भारत में मौखिक अल्सर या मुँह के छालों की समस्या काफी सामान्य है — उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में पाया गया कि भारतीय आबादी में लगभग 22 % व्यक्तियों ने यह समस्या अनुभव की थी। जब आप हर बार खाते, बोलते या मुस्कुराते समय मुँह के अंदर तीव्र दर्द महसूस करें, तो यह न केवल शारीरिक परेशानी होती है बल्कि रोज़मर्रा की सहज गतिविधियाँ भी बाधित होती हैं। गर्मियों के मौसम में पाचन संबंधी अस्वस्थता, शरीर में जल-घटता और पित्त दोष बढ़ने से यह समस्या अधिक हो जाती है।
ऐसे में आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है — क्योंकि यह अस्थायी राहत देने के बजाय समस्या के मूल कारणों को समझकर सहज, प्राकृतिक तरीके से समाधान देता है। इस लेख में आप जानेंगे कि मुँह के छालों का आयुर्वेदिक इलाज कैसे संभव है और किन आसान घरेलू नुस्खों से आप तुरंत राहत पा सकते हैं।
मुँह में छाले क्यों होते हैं? जानिए इसके मुख्य कारण
मुँह में छाले एक आम लेकिन बेहद परेशान करने वाली समस्या है। जब आप खाते या बोलते हैं तो यह दर्द इतना बढ़ जाता है कि रोज़मर्रा के काम भी मुश्किल लगने लगते हैं। ज़्यादातर लोग इसे मामूली समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन बार-बार छाले निकलना आपके शरीर के भीतर किसी असंतुलन का संकेत हो सकता है।
आइए जानें मुँह में छाले होने के प्रमुख कारण –
1. पेट की गर्मी और पाचन की गड़बड़ी
गर्मियों के मौसम में जब शरीर में गर्मी बढ़ जाती है, तो उसका असर पेट और मुँह दोनों पर दिखाई देता है। अगर आपका पेट ठीक से साफ नहीं होता या पाचन कमज़ोर रहता है, तो पेट में बनने वाली अतिरिक्त गर्मी मुँह तक पहुँच जाती है। इससे मुँह की नाज़ुक त्वचा में सूजन होकर छाले बनने लगते हैं।
2. डिहाइड्रेशन (पानी की कमी)
जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो मुँह सूखने लगता है और लार का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे मुँह के ऊतकों को पर्याप्त नमी नहीं मिलती और वे जल्दी जलन या फटने लगते हैं, जिससे छाले बन सकते हैं।
3. तनाव और नींद की कमी
आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में तनाव आम बात है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तनाव और नींद की कमी भी मुँह के छालों का बड़ा कारण बन सकती है। तनाव के दौरान शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है, जो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देता है। इससे मुँह की त्वचा संक्रमण के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो जाती है।
4. पोषक तत्वों की कमी
शरीर में विटामिन बी12, आयरन, और फोलिक एसिड की कमी होने पर भी छाले बार-बार निकल सकते हैं। इन पोषक तत्वों की कमी से मुँह की कोशिकाएँ कमज़ोर हो जाती हैं, जिससे उनमें जल्दी घाव बन जाते हैं।
5. तेल-मसालेदार और गरम भोजन का अधिक सेवन
बहुत ज़्यादा मसालेदार, तली हुई या गरम प्रकृति की चीज़ें खाने से शरीर में पित्त बढ़ता है। जब पित्त बढ़ता है, तो उसका असर मुँह की परत पर दिखता है — जिससे जलन और छाले बन जाते हैं।
6. गलती से मुँह में कट या चोट लगना
कभी-कभी गलती से गाल या होंठ काट लेने पर वहाँ घाव बन जाता है, जो धीरे-धीरे छाले में बदल सकता है। अगर यह बार-बार होता है, तो ध्यान देने की ज़रूरत है।
7. तंबाकू, धूम्रपान और शराब का सेवन
ये सभी आदतें शरीर में गर्मी और विषाक्त पदार्थ बढ़ाती हैं। इससे मुँह का वातावरण असंतुलित होता है और बार-बार छाले निकलने लगते हैं।
आयुर्वेद मुँह के छालों को कैसे समझता है?
आयुर्वेद के अनुसार, मुँह के छाले सिर्फ एक सतही समस्या नहीं हैं बल्कि यह शरीर के भीतर पित्त दोष और अग्नि (पाचन शक्ति) के असंतुलन का परिणाम हैं।
जब अग्नि यानी पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है, तो भोजन पूरी तरह नहीं पचता और आम (विषैले अपच पदार्थ) बनता है। यह आम रक्त में मिलकर शरीर के ऊतकों को दूषित करता है और मुँह जैसे संवेदनशील अंगों में सूजन या छाले पैदा करता है।
आयुर्वेद के अनुसार प्रमुख कारण:
- पित्त दोष का बढ़ना: गरम, खट्टा या तीखा भोजन, गुस्सा और धूप में ज़्यादा रहना पित्त को बढ़ाता है।
- अम्लीय प्रकृति का खान-पान: अत्यधिक खट्टे या नमकीन खाद्य पदार्थ खाने से भी छाले बनने की संभावना बढ़ जाती है।
- तनाव और अनियमित दिनचर्या: मानसिक तनाव भी दोषों का संतुलन बिगाड़ देता है।
- अस्वच्छ मुख या गलत आदतें: बार-बार गुटखा या पान चबाने से मुँह की आंतरिक त्वचा कमज़ोर पड़ जाती है।
पित्त संतुलन क्यों ज़रूरी है?
जब पित्त दोष संतुलित रहता है, तो शरीर में ठंडक और स्थिरता बनी रहती है। इससे मुँह, पेट और त्वचा जैसी जगहों पर सूजन या छाले नहीं बनते। इसलिए आयुर्वेद में मुँह के छालों के इलाज में पित्त को शांत करने वाली जड़ी-बूटियाँ, ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थ और शरीर से विषाक्त तत्व निकालने वाले उपचार सबसे प्रभावी माने जाते हैं।
आयुर्वेद यह भी कहता है कि अगर आप अपनी पाचन शक्ति को संतुलित रखें और पर्याप्त पानी पिएँ, तो छाले दोबारा नहीं लौटेंगे।
मुँह के छालों के लक्षण क्या होते हैं? कब लेना चाहिए इलाज?
मुँह के छाले अक्सर अचानक होते हैं, लेकिन उनके आने से पहले कुछ शुरुआती संकेत दिखाई दे सकते हैं। अगर आप इन संकेतों को पहचान लेंगे, तो समय रहते घरेलू या आयुर्वेदिक उपायों से राहत पा सकते हैं।
आम लक्षण:
- मुँह के अंदर गाल, जीभ, होंठ या मसूड़ों पर सफेद या पीले रंग के छोटे गोल छाले बनना
- छाले के आस-पास सूजन और लालिमा
- जलन या चुभन जैसी अनुभूति
- खाना, पीना या बोलना मुश्किल होना
- कभी-कभी हल्का बुखार या थकान महसूस होना
अक्सर ये छाले 4–7 दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
ऐसे मामलों में डॉक्टर या वैद्य से ज़रूर मिलें:
- अगर छाले 10 दिनों से ज़्यादा रहें
- छाले बार-बार निकलते हों
- उनमें खून आने लगे
- मुँह में बहुत अधिक जलन या दर्द हो
- बुखार, गले में सूजन या लिम्फ नोड्स (गर्दन की ग्रंथियाँ) में सूजन महसूस हो
ऐसे संकेत बताते हैं कि शरीर के अंदर गहराई में कोई असंतुलन है, जिसे केवल बाहरी उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता।
मुँह के छालों का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार, मुँह के छालों का इलाज केवल सतही स्तर पर नहीं, बल्कि उनके मूल कारण यानी पित्त दोष और कमज़ोर पाचन शक्ति (अग्नि) को ठीक करके किया जाता है। जब तक शरीर के भीतर की गर्मी शांत नहीं होती और पाचन सुधरता नहीं, तब तक छाले बार-बार लौट सकते हैं।
आयुर्वेदिक इलाज का मकसद है — शरीर को भीतर से ठंडक देना, रक्त और पाचन को शुद्ध करना, और मुँह के ऊतकों की प्राकृतिक मरम्मत में मदद करना।
आयुर्वेदिक तरीक़े जो मुँह के छालों में मदद करते हैं:
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कवला (गंडूष) या कुल्ला करना:
आयुर्वेद में कवला या गंडूष यानी औषधीय तेल या काढ़े से कुल्ला करने की सलाह दी जाती है। यह मुँह में मौजूद गर्मी और सूजन को शांत करता है।
- आप नारियल तेल या तिल तेल में थोड़ा हल्दी पाउडर मिलाकर रोज़ सुबह और रात कुल्ला कर सकते हैं।
- इससे मुँह की सफ़ाई होती है, बैक्टीरिया कम होते हैं और घाव जल्दी भरते हैं।
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औषधीय तेलों का उपयोग:
शीतल गुण वाले तेल जैसे नारियल तेल या घृत (गाय का घी) सीधे छालों पर लगाने से जलन कम होती है। ये त्वचा को नमी देते हैं और संक्रमण से बचाते हैं।
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औषधीय चूर्ण (पाउडर) और काढ़े:
कुछ आयुर्वेदिक चूर्ण और काढ़े मुँह के छालों के मूल कारणों को ठीक करते हैं –
- त्रिफला चूर्ण: रोज़ रात को एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेने से पाचन सुधरता है और शरीर से विषैले तत्व निकलते हैं।
- यष्टिमधु चूर्ण: यह मुँह की सूजन और दर्द कम करता है।
- गिलोय का काढ़ा: शरीर को ठंडक देता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
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शीतल आहार का सेवन:
आयुर्वेद में कहा गया है कि “अन्नं पित्तं शमयति” — यानी भोजन ही सबसे बड़ा उपचार है। इसलिए गरम, मसालेदार, या तले हुए भोजन से परहेज़ करें और दही, छाछ, मूंग की दाल, आँवला रस, नारियल पानी जैसे ठंडे और हल्के आहार लें।
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पित्त शांत करने वाली औषधियाँ:
आयुर्वेद में कुछ विशेष जड़ी-बूटियाँ हैं जो शरीर में पित्त को संतुलित करती हैं। इनसे ना केवल छालों में आराम मिलता है बल्कि वे दोबारा होने से भी बचाते हैं। इन जड़ी-बूटियों में गिलोय, आँवला, हल्दी, और यष्टिमधु प्रमुख हैं।
इन सब उपचारों से शरीर का संतुलन दोबारा स्थापित होता है और मुँह के छाले जड़ से ठीक हो जाते हैं।
मुँह के छालों के लिए कौन-कौन सी आयुर्वेदिक औषधियाँ और जड़ी-बूटियाँ असरदार हैं?
आयुर्वेद में कई ऐसी प्राकृतिक औषधियाँ बताई गई हैं जो बिना किसी साइड इफेक्ट के मुँह के छालों को जल्दी ठीक करती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं –
1. यष्टिमधु (मुलेठी):
मुलेठी में ग्लिसिर्रिज़िन नामक तत्व होता है, जो मुँह के घावों को भरने में मदद करता है।
- इसे पाउडर के रूप में पानी में मिलाकर कुल्ला करें या इसका लेप छाले पर लगाएँ।
- यह सूजन और दर्द दोनों को कम करता है।
2. आँवला (Indian Gooseberry):
आँवला शरीर में ठंडक बनाए रखता है और पित्त दोष को संतुलित करता है।
- रोज़ सुबह आँवला रस या आँवला पाउडर पानी में मिलाकर लेने से छाले जल्दी भरते हैं।
- इसमें मौजूद विटामिन C मुँह की कोशिकाओं को ठीक करने में मदद करता है।
3. हरिद्रा (हल्दी):
हल्दी में कर्क्यूमिन होता है, जो एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है।
- आप हल्दी पाउडर को नारियल तेल में मिलाकर छाले पर लगा सकते हैं।
- इससे संक्रमण नहीं फैलता और घाव जल्दी सूखता है।
4. गिलोय:
गिलोय को आयुर्वेद में “अमृत” कहा गया है। यह शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करती है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
- गिलोय का काढ़ा पीना या उसका रस लेना छालों में बहुत लाभदायक होता है।
5. त्रिफला:
तीन फलों (आँवला, हरितकी और बिभीतकी) से बनी त्रिफला शरीर को शुद्ध करती है।
- त्रिफला पाउडर को पानी में उबालकर ठंडा करें और उससे कुल्ला करें।
- इससे मुँह के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और सूजन कम होती है।
6. नारियल तेल:
नारियल तेल ठंडक देने वाला प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र है।
- इसे दिन में 2–3 बार छालों पर लगाने से जलन और दर्द में तुरंत राहत मिलती है।
7. फिटकरी (अलम):
फिटकरी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
- आधा चम्मच फिटकरी पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर कुल्ला करें।
- इससे दर्द और सूजन दोनों में आराम मिलेगा।
8. शहद:
शहद न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि प्राकृतिक हीलिंग एजेंट भी है।
- इसे सीधे छालों पर लगाने से संक्रमण रुकता है और घाव जल्दी भरता है।
9. दही:
दही प्रोबायोटिक है और पेट की गर्मी को शांत करता है।
- रोज़ाना ताज़ा दही खाने से पाचन सुधरता है और छाले दोबारा नहीं होते।
मुँह के छालों में कौन से घरेलू नुस्खे तुरंत राहत दे सकते हैं?
अगर आप हर बार दवा लेने के बजाय कुछ आसान और प्राकृतिक उपाय अपनाना चाहते हैं, तो ये घरेलू नुस्खे आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेंगे।
1. शहद लगाना:
शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण छालों को जल्दी भरने में मदद करते हैं।
- दिन में दो से तीन बार शहद को सीधे छाले पर लगाएँ और कुछ मिनट बाद मुँह धो लें।
2. फिटकरी का पानी से कुल्ला:
आधा चम्मच फिटकरी पाउडर एक कप पानी में मिलाएँ और दिन में दो बार कुल्ला करें।
- इससे दर्द और सूजन दोनों में राहत मिलती है।
3. नमक के पानी से गरारा:
एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच नमक डालें और उससे कुल्ला करें।
- यह मुँह को साफ रखता है और संक्रमण को फैलने से रोकता है।
4. नारियल तेल लगाना:
नारियल तेल में सूजन कम करने के गुण होते हैं।
- एक रुई के टुकड़े से तेल को छाले पर लगाएँ।
- दिन में तीन बार लगाने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है।
5. दही या छाछ का सेवन:
दही शरीर को ठंडक देता है और पाचन सुधारता है।
- भोजन के साथ दही या छाछ लेना पेट की गर्मी कम करता है और छालों को रोकता है।
6. एलोवेरा जेल:
एलोवेरा का ताज़ा जेल ठंडक देता है और मुँह की झिल्ली को शांत करता है।
- छाले पर सीधे जेल लगाएँ और कुछ मिनट बाद कुल्ला करें।
7. तुलसी का रस:
तुलसी प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल है।
- तुलसी की 4–5 पत्तियाँ चबाएँ या उसके रस से कुल्ला करें।
क्या आहार और जीवनशैली बदलने से मुँह के छाले दोबारा होने से रोके जा सकते हैं?
हाँ, बिल्कुल। मुँह के छाले बार-बार हों तो यह सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि आपकी आहार और जीवनशैली की गलतियों से भी जुड़ा हो सकता है। अगर आप कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें, तो यह समस्या दोबारा नहीं लौटेगी।
सबसे पहले समझिए कि मुँह के छाले का सीधा संबंध आपके पाचन, शरीर की गर्मी और तनाव से है। जब ये तीनों संतुलित रहते हैं, तो शरीर स्वाभाविक रूप से खुद को ठीक कर लेता है।
छाले दोबारा न हों, इसके लिए अपनाएँ ये आसान आदतें:
- मसालेदार और गरम भोजन से परहेज़ करें: बहुत तीखा, तला या गरम प्रकृति का खाना शरीर में पित्त बढ़ाता है। इसलिए ऐसे भोजन से दूरी बनाइए।
- ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थ खाएँ: दही, छाछ, नारियल पानी, खीरा, तरबूज़, आँवला और गिलोय जैसे आहार शरीर को ठंडक देते हैं और छालों की पुनरावृत्ति को रोकते हैं।
- पानी की पर्याप्त मात्रा लें: दिनभर में 7–8 गिलास पानी पीने की आदत डालें। डिहाइड्रेशन छालों का बड़ा कारण है।
- तनाव को नियंत्रित करें: ध्यान (Meditation), योग या हल्की साँस लेने की क्रियाएँ अपनाएँ। इससे मानसिक शांति बनी रहती है और शरीर का संतुलन सुधरता है।
- नींद पूरी लें: पर्याप्त नींद लेने से शरीर खुद की मरम्मत कर पाता है। नींद की कमी पित्त को बढ़ाती है और छाले जल्दी लौट सकते हैं।
- मुँह की सफाई का ध्यान रखें: रोज़ सुबह और रात को कुल्ला करें। आप गुनगुने पानी में हल्का नमक या फिटकरी मिलाकर कुल्ला कर सकते हैं।
- मौसमी फल और हरी सब्ज़ियाँ खाएँ: इनमें मौजूद विटामिन और मिनरल्स शरीर को मज़बूती देते हैं।
अगर आप इन सरल आदतों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें, तो न केवल मुँह के छाले दोबारा नहीं होंगे बल्कि आपका पाचन और त्वचा भी स्वस्थ रहेगी। आयुर्वेद भी यही कहता है — “दिनचर्या ही औषधि है।”
निष्कर्ष
मुँह के छाले छोटे दिखते हैं, लेकिन जब यह बार-बार होते हैं तो आपका खाना, बोलना और मन—तीनों प्रभावित हो जाते हैं। ज़्यादातर लोग इन्हें मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह शरीर के अंदर के असंतुलन का साफ़ संकेत होते हैं। अगर आप चाहें तो बिना किसी भारी दवा या साइड इफेक्ट के, केवल आयुर्वेदिक तरीक़ों और सही खानपान से इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।
आयुर्वेद सिखाता है कि शरीर का हर रोग भीतर से शुरू होता है और समाधान भी भीतर ही छिपा होता है — बस उसे समझने और अपनाने की ज़रूरत है। अगर आप अपने पाचन, आहार और जीवनशैली को संतुलित रखें, तो मुँह के छाले दोबारा लौटकर परेशान नहीं करेंगे।
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FAQs
- मुँह के छालों को जड़ से कैसे खत्म करें?
आप छालों को जड़ से मिटाना चाहते हैं तो पित्त को शांत करें, पाचन सुधारेँ और ठंडक देने वाले आहार लें। गिलोय, त्रिफला और आँवला इसमें बहुत असरदार हैं।
- मुँह के छालों का इलाज आयुर्वेद में कैसे करें?
आयुर्वेद में इसका इलाज पित्त दोष को संतुलित करके किया जाता है। गंडूष (तेल कुल्ला), त्रिफला चूर्ण, शहद और नारियल तेल से राहत मिलती है।
- मुँह के छालों से रातोंरात कैसे छुटकारा पाएँ?
रात को शहद या नारियल तेल लगाकर सोएँ, इससे सुबह तक जलन और दर्द में राहत मिलती है। साथ ही गुनगुने नमक पानी से कुल्ला करें।
- मुँह के छालों के लिए सबसे बढ़िया दवाई कौन सी है?
आयुर्वेद में यष्टिमधु चूर्ण, गिलोय रस और त्रिफला सबसे प्रभावी माने जाते हैं। ये छालों के साथ-साथ उनके कारण को भी ठीक करते हैं।
- क्या देसी घी मुँह के छालों को ठीक कर सकता है?
हाँ, देसी घी ठंडक देता है और सूजन कम करता है। इसे दिन में दो बार छाले पर लगाएँ, जलन तुरंत घटेगी।
- क्या विटामिन की कमी से भी मुँह में छाले होते हैं?
हाँ, विटामिन बी12, आयरन और फोलिक एसिड की कमी से छाले बार-बार निकल सकते हैं। संतुलित आहार लें और ज़रूरत हो तो सप्लीमेंट लें।
- क्या बार-बार छाले होना किसी बड़ी बीमारी का संकेत है?
कभी-कभी हाँ। अगर छाले दस दिनों से ज़्यादा रहें या बार-बार हों, तो यह पाचन या लिवर की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। वैद्य से परामर्श लें।
- क्या तनाव बढ़ने से भी मुँह में छाले निकलते हैं?
हाँ, तनाव शरीर के हार्मोन बिगाड़ देता है जिससे पित्त बढ़ता है। रोज़ योग, ध्यान या गहरी साँस लेने की आदत डालें।





















































































































