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जीवा आयुर्वेद का प्राकृतिक इलाज, आपके हार्मोन और
पीरियड्स की समस्या के लिए सुरक्षित और असरदार समाधान

गायनेकोलॉजी (स्त्री रोग) से जुड़ी समस्याओं का आयुर्वेदिक इलाज

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गायनेकोलॉजी (स्त्री रोग) से जुड़ी समस्याओं का आयुर्वेदिक इलाज

गायनेकोलॉजी (स्त्री रोग) से जुड़ी समस्याएँ क्या होती हैं? (What Are Gynaecology Issues?)

गायनेकोलॉजी यानी महिलाओं की प्रजनन प्रणाली से जुड़ी समस्याएँ। इसमें पीरियड्स की अनियमितता, दर्द, सफेद पानी आना, हार्मोनल गड़बड़ी, प्रजनन क्षमता में कमी, या मेनोपॉज़ के समय आने वाली दिक्कतें शामिल होती हैं। अगर आपको बार-बार यूरीन इंफेक्शन होता है, प्रेग्नेंसी में परेशानी आ रही है, या पीरियड्स बहुत ज़्यादा या बहुत कम हो रहे हैं, तो ये संकेत हो सकते हैं कि आपकी गायनेकोलॉजिकल हेल्थ पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, स्ट्रेस, खराब खानपान, देर से शादी और ज़्यादा बैठकर काम करने की आदत के कारण इन समस्याओं का बढ़ना आम हो गया है। PCOS, फाइब्रॉइड्स, एंडोमेट्रियोसिस और मेनोपॉज़ की दिक्कतें पहले के मुकाबले कहीं ज़्यादा महिलाओं को परेशान कर रही हैं और कम उम्र में ही।

आयुर्वेद मानता है कि इन समस्याओं की जड़ शरीर में बनने वाले विष (आम), पाचन शक्ति की कमज़ोरी, और वात, पित्त, कफ का असंतुलन है। जब आपकी जीवनशैली और खानपान गलत होता है, तो ये दोष आपके शरीर और विशेष रूप से योनि को प्रभावित करते हैं।

जीवा आयुर्वेद में, इलाज सिर्फ लक्षणों का नहीं होता बल्कि शरीर की जड़ से सफाई कर, हार्मोन को संतुलित किया जाता है और प्रजनन अंगों को पोषण दिया जाता है। यहाँ हर महिला के शरीर के अनुसार अलग इलाज, आहार और लाइफस्टाइल प्लान तैयार किया जाता है जिससे आपको अंदर से संपूर्ण और स्थायी राहत मिल सके।

जीवा में किन-किन स्त्री रोगों का आयुर्वेद से इलाज होता है? (Types of Gynaecology Issues Treated at Jiva)

जीवा आयुर्वेद में महिलाओं की सेहत से जुड़ी हर समस्या का गहराई से इलाज किया जाता है। चाहे वो पीरियड्स की दिक्कत हो, हार्मोनल बदलाव हो या गर्भधारण में परेशानी — हर समस्या के लिए यहाँ जड़ से समाधान दिया जाता है।

मुख्य स्त्री रोग और उनका आयुर्वेदिक इलाज

  • बांझपन (Infertility): गर्भधारण में कठिनाई; वात-पित्त-कफ संतुलन, पंचकर्म और प्रजनन अंगों को मज़बूत करने वाली औषधियों से इलाज।
  • यौन इच्छा में कमी (Frigidity): हार्मोनल असंतुलन या मानसिक तनाव के कारण; आहार, ध्यान और संतुलक औषधियाँ लाभदायक।
  • सफेद पानी आना (Leucorrhoea): आम, संक्रमण या हार्मोनल गड़बड़ी से; योनिप्रक्षालन और पाचन सुधारक दवाओं से राहत।
  • मासिक धर्म बंद होना (Menopause): वात-पित्त असंतुलन से चिड़चिड़ापन, हॉट फ्लैश; रसायन चिकित्सा और हर्बल संतुलक औषधियों से सुधार।
  • एडेनोमायोसिस (Adenomyosis): यूटेरस में सूजन और दर्द; विरेचन, उत्तरा बस्ती और वात-पित्त संतुलन से राहत।
  • एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): यूटेरस की लाइनिंग शरीर के बाहर फैलना; बस्ती और औषधीय उपचार से नियंत्रित।
  • मासिक धर्म में तेज़ दर्द (Dysmenorrhea): वात दोष बढ़ने से; गर्म तेल पट्टियाँ, योग और हर्ब्स से राहत।
  • PCOS (Polycystic Ovary Syndrome): अनियमित पीरियड्स और हार्मोन असंतुलन; पंचकर्म, व्यायाम और कफ शमन औषधियाँ।
  • योनि संक्रमण (Vaginal Infection): खुजली, जलन और सूजन; योनिप्रक्षालन और संक्रमणनाशक जड़ी-बूटियाँ।
  • योनि यीस्ट इन्फेक्शन (Vaginal Yeast Infection): फंगल संक्रमण से जलन और डिस्चार्ज; कफ शमन औषधियाँ और डिटॉक्स थेरेपी।
  • पेशाब में खून आना (Hematuria): पित्त दोष और रक्तदोष के कारण; रक्तशोधन और जीवनशैली सुधार से उपचार।
  • गर्भाशय में गाँठें (Uterine Fibroids): वात-कफ दोष से गाँठें; उत्तरा बस्ती और शोधन चिकित्सा से राहत।
  • अनचाहे बाल आना (Hirsutism): हार्मोनल असंतुलन के कारण; हार्मोन संतुलन और आहार सुधार से राहत।
  • अत्यधिक मासिक स्राव (Menorrhagia): पित्त और रक्त दोष से ब्लीडिंग; रक्तशुद्धि और पित्तशामक औषधियाँ।
  • मासिक धर्म का न आना (Amenorrhea): थायरॉइड, तनाव या वज़न गड़बड़ी से; वात शमन और पाचन सुधारक उपाय।

आयुर्वेद के अनुसार स्त्री रोगों की जड़ क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, स्त्री रोगों की शुरुआत तब होती है जब दोष (वात, पित्त, कफ) असंतुलित हो जाते हैं और शरीर में आम (विष) जमा होने लगता है। यही आम धीरे-धीरे शरीर की धातुओं — रक्त, रज, और शुक्ल — को प्रभावित करता है, जिससे प्रजनन प्रणाली कमजोर होती है।

वात दोष से अनियमित पीरियड्स, दर्द और बांझपन; पित्त दोष से अत्यधिक ब्लीडिंग और संक्रमण; और कफ दोष से फाइब्रॉइड्स या व्हाइट डिस्चार्ज जैसी समस्याएँ होती हैं। जीवा आयुर्वेद में विशेषज्ञ आपकी प्रकृति, बीमारी के स्तर और दोषों की स्थिति देखकर जड़ से उपचार करते हैं — पंचकर्म, हर्बल दवाएँ, आहार सुधार और योग के साथ।

आयुर्वेदिक इलाज के क्या फ़ायदे हैं?

  • 1. लक्षण नहीं, जड़ से इलाज: दोष असंतुलन और जीवनशैली गड़बड़ी को सही कर बीमारी की पुनरावृत्ति रोकना।
  • 2. सुरक्षित और बिना साइड इफेक्ट्स के: प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ शरीर के अनुकूल होती हैं और लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं।
  • 3. बेहतर इम्युनिटी और पाचन: शरीर को अंदर से मज़बूत कर हर अंग को सही पोषण देना।
  • 4. हर महिला के लिए व्यक्तिगत इलाज: प्रकृति, उम्र और बीमारी की गहराई के अनुसार व्यक्तिगत योजना।
  • 5. जीवन की गुणवत्ता में सुधार: हार्मोन संतुलन, मन की शांति और बेहतर ऊर्जा स्तर।

गायनेकोलॉजी समस्याओं में इस्तेमाल होने वाले आयुर्वेदिक इलाज और थैरेपी (Ayurvedic Treatment and Therapies Used)

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ (Herbs)

  • शतावरी: महिलाओं की प्रमुख टॉनिक, हार्मोन बैलेंस और प्रजनन स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ।
  • अशोक: अत्यधिक ब्लीडिंग और फाइब्रॉइड्स में असरदार।
  • गुडूची (गिलोय): संक्रमण और सूजन को कम कर इम्युनिटी बढ़ाती है।
  • यष्टिमधु (मुलेठी): हार्मोनल संतुलन और सूजन में उपयोगी।
  • कुमारी (घृतकुमारी): गर्भाशय को मज़बूत कर पीरियड्स नियमित करती है।
  • हल्दी, सौंफ, दालचीनी, लोध्र: योनि संक्रमण, सफेद स्राव और हॉर्मोनल सुधार में लाभदायक।

पंचकर्म और बाहरी थैरेपी (Panchakarma & External Therapies)

  • उत्तर बस्ती: गर्भाशय संबंधित रोगों और ट्यूबल ब्लॉकेज में प्रभावी।
  • वमन: कफ दोष शोधन — मोटापा और PCOS में लाभदायक।
  • विरेचन: पित्त दोष संतुलन और रक्त विकारों में उपयोगी।
  • बस्ती: वात दोष नियंत्रण — पीरियड्स दर्द और बांझपन में प्रभावी।
  • अभ्यंग: औषधीय तेल मालिश, रक्त प्रवाह और तनाव नियंत्रण।
  • योनि प्रक्षालन: हर्बल काढ़े से योनि की सफाई और संक्रमण नाशक प्रभाव।
  • शिरोधारा: मानसिक शांति और हार्मोनल संतुलन के लिए उपयोगी।

जीवा आयुनिक™ – हमारी इलाज की खास सोच

  • HACCP प्रमाणित दवाएँ: उच्च गुणवत्ता वाली सुरक्षित औषधियाँ जो हार्मोनल संतुलन बहाल करती हैं।
  • इलाज की निगरानी: हर चरण पर प्रगति ट्रैक कर सटीक सुधार सुनिश्चित किया जाता है।
  • व्यक्तिगत डाइट और दिनचर्या: शरीर की प्रकृति के अनुसार डाइट चार्ट और लाइफस्टाइल गाइडेंस।
  • योग और ध्यान: तनाव को घटाकर हॉर्मोनल सेहत में सुधार।

गायनेकोलॉजी से जुड़ी समस्याओं से राहत पाने के लिए 3 आसान कदम

  1. निःशुल्क परामर्श बुक करें: कॉल या वीडियो कंसल्टेशन के माध्यम से अपने लक्षण साझा करें।
  2. जानिए असली कारण: विशेषज्ञ आपकी प्रकृति और जीवनशैली के आधार पर रूट-कॉज़ डायग्नोसिस करते हैं।
  3. शुरू करें अपना व्यक्तिगत इलाज: हर्बल दवाओं, डाइट और योग के साथ प्राकृतिक उपचार प्रारंभ करें।

अब और देर न करें — अपनी सेहत की ज़िम्मेदारी आज ही लें

अगर आप लंबे समय से पीरियड्स की अनियमितता, PCOS या फाइब्रॉइड्स से जूझ रही हैं, तो जीवा आयुर्वेद से बेहतर समाधान नहीं। यहाँ इलाज सिर्फ बीमारी पर नहीं, बल्कि आपकी पूरी सेहत पर केंद्रित है।

चाहे आप घर बैठे फोन या वीडियो कॉल से परामर्श करना चाहें, या नज़दीकी क्लिनिक में जाकर डॉक्टर से मिलना — दोनों सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

अभी अपनी निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और स्वस्थ, संतुलित जीवन की ओर पहला कदम बढ़ाएँ।

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