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क्या बार-बार स्टेरॉइड क्रीम लगाए बिना राहत नहीं मिलती? Psoriasis में मूल कारण कैसे समझता है आयुर्वेद—जानें

Information By Dr. Arun Gupta

सोरायसिस की सबसे मुश्किल बात यह है कि यह अक्सर बिना चेतावनी के आपके सामने आ जाता है। एक दिन आपकी त्वचा बिल्कुल ठीक लगती है, और अगले ही दिन लाल धारियाँ, पपड़ी और खुजली आपको परेशान करने लगती है। आप क्रीम लगा लेते हैं, कुछ दिन सब शांत रहता है, और फिर अचानक वही दिक्कत वापस लौट आती है। यही अनिश्चितता सोरायसिस को इतना परेशानीभरा बनाती है।

अगर आप भी सोचते हैं कि इतनी बार लौट आने वाली इस समस्या को आखिर कैसे संभालें, तो आपको इसकी जड़ समझनी ज़रूरी है। सोरायसिस सिर्फ त्वचा पर दिखने वाले धब्बों का नाम नहीं है, यह आपके शरीर के भीतर चल रही असंतुलन की कहानी भी है। यही वजह है कि केवल क्रीम लगाने से राहत टिकती नहीं और आपको लगता है कि आप एक ऐसे चक्र में फँसे हुए हैं जिसका अंत नहीं दिखता।

इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि स्टेरॉइड क्रीम पर निर्भर रहना समाधान नहीं है, और आयुर्वेद किस तरह सोरायसिस को भीतर से समझकर उसे शांत करने का रास्ता दिखाता है।

सोरायसिस में बार-बार स्टेरॉइड क्रीम लगाने की ज़रूरत क्यों महसूस होती है?

जब आपको सोरायसिस होता है, तो सबसे पहले जो परेशानी आपको सताती है वह है तेज़ खुजली, लालपन, जलन और पपड़ीदार त्वचा। ऐसे में कोई भी तुरंत राहत चाहता है। डॉक्टर या केमिस्ट अक्सर आपको स्टेरॉइड क्रीम दे देते हैं, क्योंकि यह क्रीम कुछ ही दिनों में लालपन कम करती है, खुजली घटाती है और त्वचा को थोड़ी शांत दिखाती है। इस वजह से आपको लगता है कि यही इलाज है और इसी से आराम मिलेगा।

लेकिन दिक्कत यह है कि सोरायसिस एक गहराई वाली त्वचा-बीमारी है। इसकी जड़ें त्वचा के ऊपर नहीं, भीतर होती हैं — प्रतिरक्षा, पाचन, तनाव और जीवनशैली में। स्टेरॉइड क्रीम केवल त्वचा की ऊपर-ऊपर दिखने वाली सूजन पर असर डालती है। इसलिए जैसे ही आप क्रीम छोड़ते हैं, कुछ हफ्तों या महीनों के अंदर धब्बे फिर उभर आते हैं।

आप ऐसा क्यों महसूस करते हैं कि स्टेरॉइड क्रीम ही एकमात्र उपाय है? इसके कारण बिल्कुल साफ हैं:

  • यह तुरंत आराम देती है।

  • खुजली घटने से आपको लगता है कि बीमारी ठीक हो रही है।

  • लाल धब्बे हल्के होकर त्वचा साफ दिखने लगती है।

  • बाकी उपाय धीरे असर करते हैं, इसलिए आपको स्टेरॉइड ज़्यादा “काम करता हुआ” लगता है।

धीरे-धीरे आपका मन यह मानने लगता है कि बिना क्रीम लगाए चलना मुश्किल है। कई लोग तो इस क्रीम पर निर्भर हो जाते हैं और हर छोटा दाना आते ही इसे लगा लेते हैं। लेकिन वास्तविकता यह कि यह केवल एक “राहत देने वाला उपाय” है, जड़ से ठीक करने वाला नहीं।

सवाल यह नहीं कि स्टेरॉइड क्रीम काम करती है या नहीं। सवाल यह है — क्या यह बीमारी को स्थायी रूप से रोकती है? इसका जवाब है — नहीं।

स्टेरॉइड त्वचा की प्रतिक्रिया को अस्थायी रूप से दबा देते हैं, लेकिन बीमारी को रोकने वाला कोई काम नहीं करते। इसलिए आपको बार-बार इसकी ज़रूरत पड़ती है।

क्या स्टेरॉइड क्रीम सोरायसिस में सिर्फ ऊपर-ऊपर की राहत देती है?

हाँ, सोरायसिस में स्टेरॉइड क्रीम का असर बहुत सीमित होता है। यह केवल त्वचा की सतह पर दिख रही सूजन और लालपन को दबाती है। बीमारी के असली कारण — जैसे पाचन की कमज़ोरी, शरीर में जमा गंदगी, तनाव, प्रतिरक्षा का असंतुलन, और वात-कफ का बिगड़ना — इन पर क्रीम का कोई असर नहीं होता।

सोरायसिस खुद को बार-बार “फ्लेअर” करके दिखाता है। आप क्रीम लगाते हैं, कुछ दिन अच्छा महसूस करते हैं, और फिर अचानक वही खुजली, वही धब्बे, वही जलन। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि:

  • स्टेरॉइड त्वचा की गहराई में चल रही प्रक्रिया को नहीं रोकते।

  • यह बीमारी “अंदर” से पैदा होती है, बाहर से दबाना अस्थायी समाधान है।

  • बार-बार क्रीम लगाने से त्वचा पतली होने लगती है और अगले दौर में बीमारी और तेज़ दिख सकती है।

  • क्रीम लगाने से आपको लगता है सब ठीक हो गया, इसलिए आप मूल कारण सुधारने की कोशिश ही नहीं करते।

यानी क्रीम आपको केवल दिखने वाला आराम देती है, असली बीमारी वहीं की वहीं रहती है।

इसको एक आसान उदाहरण से समझिए: अगर घर की दीवार पर सीलन दिखे और आप सिर्फ पेंट कर दें, तो दीवार कुछ दिनों तक सुंदर दिखेगी। लेकिन अगर सीलन का असली कारण (पानी का रिसाव) नहीं रोका जाए, तो वही दाग वापस आ जाएगा।

सोरायसिस के साथ भी यही होता है।

सोरायसिस बार-बार क्यों उभर आता है और इसके पीछे असल कारण क्या है?

सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है जिसका असली कारण शरीर की सतह पर नहीं, भीतर होता है। यह कोई साधारण खुजली या त्वचा पर आया दाना नहीं है। यह शरीर की प्रतिरक्षा और पाचन से जुड़ा हुआ एक गहरा असंतुलन है। इसी वजह से यह बार-बार उभर आता है और लंबे समय तक रहता है।

नीचे वे मुख्य कारण दिए गए हैं जिनसे सोरायसिस वापस आता रहता है:

1. प्रतिरक्षा का असंतुलन

आपका शरीर कभी-कभी अपनी ही त्वचा की कोशिकाओं पर हमला करने लगता है। इससे नई त्वचा तेज़ी से बनने लगती है और पपड़ीदार धब्बे बनते हैं। जब तक यह असंतुलन ठीक नहीं होता, बीमारी लौटती रहती है।

2. पाचन की कमज़ोरी

कमज़ोर पाचन, शरीर में गंदगी का जमा होना, और पेट का असंतुलन सोरायसिस को बढ़ाते हैं। आयुर्वेद इसे “अग्नि की कमज़ोरी” और “आम के जमाव” से जोड़ता है। जब अंदर गंदगी बढ़ती है, तो शरीर इसे त्वचा के ज़रिये बाहर निकालने लगता है, जिससे धब्बे बनते हैं।

3. तनाव

अगर आपका तनाव लगातार बना रहता है, तो सोरायसिस कभी शांत नहीं रहता। तनाव शरीर की प्रतिरक्षा को असंतुलित कर देता है, जिससे बीमारी फटकर सामने आती है।

4. गलत खान-पान

बार-बार जंक खाना, तली-भुनी चीज़ें, पैक्ड खाना, शराब, धूम्रपान — ये सब शरीर में गर्मी और गंदगी बढ़ाते हैं। इससे बीमारी फिर से सक्रिय हो जाती है।

5. वात-कफ का असंतुलन

आयुर्वेद में सोरायसिस “किटिभ” जैसी अवस्था से जुड़ा माना जाता है, जिसका मुख्य कारण है — वात और कफ का गहरा असंतुलन। जब ये दोनों बिगड़ते हैं, तो त्वचा सूखी, पपड़ीदार और खुजलीदार हो जाती है।

6. मौसम में बदलाव

सर्दी का मौसम, त्वचा का सूखना, धूप की कमी — ये सब बीमारी को उभार सकते हैं।

7. लगातार स्टेरॉइड क्रीम पर निर्भरता

जब आप बार-बार स्टेरॉइड लगाते हैं, तो त्वचा कमज़ोर होती जाती है और अगली बार बीमारी पहले से ज़्यादा तेज़ दिख सकती है। यह निर्भरता एक चक्र बना देती है — राहत, वापसी, फिर राहत, फिर वापसी।

आयुर्वेद सोरायसिस को कैसे देखता है और इसमें वात-कफ असंतुलन की क्या भूमिका है?

आयुर्वेद में सोरायसिस को सिर्फ त्वचा की बीमारी नहीं माना जाता, बल्कि इसे शरीर के गहरे असंतुलन का संकेत माना जाता है। आयुर्वेद इसे प्राचीन ग्रंथों में बताए गए “किटिभ” और “कुष्ठ” जैसी अवस्थाओं से जोड़ता है। आयुर्वेद कहता है कि जब शरीर में वात और कफ दोनों मिलकर असंतुलित हो जाते हैं, तब त्वचा पर सूखापन, पपड़ी, खुजली और मोटे धब्बे बनने लगते हैं।

वात के बढ़ने से आपकी त्वचा सूखी, खुरदरी और फटने वाली हो जाती है। 

कफ के बढ़ने से मोटी परतें, सफेद पपड़ी और भारीपन आता है।

जब ये दोनों मिलकर बिगड़ते हैं, तो त्वचा पर उभरे हुए दाग, पपड़ी और लगातार खुजली जैसी स्थितियाँ बनती हैं। यही कारण है कि सोरायसिस में हर व्यक्ति एक जैसा नहीं दिखता — किसी में रूखी परतें ज़्यादा होती हैं, किसी में खुजली या जलन ज़्यादा, और किसी में लालपन।

आयुर्वेद यह भी मानता है कि यह बीमारी अचानक नहीं आती। इसका बीज शरीर में बहुत पहले लग चुका होता है — जब आपकी पाचन शक्ति कमज़ोर होती है, तनाव बढ़ता है, दिनचर्या बिगड़ती है, या गलत खान-पान शरीर में गंदगी जमा करता है। धीरे-धीरे यह गंदगी खून और त्वचा तक पहुँचकर सोरायसिस जैसे लक्षण दिखाती है।

इसलिए आयुर्वेद कहता है - अगर आप त्वचा की बीमारी को ठीक करना चाहते हैं, तो पहले आपके शरीर के दोष संतुलित होने चाहिए।

आयुर्वेद सोरायसिस के मूल कारण को कैसे पहचानता है?

आयुर्वेद में हर बीमारी की जड़ को समझना सबसे पहला कदम होता है। सोरायसिस में भी आयुर्वेद यही करता है — यह पहले यह पता लगाता है कि आपके शरीर में असंतुलन कहाँ से शुरू हुआ।

आयुर्वेद मूल कारण पहचानने के लिए इन बातों की जाँच करता है:

1. आपकी पाचन शक्ति

अगर आपका पाचन कमज़ोर है, गैस बनती है, खाने के बाद भारीपन रहता है, या कब्ज रहती है — तो आयुर्वेद इसे मुख्य कारण मानता है। कमज़ोर पाचन शरीर में “आम” बनाता है, जो खून में जाकर त्वचा पर धब्बों की वजह बनता है।

2. आपके दोषों का संतुलन

हर व्यक्ति का दोष अलग होता है। किसी में वात ज़्यादा बढ़ा होगा, किसी में कफ, किसी में दोनों।

  • वात बढ़े तो रूखापन, फटना, पतली परतें।

  • कफ बढ़े तो मोटी पपड़ी, भारीपन, सफेद परत।

आयुर्वेद रोग नहीं, रोगी को देखता है।

3. आपकी दिनचर्या

नींद देर से लेना, लंबे समय तक स्क्रीन देखना, भोजन का गलत समय, शारीरिक गतिविधि की कमी — यह सब दोषों को बिगाड़ते हैं। आयुर्वेद इसे सोरायसिस के बड़े कारणों में जोड़ता है।

4. आपका मानसिक तनाव

अगर आपका मन लगातार दबाव में है, तो शरीर की प्रतिरक्षा गड़बड़ा जाती है और बीमारी तेज़ हो जाती है। इसलिए आयुर्वेद मन और शरीर दोनों को एक साथ देखता है।

5. आपके खान-पान की आदतें

कुछ खाने की चीजें साथ खाने से शरीर में गड़बड़ी बनती है, इसे आयुर्वेद “विरुद्ध आहार” कहता है। जैसे दूध के साथ नमकीन, दही के साथ तले हुए खाद्य पदार्थ, ठंडी और गर्म चीजें एक साथ — यह सब शरीर में गंदगी बनाते हैं।

6. आपकी पुरानी आदतें

धूम्रपान, शराब, देर रात सोना, दिन में बार-बार नाश्ता, तली-भुनी चीजें — यह सब सोरायसिस को और बढ़ाते हैं।

7. आपकी त्वचा की प्रकृति

कई लोगों की त्वचा संवेदनशील होती है। आयुर्वेद देखता है कि किन हिस्सों में सूजन ज़्यादा है, किस तरह की पपड़ी बन रही है, और किन मौसमों में बीमारी बढ़ रही है।

सोरायसिस में कौन से घरेलु और प्राकृतिक उपाय आपको राहत दे सकते हैं?

अगर आपको सोरायसिस की शुरुआत है या आप अपने इलाज को और बेहतर बनाना चाहते हैं, तो कुछ प्राकृतिक और घरेलु उपाय आपको काफी राहत दे सकते हैं। ये उपाय शरीर को शांत करते हैं, त्वचा को मुलायम बनाते हैं और खुजली कम करते हैं।

आप इन आसान उपायों को अपनाकर रोज़-रोज़ की परेशानी में राहत पा सकते हैं:

  • नारियल तेल: रात को सोने से पहले हल्का नारियल तेल लगाएँ। इससे त्वचा नरम होती है और पपड़ी कम बनती है।

  • नीम का तेल: नीम स्वभाव से ठंडा और शुद्ध करने वाला होता है। किसी भी वाहक तेल में थोड़ा नीम मिलाकर लगाएँ, इससे जलन और सूजन कम होती है।

  • एलोवेरा जेल: एलोवेरा तुरंत ठंडक देता है और फटी, लाल त्वचा को आराम देता है।

  • हल्दी: हल्दी को त्वचा पर लेप बनाकर भी लगाया जाता है और भोजन में शामिल करने पर भी सूजन कम होती है।

  • जई का स्नान: अगर खुजली ज़्यादा हो तो जई को पीसकर गुनगुने पानी में डालें और नहाएँ, इससे त्वचा को काफी आराम मिलता है।

  • तिल का तेल: तिल का तेल वात को शांत करता है और सूखी त्वचा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

  • तनाव कम करने के उपाय: रोज़ गहरी साँसें, हल्का योग या टहलना आपके मन को शांत करता है और इससे सोरायसिस के दौरे कम होते हैं।

ये उपाय बीमारी को पूरी तरह मिटाते नहीं हैं, लेकिन आपकी रोज़मर्रा की परेशानी को काफी हद तक कम कर सकते हैं। अगर आप इन्हें इलाज के साथ जोड़ते हैं, तो आपका शरीर जल्दी सुधार दिखाता है।

Psoriasis में आयुर्वेदिक इलाज कब शुरू करना चाहिए और आप खुद घर पर क्या देखभाल करें?

बहुत लोग तब तक इंतज़ार करते रहते हैं जब तक बीमारी बहुत बढ़ न जाए। लेकिन सोरायसिस ऐसा रोग है जिसे जितनी जल्दी समझकर संभाला जाए, उतना ही आसान होता है उसे शांत रखना। आपको आयुर्वेदिक इलाज इन स्थितियों में ज़रूर अपनाना चाहिए:

  • अगर दाने बार-बार लौट आते हैं।

  • अगर क्रीम छोड़ते ही खुजली और धब्बे वापस आ जाते हैं।

  • अगर आपकी त्वचा लगातार फट रही है, खून निकलता है या दर्द होता है।

  • अगर तनाव, मौसम या खान-पान के बदलते ही बीमारी बढ़ जाती है।

  • अगर शरीर में भारीपन, कब्ज या पाचन की गड़बड़ी भी साथ में हो।

जब आप आयुर्वेदिक इलाज शुरू करते हैं, तो कुछ बातें ज़रूर ध्यान रखनी चाहिए:

1. भोजन सरल रखें

ताज़ा, हल्का और घर का बना खाना खाएँ। बहुत तली-भुनी, खट्टी और मसालेदार चीज़ें कम करें। भोजन का समय नियमित रखें ताकि शरीर को संतुलन मिले।

2. त्वचा को मुलायम रखें

रोज़ तेल लगाएँ ताकि रूखापन और खुजली न बढ़े। नहाने में बहुत गर्म पानी का प्रयोग न करें।

3. नींद पूरी लें

नींद शरीर को अंदर से पुनःस्थापित करती है। देर रात तक जागना सोरायसिस को बढ़ाता है।

4. तनाव संभालें

यह बीमारी तनाव से बहुत जुड़ी होती है। रोज़ कुछ मिनट गहरी साँसें लेना, हल्की टहलना या संगीत सुनना भी काफी फर्क लाता है।

5. खुद से क्रीम या दवा न बदलें

कई लोग खुद से क्रीम बढ़ा देते हैं या कम कर देते हैं। इससे त्वचा पर उल्टा असर पड़ सकता है। किसी भी बदलाव से पहले अपने वैद्य या विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।

6. धूप का संतुलित उपयोग करें

बहुत तीखी धूप से बचें, लेकिन हल्की धूप त्वचा को आराम दे सकती है। संतुलन सबसे ज़रूरी है।

निष्कर्ष

सोरायसिस आपके रोज़ के जीवन को जितना थका देता है, उतना ही यह आपको अंदर से कमज़ोर भी कर देता है। बार-बार होने वाला लालपन, खुजली और पपड़ी आपको यह महसूस कराते हैं कि शायद यह कभी शांत नहीं होगा। लेकिन जब आप बीमारी को सिर्फ त्वचा पर बनी परतों की तरह नहीं देखते, बल्कि उसके असली कारणों को समझते हैं, तभी राहत धीरे-धीरे टिकाऊ बनने लगती है।

आयुर्वेद का सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह आपकी पूरी प्रकृति, दिनचर्या, तनाव और पाचन—all को एक साथ समझकर काम करता है। इसलिए जब शरीर संतुलित होता है, तो दाने अपनी तीव्रता खोने लगते हैं और flare-up के बीच का समय बढ़ने लगता है। आप खुद महसूस करते हैं कि त्वचा पहले जैसी बेचैन नहीं रहती।

अगर आप सोरायसिस जैसी परेशानी या इससे जुड़ी किसी भी त्वचा-समस्या से जूझ रहे हैं, तो हमारे प्रमाणित जीवा वैद्यों से आज ही व्यक्तिगत परामर्श लें। कॉल करें: 0129-4264323

FAQs

  1. क्या आयुर्वेद में सोरायसिस का स्थायी इलाज किया जा सकता है?

आयुर्वेद सोरायसिस को उसकी जड़ तक समझकर शांत करता है। आपकी प्रकृति, आहार और पाचन के अनुसार इलाज मिलता है, जिससे लंबे समय की राहत संभव होती है।

  1. सोरायसिस ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

सोरायसिस तुरंत खत्म नहीं होता, लेकिन आप सही दिनचर्या, संतुलित भोजन, तनाव नियंत्रण और आयुर्वेदिक उपचार अपनाएँ, तो लक्षण जल्दी शांत होने लगते हैं।

  1. क्या सोरायसिस से मृत्यु हो सकती है?

सोरायसिस जानलेवा बीमारी नहीं है, पर यह आपकी त्वचा, जोड़ों और मानसिक स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित कर सकता है। समय पर इलाज आपको सुरक्षित और सहज रखता है।

  1. सोरायसिस के लिए कौन सी मालिश सबसे अच्छी है?

आपके लिए गर्म तेल से हल्की, शांत मालिश सबसे उपयुक्त रहती है। तिल या नारियल तेल से मालिश सूखापन और खुजली कम करने में मदद करती है।

  1. क्या मौसम बदलने से सोरायसिस अचानक बढ़ सकता है?

हाँ, ठंड, सूखापन या तेज़ गर्मी सोरायसिस को बढ़ा सकते हैं। मौसम बदलते समय त्वचा की नमी बनाए रखना और तेल लगाना आपको काफी राहत देता है।



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