कभी कभी जोड़ों, जैसे कंधों और घुटनों में अकड़न या दर्द उठना आम बात है। लेकिन यदि आपके कंधे में एक लम्बे समय से दर्द बढ़ता जारहा है, और आपकी कन्धा घुमाने की क्षमता कम होती जारही है, तो संभव है की आप फ्रोज़न शोल्डर से गुज़र रहे हैं। आइये जानते हैं इस स्थिति के बारे में और जानते हैं कि इसके कौन से चरण (stage) पर कौन सा उपचार सटीक होता है।
फ्रोज़न शोल्डर क्या है?
फ्रोज़न शोल्डर कंधे के जोड़ की एक ऐसी स्थिति है, जिसमें इसको ढकने वाला संन्योजी ऊतक (capsule), सूज जाता है और मोटा हो जाता है, जिससे कंधे कि गायिशीलता पे नकारात्मक प्रभाब पढ़ता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह एक वात दोष के असंतुलन से होने वाला रोग है। इसके साथ साथ, पाचन अग्नि धीमी होने के कारण शरीर में अमा (विशक्त पदार्थ) इकट्ठे होने शुरू होजाते हैं, जिससे शरीर के स्रोतों में अवरोध पैदा होना शुरू होजाता है। यही अवरोध कंधे के जोड़ को भी जकड लेता है और दर्द और अकड़न पैदा करता है।
लक्षण
यह बीमारी सिर्फ एक चरण (stage) में रूप नहीं लेती। बल्कि इसकी प्रगति काई चरणों से होकर गुज़रती है। हर चरण में इसके लक्षण अलग होते हैं और यह पूरे तरीके से ठीक होने में लगभग एक से दो साल लगा देती है। आइए जानते हैं इसके चरण विशिष्ट लक्षण:
- फ़्रीज़िंग स्टेज: इस चरण में धीरे धीरे बढ़ता है, और अक्सर रात में या करवट लेने पर अधिक होता है। गति की क्षमता सीमित होने लगती है, और ऐसा आमतौर पर 2 से 3 महीने चलता है।
- फ्रोज़न स्टेज: इस चरण में आके कंधे का जमना पूरे तरीके से चरम पर होता है। दर्द में कमी महसूस हो सकती है लेकिन अकड़न काफ़ी बढ़ जाती है। रोज़मर्रा के कार्य करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है और यह स्थिति 4 से 12 महीने तक रह सकती है।
- थॉइंग स्टेज: इस चरण में कन्धा धीरे धीरे खुलना शुरू होजाता है। गति में सुधार आने लगता है और दर्द भी कम होता हुआ महसूस होता है। यह अवस्था 6 महीने से 2 साल तक चल सकती है।
कारण
फ्रोज़न शोल्डर का देखा जाने वाला कारण तो यह है कि यह कंधे के चारों ओर जो कैप्सूल होती है, उसके उसके सूजने और उसपे स्कार ऊतक (tissue) बनने के कारण होता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि इस कैप्सूल के मोटे होने से कंधे कि गति में कमी आजाती है और “freezing”, यानि कंधे के जमने जैसा एहसास होता है।
इस सूजन या स्कैरे ऊतक के बनने का सटीक कारण तोह अज्ञात है, लेकिन कुछ मुख्य जोखिम और स्थितियाँ जो जो इसके होने कि संभावना बढ़ा सकती हैं, वो हैं:
- गतिहीनता: कंधे पे चोट लगने से, सर्जरी के कारण, या बाँह को सलिंग या प्लास्टर में रखने से, कन्धा गतिहीन होजाता है जो इस बीमारी का सबसे सामान्य जोखिम है।
- स्वास्थ्य स्थितियाँ: कुछ पुरानी बीमारियन जैसे डाईबेटिस, थाइरोइड, ह्रदय रोग, या पार्किंसंस रोग भी इस अवस्था की सम्भावना को बढ़ा देता है।
- आयु: ये अवस्था आमतौर पर 40 से 60 साल के लोगों को प्रभावित करती है।
- लिंग: इसकी सम्भावना पुरुषों कि तुलना में महिलाओं में ज़्यादा आम है।
फिज़्योथेरपी क्या है?
फिज़्योथेरपी (Physiotherapy), जिसे भौतिक चिकित्सा भी कहा जाता है, एक स्वास्थ्य सेवा पेशा है जो शारीरिक तरीकों जैसे व्यायाम, मालिश, और शारीरिक उत्तेजनाओं (गर्मी, ठंड, बिजली के करंट) का उपयोग करके चोटों, बीमारियों या विकलांगता के कारण होने वाली गति और कार्यक्षमता की समस्याओं का इलाज करता है।
फिज़्योथेरपी के लाभ
- दर्द से राहत: फिज़्योथेरपी तकनीकें, जैसे मैनुअल थेरेपी, व्यायाम और इलेक्ट्रोथेरेपी (TENS), सूजन को कम करने और पुराने या तीव्र दर्द से राहत दिलाने में मदद करती हैं, जिससे अक्सर ओपिओइड जैसी दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता कम हो जाती है।
- गतिशीलता और लचीलेपन में सुधार: लक्षित व्यायाम और स्ट्रेचिंग शरीर की गति की सीमा (range of motion) को बढ़ाते हैं, जकड़न कम करते हैं और दैनिक गतिविधियों को आसान बनाते हैं।
- सर्जरी से बचाव: कुछ मामलों में, यदि समस्या गंभीर नहीं है, तो फिज़्योथेरपी सर्जरी का एक गैर-आक्रामक विकल्प हो सकती है, जिससे दर्द का प्रबंधन किया जा सकता है और कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है।
- चोटों से शीघ्र रिकवरी: सर्जरी या चोट के बाद, फिज़्योथेरपी पुनर्वास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, उपचार को बढ़ावा देती है और सामान्य कार्य पर लौटने में मदद करती है।
- चोटों की रोकथाम: फिजियोथेरेपिस्ट उचित शारीरिक यांत्रिकी (body mechanics), आसन (posture) और एर्गोनॉमिक्स पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे भविष्य में होने वाली चोटों या उसी चोट के दोबारा होने के जोखिम को कम किया जा सकता है।
- पुरानी स्थितियों का प्रबंधन: गठिया, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को फिज़्योथेरपी के माध्यम से अपने लक्षणों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है।
- संतुलन और समन्वय में सुधार: वृद्ध वयस्कों में संतुलन में सुधार करने और गिरने के जोखिम को कम करने के लिए व्यायाम शामिल हो सकते हैं।
फ्रोज़न शोल्डर पर फिज़्योथेरपी का प्रभाव
आयुर्वेदिक दृष्टि से देखा जाये तो गतिशीलता वात दोष से सम्बंधित होती है। क्योंकि फ्रोज़न शोल्डर कि अवस्था वात दोष के असंतुलन से ही होती है, इसलिए आयुर्वेदा का यह मानना है कि जो भी उपचार गतिशीलता को सुधारने में मदद करें, वाह इस बीमारी के लिए लाभदायक है, जिसमें फिज़्योथेरपी भी शामिल है। आइए देखते हैं इसके क्या प्रभाव होते हैं:
- गतिशीलता बढ़ाना (Improves Mobility): फिज़्योथेरपी के स्ट्रेचिंग और गतिशीलता (range of motion) व्यायाम सीधे तौर पर वात के कारण होने वाली अकड़न को कम करते हैं। आयुर्वेद में भी नियमित, हल्के व्यायाम की सलाह दी जाती है ताकि गतिशीलता बनी रहे और स्थिति बिगड़ने से रोकी जा सके।
- संचलन में सुधार (Improves Circulation): व्यायाम और कुछ मैनुअल थेरेपी (मालिश) रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाती हैं। आयुर्वेदिक उपचार जैसे अभ्यंग (तेल मालिश) और स्वेदना (स्टीम थेरेपी) भी इसी सिद्धांत पर काम करते हैं, ऊतकों को पोषण देते हैं और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं।
- मांसपेशियों को मज़बूत करना: फिज़्योथेरपी प्रभावित क्षेत्र की मांसपेशियों को मज़बूत करने में मदद करती है, जो आयुर्वेद के ऊतक पोषण (धातु पोषण) के लक्ष्य के अनुरूप है।
क्या फिज़्योथेरपी ही काफ़ी है? फ्रोज़न शोल्डर के लिए आयुर्वेदिक उपचार
इसमें कोई दो राह नहीं की फिज़्योथेरपी फ्रोज़न शोल्डर के लिए बहुत लाभदायक है। लेकिन क्या यह काफ़ी है?
आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य बीमारी को समग्र रूप से ठीक करना होता है। फिज़्योथेरपी का संयोजन आयुर्वेद के उपचार में भी है, लेकिन उसके साथ-साथ, आयुर्वेदा खान पान और जीवनशैली के सुधार पर भी ध्यान देता है, जिससे समग्र और लम्बा आराम मिले।
आयुर्वेदिक उपचार
- मर्म चिकित्सा (Marma Therapy): कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मर्म बिंदुओं (महत्वपूर्ण ऊर्जा बिंदु) पर दबाव या उत्तेजना, जो एक प्रकार की शारीरिक चिकित्सा है, दर्द से गहरी राहत प्रदान कर सकती है और गतिशीलता बढ़ा सकती है।
- औषधीय तेलों का प्रयोग: फिज़्योथेरपी व्यायाम से पहले महानारायण तेल (Mahanarayan oil) जैसे औषधीय तेलों से मालिश (अभ्यंग) करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और अकड़न कम होती है।
- पंचकर्म थेरेपी: पिंड स्वेद (गर्म हर्बल सेक) या एलाकिझी (हर्बल पोटली मालिश) जैसी पंचकर्म थेरेपी सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती हैं, जिससे फिज़्योथेरपी व्यायाम करना आसान हो जाता है।
- आहार और जीवनशैली: आयुर्वेद वात को शांत करने वाले गर्म, हल्के आहार और हल्दी व अदरक जैसी जड़ी-बूटियों पर जोर देता है, जो शरीर के भीतर सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
फ्रोज़ेन शोल्डर एक ऐसी अवस्था है, जो धीरे-धीरे विकसित होती है और कंधे की गतिशीलता तथा दैनिक कार्यों पर गहरा प्रभाव डालती है। इसके तीनों चरण—फ्रीज़िंग, फ़्रोज़न और थॉइंग—अलग-अलग प्रकार के दर्द और अकड़न के साथ आते हैं, जिनके लिए उचित समय पर सही उपचार बेहद ज़रूरी है। फिज़्योथेरपी इस स्थिति में प्रमुख भूमिका निभाती है, क्योंकि यह दर्द कम करने, जकड़न घटाने और कंधे की गति को वापस लाने में अत्यंत प्रभावी है। वहीं आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से वात दोष के असंतुलन और अमा के जमाव को संतुलित करना भी आवश्यक माना जाता है। इसलिए मर्म चिकित्सा, औषधीय तेलों से अभ्यंग, पंचकर्म और उचित आहार–जीवनशैली अपनाने से उपचार की गति और बेहतर हो सकती है। समग्र रूप से, फिज़्योथेरपी और आयुर्वेदिक देखभाल का संयोजन न केवल राहत देता है बल्कि स्थायी सुधार भी सुनिश्चित करता है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ, सक्रिय और दर्दमुक्त जीवन की ओर लौट सकता है।
यदि आपको कोई भी लक्षण महसूस होता है, तुरंत जीवा आयुर्वेदा के विशेषज्ञ डॉक्टर्स से परामर्श लें।
FAQS
- फ्रोज़न शोल्डर क्या है और यह क्यों होता है?
फ्रोज़न शोल्डर (एडहेसिव कैप्सुलिटिस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें कंधे का जोड़ दर्दनाक और अकड़ा हुआ हो जाता है। यह तब होता है जब कंधे के कैप्सूल नामक ऊतक मोटे और सख्त हो जाते हैं। इसका सटीक कारण अक्सर अज्ञात होता है, लेकिन मधुमेह, थायराइड की समस्या और कंधे को लंबे समय तक स्थिर रखने (जैसे चोट के बाद) से इसका खतरा बढ़ जाता है।
- फ्रोज़न शोल्डर के मुख्य लक्षण क्या हैं?
मुख्य लक्षण हैं कंधे में लगातार दर्द (अक्सर रात में खराब होना) और हाथ को ऊपर उठाने या पीछे ले जाने में बहुत मुश्किल होना। यह बीमारी तीन चरणों में बढ़ती है: फ्रीजिंग (दर्द बढ़ता है), फ्रोज़न (अकड़न सबसे ज़्यादा होती है), और थॉइंग (धीरे-धीरे ठीक होना)।
- फ्रोज़न शोल्डर को ठीक होने में कितना समय लगता है?
यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है। बिना उपचार के, यह स्थिति 12 महीने से लेकर 3 साल तक चल सकती है। हालांकि, फिज़्योथेरपी और सही उपचार से रिकवरी का समय काफी कम हो सकता है।
- क्या फ्रोज़न शोल्डर के लिए फिज़्योथेरपी प्रभावी है?
हां, फिज़्योथेरपी फ्रोज़न शोल्डर के लिए सबसे प्रभावी और प्राथमिक उपचारों में से एक है। यह स्ट्रेचिंग, गतिशीलता अभ्यास और मज़बूतीकरण व्यायाम के माध्यम से दर्द को कम करती है और कंधे की गति की सीमा को बहाल करने में मदद करती है।
- क्या मैं घर पर ही व्यायाम करके इसे ठीक कर सकता हूँ?
आप घर पर व्यायाम कर सकते हैं, लेकिन हमेशा एक योग्य फिजियोथेरेपिस्ट के मार्गदर्शन में ही करें। गलत व्यायाम या बहुत जोर से स्ट्रेचिंग करने से स्थिति और खराब हो सकती है। फिजियोथेरेपिस्ट आपको बताएंगे कि कौन से व्यायाम सुरक्षित और प्रभावी हैं।
- आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से फ्रोज़न शोल्डर क्या है?
आयुर्वेद में इसे मुख्य रूप से "अवाबहुका" या "वात दोष" (विशेषकर व्यान वायु) के असंतुलन के कारण होने वाली बीमारी माना जाता है। वात दोष शरीर में गतिशीलता के लिए जिम्मेदार है, और इसके बिगड़ने से जोड़ों में सूखापन, अकड़न और दर्द होता है।
- आयुर्वेदिक उपचार और फिज़्योथेरपी को एक साथ कैसे उपयोग किया जा सकता है?
आयुर्वेदिक उपचार फिज़्योथेरपी का पूरक हो सकता है। औषधीय तेलों (जैसे महानारायण तेल) से मालिश (अभ्यंग) दर्द और सूजन को कम करती है, जिससे फिज़्योथेरपी के स्ट्रेचिंग व्यायाम आसान हो जाते हैं। पंचकर्म थेरेपी जैसे गर्म सेक भी प्रभावी हैं।
- मुझे डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट को कब दिखाना चाहिए?
यदि आपको कंधे में लगातार दर्द है, या यदि आप अपने हाथ को सामान्य रूप से हिलाने में असमर्थ हैं और यह स्थिति कुछ दिनों के भीतर ठीक नहीं हो रही है, तो तुरंत चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है ताकि सही निदान हो सके और उपचार शुरू किया जा सके।


























































































