoms of Dengue)

अगर आप अचानक तेज़ बुखार, बदन टूटने या थकान महसूस कर रहे हैं, तो यह सिर्फ मौसम का असर नहीं हो सकता। डेंगू के लक्षण कई बार सामान्य बुखार जैसे लग सकते हैं, लेकिन अगर आप ध्यान दें, तो कुछ खास संकेत होते हैं जो डेंगू की तरफ इशारा करते हैं। अगर इन लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए, तो इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है।

डेंगू के आम लक्षण और संकेत:

  • तेज़ बुखार: अचानक 102 से 104 डिग्री तक का तेज़ बुखार आना, जो 2-7 दिन तक बना रह सकता है।

  • आँखों के पीछे दर्द: सिरदर्द के साथ आँखों के पीछे तेज़ दर्द होना, जो आँखें हिलाने पर और बढ़ जाता है।

  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: हाथ-पैर और पूरे शरीर में दर्द होना, जिसे आम बोलचाल में “हड्डी तोड़ बुखार” भी कहा जाता है।

  • थकान और कमज़ोरी: शरीर में बहुत ज़्यादा थकावट महसूस होना, चलने-फिरने का मन न करना।

  • स्किन पर चकत्ते: शरीर पर लाल दाने या चकत्ते निकलना, जो अक्सर बुखार के दूसरे या तीसरे दिन दिखाई देते हैं।

  • भूख न लगना और मिचली आना: पेट में भारीपन, भूख कम लगना और कई बार उल्टी जैसा महसूस होना।

  • हल्का खून आना: नाक से खून आना, मसूड़ों से खून बहना या पेशाब में खून के निशान आना – यह डेंगू के गंभीर रूप की निशानी हो सकती है।

  • प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट: शरीर में प्लेटलेट्स की कमी के कारण कमज़ोरी, चक्कर और बेहोशी तक हो सकती है। ये लक्षण अक्सर टेस्ट कराने पर ही पता चलते हैं।

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Symptoms

तेज़ बुखार

अचानक 102 से 104 डिग्री तक का तेज़ बुखार आना, जो 2-7 दिन तक बना रह सकता है।

आँखों के पीछे दर्द

सिरदर्द के साथ आँखों के पीछे तेज़ दर्द होना, जो आँखें हिलाने पर और बढ़ जाता है।

मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द

हाथ-पैर और पूरे शरीर में दर्द होना, जिसे आम बोलचाल में “हड्डी तोड़ बुखार” भी कहा जाता है।

थकान और कमज़ोरी

शरीर में बहुत ज़्यादा थकावट महसूस होना, चलने-फिरने का मन न करना।

स्किन पर चकत्ते

शरीर पर लाल दाने या चकत्ते निकलना, जो अक्सर बुखार के दूसरे या तीसरे दिन दिखाई देते हैं।

भूख न लगना और मिचली आना

पेट में भारीपन, भूख कम लगना और कई बार उल्टी जैसा महसूस होना।

हल्का खून आना

नाक से खून आना, मसूड़ों से खून बहना या पेशाब में खून के निशान आना – यह डेंगू के गंभीर रूप की निशानी हो सकती है।

प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट

शरीर में प्लेटलेट्स की कमी के कारण कमज़ोरी, चक्कर और बेहोशी तक हो सकती है। ये लक्षण अक्सर टेस्ट कराने पर ही पता चलते हैं।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से जूझ रहे हैं?

तेज़ बुखार
आँखों के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
थकान और कमज़ोरी
स्किन पर चकत्ते
भूख न लगना और मिचली आना
हल्का खून आना
प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट
 

जीवा आयुनिक™ इलाज पद्धति – डेंगू के लिए एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

जीवा आयुर्वेद डेंगू के इलाज के लिए एक प्राकृतिक और सम्पूर्ण तरीका अपनाता है। यहाँ इलाज सिर्फ बुखार या दर्द जैसे लक्षणों को दबाने के लिए नहीं होता, बल्कि बीमारी की जड़ पर काम किया जाता है। हर व्यक्ति के शरीर और लक्षणों के हिसाब से इलाज तैयार किया जाता है, जिससे शरीर की अंदरूनी ताकत (ओजस) बढ़े और आप पूरी तरह स्वस्थ हो सकें।

जीवा आयुनिक™ इलाज पद्धति के मूल सिद्धांत

  • आयुर्वेदिक दवाएँ जो HACCP प्रमाणित और सुरक्षित हैं: जीवा की दवाएँ वैज्ञानिक तरीके से तैयार की जाती हैं और ये शरीर को अंदर से साफ करने, ठीक करने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।
  • योग, ध्यान और शांति के उपाय: तनाव कम करने और मानसिक सुकून पाने के लिए जीवा आपको योग, ध्यान और माइंडफुलनेस जैसे आसान लेकिन असरदार उपायों की सलाह देता है।
  • परंपरागत आयुर्वेदिक इलाज: पंचकर्म, तेल मालिश और शरीर को डिटॉक्स करने वाली प्रक्रियाएँ आपके शरीर की गहराई से सफाई कर उसे फिर से संतुलित करती हैं।
  • खानपान और दिनचर्या में सुधार: आपको क्या खाना है, कैसे जीना है – इस पर जीवा के विशेषज्ञ आपकी बीमारी और शरीर के अनुसार खास सलाह देते हैं, ताकि आप अंदर से मज़बूत रहें और दोबारा बीमार न हों।

डेंगू के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ (Ayurvedic Medicines for Dengue)

अगर आप डेंगू से जूझ रहे हैं या किसी अपने को इससे राहत दिलाना चाहते हैं, तो आयुर्वेदिक दवाएँ आपके लिए एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकती हैं। आयुर्वेद शरीर की प्राकृतिक शक्ति (ओजस) को बढ़ाकर बीमारी से लड़ने में मदद करता है, और लक्षणों को जड़ से ठीक करने पर ज़ोर देता है। नीचे हमने ऐसी प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों की सूची दी है, जो डेंगू के दौरान शरीर को ताकत देती हैं और रिकवरी में सहायक होती हैं।

डेंगू में उपयोगी आयुर्वेदिक औषधियाँ और जड़ी-बूटियाँ:

  • पपीते के पत्ते (Papaya Leaves): पपीते के पत्तों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में सहायक होते हैं। ये खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को बेहतर बनाते हैं, जिससे ब्लीडिंग की संभावना कम हो जाती है और रिकवरी तेज़ होती है।
  • गिलोय (Giloy / Guduchi / Amrita): गिलोय को आयुर्वेद में अमृता कहा गया है, यानी अमरता देने वाली जड़ी-बूटी। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करता है, बुखार कम करता है और सूजन को भी नियंत्रित करता है। डेंगू जैसी वायरल बीमारियों में यह शरीर को अंदर से लड़ने की ताकत देता है।
  • नीम (Neem): नीम में मौजूद एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण शरीर को वायरस के असर से बचाने में मदद करते हैं। यह खून को शुद्ध करता है और शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूती देता है, जिससे डेंगू वायरस के बढ़ने की गति धीमी हो जाती है।
  • तुलसी (Tulsi / Holy Basil): तुलसी न केवल बुखार को कम करती है, बल्कि यह श्वसन तंत्र को भी बेहतर बनाती है, जिससे साँस से जुड़ी समस्याएँ दूर होती हैं। साथ ही, यह शरीर को डेंगू के दौरान होने वाले अन्य संक्रमणों से भी बचाने में सहायक होती है।
  • एलोवेरा (Aloe Vera): एलोवेरा के शीतल गुण डेंगू में होने वाले मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को शांत करते हैं। इसका सेवन शरीर में पानी की कमी को दूर करता है और त्वचा पर होने वाले रैशेज़ को भी कम करता है। यह शरीर के उपचार प्रक्रिया को तेज़ करता है।
  • हल्दी (Haldi / Turmeric): हल्दी अपने प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण डेंगू में बेहद लाभकारी होती है। यह बुखार और दर्द को कम करती है, साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मज़बूत करती है।
  • मेथी (Fenugreek Seeds): मेथी का उपयोग शरीर के दर्द और बुखार को शांत करने के लिए किया जाता है। यह शरीर को अंदर से ठंडक देती है और थकावट को कम करती है।
  • संतरे का रस (Orange Juice): संतरे के रस में भरपूर मात्रा में विटामिन-C होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा को मज़बूत करता है। यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और रिकवरी की प्रक्रिया को तेज़ करता है।
  • गेहूं का घास (Wheatgrass): गेहूं के घास में मौजूद क्लोरोफिल खून बनाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। यह प्लेटलेट्स को बढ़ाने में भी मदद करता है और शरीर को ताज़गी देता है।
  • कलामेघ (Kalmegh / Andrographis Paniculata): यह एक जानी-मानी प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी है। इसे "भारतीय इचिनेशिया" भी कहा जाता है। डेंगू के वायरस से लड़ने और प्लेटलेट्स की संख्या को स्थिर बनाए रखने में यह बेहद असरदार मानी जाती है।

अगर आप इन आयुर्वेदिक दवाओं का सही तरीके से और नियमित उपयोग करें, तो डेंगू से जल्दी राहत मिल सकती है। ध्यान रखें कि किसी भी जड़ी-बूटी का सेवन शुरू करने से पहले जीवा के प्रमाणित आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें, ताकि आपको आपकी स्थिति के अनुसार सही दिशा मिल सके।

FAQs

डेंगू में आयुर्वेदिक इलाज के रूप में पपीते के पत्ते, गिलोय, तुलसी, नीम, एलोवेरा, हल्दी और गेहूं का घास जैसे प्राकृतिक उपाय काफ़ी कारगर माने जाते हैं। ये जड़ी-बूटियां शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर वायरस से लड़ने में मदद करती हैं और प्लेटलेट्स की संख्या को भी संतुलित रखने में सहायक होती हैं।

अगर डेंगू के लक्षण हल्के हैं और आप शुरू से ही गिलोय, तुलसी, हल्दी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के साथ सही खानपान और आराम पर ध्यान देते हैं, तो दवा की ज़रूरत नहीं पड़ती। लेकिन अगर बुखार लगातार बना रहे या प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाएँ, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।

आपको ऐसा खाना लेना चाहिए जो हल्का और आसानी से पचने वाला हो। जैसे ताज़े फल (संतरा, अनार), नारियल पानी, दलिया, मूंग की खिचड़ी और उबली हुई सब्ज़ियाँ। इससे शरीर को पोषण मिलेगा, ऊर्जा बनी रहेगी और रिकवरी में तेज़ी आएगी। तली-भुनी चीज़ें और मसालेदार खाना बिल्कुल न खाएँ।

अगर आप समय पर सही खानपान, आराम और आयुर्वेदिक उपाय जैसे पपीते के पत्तों का रस, गेहूं के घास का जूस और एलोवेरा जूस अपनाते हैं, तो आमतौर पर 4 से 7 दिनों में प्लेटलेट्स की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। गंभीर मामलों में रिकवरी में थोड़ा ज़्यादा समय लग सकता है।

अगर आप डेंगू से जल्दी राहत पाना चाहते हैं, तो आपको आराम करना चाहिए, खूब पानी और नारियल पानी पीना चाहिए, और सुपाच्य खाना जैसे खिचड़ी और दलिया लेना चाहिए। इसके साथ-साथ गिलोय, पपीते के पत्ते और तुलसी जैसी जड़ी-बूटियों का सेवन करें, जो बुखार कम करने और बीमारी से उबरने में मदद करते हैं।

डेंगू में शरीर को हाइड्रेट और पोषित रखने के लिए संतरे का रस, अनार का रस, पपीते के पत्तों का रस, नारियल पानी और गेहूं के घास का जूस बहुत फ़ायदेमंद होता है। ये न केवल इम्युनिटी को बेहतर बनाते हैं, बल्कि प्लेटलेट्स को भी बढ़ाने में मदद करते हैं।

डेंगू के दौरान और उसके बाद कम से कम 7 से 10 दिन का पूरा आराम ज़रूरी होता है। इस समय शरीर को बार-बार थकाने से बचें, खूब पानी पिएँ और नींद पूरी करें ताकि आपकी रिकवरी पूरी तरह से हो सके और आप फिर से पहले जैसा महसूस कर सकें।

हाँ, डेंगू चार अलग-अलग वायरस से फैलता है। एक बार अगर किसी एक वायरस से संक्रमण हो चुका हो, तो अगली बार दूसरे प्रकार का वायरस संक्रमित कर सकता है। दूसरी बार होने पर बीमारी पहले से ज़्यादा गंभीर रूप ले सकती है, इसलिए सतर्क रहना ज़रूरी है।

बिल्कुल। मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले उपाय आपको नए मच्छर के काटने से बचाते हैं, जबकि जड़ी-बूटियां अंदर से आपकी इम्युनिटी को मज़बूत करती हैं। दोनों का इस्तेमाल साथ-साथ करने से डेंगू से जल्दी उबरने और दोबारा होने से बचने में मदद मिलती है।

अगर आपका बुखार बहुत ज्यादा नहीं है और शरीर में कमज़ोरी नहीं है, तो आप गुनगुने पानी से हल्का स्नान कर सकते हैं। इससे शरीर में ताज़गी बनी रहती है और मन भी हल्का लगता है। लेकिन ठंडे पानी से बिल्कुल न नहाएँ क्योंकि इससे स्थिति बिगड़ सकती है।

आयुर्वेद में डेंगू से बचाव के लिए रोज़ सुबह गिलोय का रस, तुलसी की पत्तियाँ और नीम का सेवन करने की सलाह दी जाती है। ये सभी इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाती हैं और शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती हैं।

डेंगू के बाद शरीर बहुत कमज़ोर हो जाता है, इसलिए आप एलोवेरा जूस, त्रिफला चूर्ण, अश्वगंधा और हल्दी वाला दूध ले सकते हैं। साथ ही पौष्टिक भोजन, भरपूर पानी, गहरी नींद और हल्का योग-प्राणायाम आपकी ऊर्जा वापस लाने में मदद करेंगे।

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