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क्या घुटनों, कोहनियों और पीठ पर मोटे patches बनना Psoriasis का विशिष्ट लक्षण है? आयुर्वेदिक व्याख्या जानें

Information By Dr. Keshav Chauhan

कभी आपने महसूस किया है कि घुटनों या कोहनियों पर अचानक कोई मोटा, खुश्क या परतदार सा पैच बन गया है और आप सोचते रह गए हों कि यह आया कहाँ से? कई लोग शुरुआत में इसे साधारण रूखापन या मौसम का असर समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद जब पैच गाढ़ा होने लगता है, सफ़ेद परतें झड़ने लगती हैं या खुजली बढ़ जाती है, तब चिंता बढ़ती है।

अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है, तो आप अकेले नहीं हैं। बहुत से लोग ऐसे ही छोटे संकेतों को देखकर उलझन महसूस करते हैं कि आखिर यह क्या है—सूखापन, एलर्जी या कुछ और? यही सवाल सोरायसिस के मामलों में सबसे ज़्यादा उठता है। इस लेख में हम आपको समझने में मदद करेंगे कि घुटनों, कोहनियों और पीठ पर ये मोटे पैचेस क्यों बनते हैं, ये सोरायसिस से कैसे जुड़े होते हैं और आयुर्वेद इनके बारे में क्या कहता है।

आप जितना जल्दी इन संकेतों को पहचानेंगे, उतना ही आसान होगा अपनी त्वचा को राहत देना और आगे की परेशानी रोकना।

क्या घुटनों, कोहनियों और पीठ पर मोटे पैचेस सोरायसिस के लक्षण हैं?

जब आपको घुटनों, कोहनियों या पीठ पर मोटे, खुश्क और उभरे हुए दाने जैसे पैचेस दिखने लगते हैं, तो यह सोरायसिस का बहुत सामान्य संकेत हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके शरीर के ये हिस्से सबसे ज़्यादा दबाव झेलते हैं, लगातार रगड़ खाते हैं और बार-बार मुड़ते-तपते हैं। इन जगहों पर त्वचा मोटी होकर शरीर की सुरक्षा करती है, लेकिन जब सोरायसिस शुरू होता है, तो यह सामान्य सुरक्षा प्रतिक्रिया तेज़ होकर एक तरह की त्वचा-समस्या का रूप ले लेती है।

इन हिस्सों पर पैचेस अक्सर शुरुआत में छोटे होते हैं, पर धीरे-धीरे मोटे और फैलने लगते हैं। आपको लगेगा कि त्वचा सख्त हो रही है, उसकी सतह पर सफ़ेद या चांदी जैसी परतें दिखने लगती हैं और खुजली भी बढ़ जाती है। कई बार कोहनियों और घुटनों पर ये पैचेस कम दिखते हैं लेकिन पीठ पर अचानक बड़े आकार में उभर आते हैं, जिससे आप हैरान हो सकते हैं कि यह बदलाव कैसे हुआ।

इन पैचेस को हाथ से छूने पर आप महसूस करेंगे कि सतह खुरदरी है, परतें झड़ सकती हैं, और कभी-कभी हल्की जलन या खिंचाव जैसा एहसास होता है। अगर इन्हें समय पर संभाला न जाए, तो पैचेस मोटे होते जाते हैं और आपको आराम से कपड़े पहनने या बिना खुजली के बैठने-उठने में भी परेशानी हो सकती है।

आपको यह भी याद रखना चाहिए कि हर मोटा पैच सोरायसिस नहीं होता, लेकिन यदि यह कोहनियों, घुटनों या पीठ पर हो रहा है और लगातार बढ़ रहा है, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं है। यह वही जगहें हैं जहाँ सोरायसिस सबसे पहले दिखाई देना पसंद करता है, इसलिए इन संकेतों पर ध्यान देना ज़रूरी है।

सोरायसिस के मोटे और झड़ने वाले पैचेस को आप कैसे पहचान सकते हैं?

जब आप अपनी त्वचा पर होने वाले बदलावों को समझना सीख जाते हैं, तो सोरायसिस की शुरुआती पहचान बहुत आसान हो जाती है। कुछ संकेत ऐसे होते हैं जो इस स्थिति की ओर साफ़ इशारा करते हैं।

पहला संकेत – रंग में बदलाव 

सोरायसिस के पैचेस का रंग आपकी त्वचा की रंगत के अनुसार बदल सकता है। किसी के लिए यह लाल, किसी के लिए गहरा भूरा या हल्का बैंगनी भी दिख सकता है। रंग का यह फर्क बिल्कुल सामान्य है, पर हर स्थिति में पैचेस आसपास की त्वचा से अलग दिखाई देते हैं।

दूसरा संकेत – मोटापन 

ये पैचेस साधारण रैशेज़ की तरह नहीं होते। आप महसूस करेंगे कि त्वचा ऊपर उठी हुई है और मोटी परत जैसी बन गई है। यह मोटापन ही सोरायसिस की खास पहचान है।

तीसरा संकेत – परतें झड़ना 

पैचेस को देखने पर ऊपर सफ़ेद या हल्की चांदी जैसी परतें दिखेंगी, जो हल्के हाथ लगाने पर झड़ जाती हैं। कई लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ साधारण रूखापन है, लेकिन लगातार परतें झड़ना सोरायसिस का ही सामान्य लक्षण है।

चौथा संकेत – खुजली और जलन 

सोरायसिस के पैचेस में खुजली होती है, लेकिन यह हर समय नहीं होती। कभी-कभी अचानक बहुत तेज़ खुजली, जलन या खिंचाव जैसा एहसास होता है। यदि आप खुजली करते हैं, तो त्वचा फट सकती है और हल्का खून भी निकल सकता है।

पाँचवा संकेत – अलग-अलग व्यक्तियों में अलग लक्षण 

आपको ध्यान देना होगा कि सोरायसिस का असर हर व्यक्ति में एक जैसा नहीं होता। किसी को हल्के पैचेस होते हैं, किसी को मोटे। किसी में खुजली ज़्यादा होती है, किसी में बिल्कुल नहीं। यही वजह है कि कई बार लोग इसे सामान्य त्वचा-समस्या समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

यदि आपको ऊपर दिए गये संकेत अपने शरीर पर दिखाई दे रहे हैं, खासकर घुटनों, कोहनियों या पीठ पर, तो यह सोरायसिस का शुरुआती संकेत हो सकता है। समय रहते समझना और पहचानना हमेशा बेहतर रहता है।

क्या सिर्फ घुटनों और कोहनियों पर पैचेस आना ही सोरायसिस है, या इसके और भी प्रकार होते हैं?

बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि सोरायसिस केवल घुटनों और कोहनियों पर ही होता है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह त्वचा-समस्या कई अलग-अलग रूपों में दिखाई दे सकती है। घुटनों और कोहनियों पर मोटे पैचेस सिर्फ इसका सबसे आम लक्षण है, पर सोरायसिस के कई प्रकार ऐसे भी हैं जिनमें पैचेस अलग दिखते हैं या शरीर के अलग हिस्सों पर बनते हैं।

नीचे कुछ प्रमुख प्रकार सरल भाषा में समझे जा सकते हैं:

पहला प्रकार – पट्टिका सोरायसिस 

यह सबसे आम प्रकार है और इसमें वही मोटे, उभरे हुए, परतदार पैचेस होते हैं जिन्हें आप घुटनों, कोहनियों और पीठ पर देखते हैं। यह प्रकार आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि इसमें त्वचा मोटी हो जाती है और सफ़ेद या चांदी जैसी परतें झड़ती हैं।

दूसरा प्रकार – स्कैल्प वाला सोरायसिस 

यह सिर की त्वचा पर होता है। आपको सिर में मोटे, खुश्क और खुजली वाले पैचेस महसूस हो सकते हैं। यह सामान्य रूसी से अलग होता है, क्योंकि इसमें परतों की मोटाई और खुजली ज़्यादा होती है, और कभी-कभी बालों के बीच लाल निशान भी दिखते हैं।

तीसरा प्रकार – उल्टा सोरायसिस 

यह शरीर के मोड़ वाले हिस्सों में दिखाई देता है, जैसे बगलें, कमर का नीचे वाला हिस्सा, स्तनों के नीचे और जाँघों के बीच। इसमें पैचेस मोटे नहीं होते, बल्कि चमकदार, लाल और नर्म दिखाई देते हैं, क्योंकि इन हिस्सों में लगातार रगड़ होती है।

चौथा प्रकार – बूँद जैसा सोरायसिस 

यह ज़्यादातर बच्चों और युवाओं में देखा जाता है और छोटे-छोटे लाल या बैंगनी जैसे धब्बों की तरह दिखता है। यह अक्सर गले के संक्रमण के बाद उभर आता है।

पाँचवा प्रकार – पस भरा सोरायसिस 

यह हाथों और पैरों पर अधिक होता है। इसमें त्वचा पर छोटे-छोटे पस वाले दाने बनते हैं। यह प्रकार देखने में डरावना लग सकता है, पर यह संक्रमण नहीं होता।

छठा प्रकार – लाल-सिरा सोरायसिस 

यह सबसे दुर्लभ और गंभीर प्रकार है। इसमें लगभग पूरा शरीर लाल, संवेदनशील और परतदार हो जाता है। आपको लगेगा जैसे त्वचा जल गई हो या तेज़ लाल हो गई हो।

इन सभी प्रकारों में पैचेस का दिखना, उनकी मोटाई और दर्द अलग-अलग हो सकते हैं। घुटनों और कोहनियों वाले पैचेस खास तौर पर पट्टिका सोरायसिस में देखे जाते हैं, जबकि दूसरे प्रकारों में लक्षण अलग हो सकते हैं। इसलिए यदि आपके पैचेस सिर्फ इन जगहों तक सीमित नहीं हैं, फिर भी यह सोरायसिस हो सकता है। यही वजह है कि हर बदलाव को समझना और समय पर पहचानना आपके लिए ज़रूरी है।

सोरायसिस के पैचेस क्यों बिगड़ते हैं और आप इसे कैसे समझें?

सोरायसिस अचानक नहीं बढ़ता। इसके बढ़ने के पीछे कुछ खास कारण होते हैं जो आपकी त्वचा को और संवेदनशील बना देते हैं। अगर आप इन कारणों को समझ लेंगे, तो आप अपनी त्वचा को बेहतर तरीके से संभाल पाएँगे।

तनाव और चिंता 

जब आप लगातार तनाव में रहते हैं, तो शरीर की प्रतिरक्षा-क्रिया असंतुलित हो जाती है। इस वजह से सोरायसिस के पैचेस अचानक उभर सकते हैं या पहले से मौजूद पैचेस मोटे होने लगते हैं।

संक्रमण 

गले का संक्रमण, सर्दी-ज़ुकाम या त्वचा के छोटे-छोटे संक्रमण भी सोरायसिस को उभार सकते हैं। खासकर बूँद जैसा सोरायसिस अक्सर संक्रमण के बाद शुरू होता है।

मौसम का प्रभाव 

ठंडी और सूखी हवा आपकी त्वचा को और ज्यादा रूखा बना देती है। ऐसे मौसम में पैचेस और मोटे, लाल और संवेदनशील होने लगते हैं। बहुत गर्म मौसम में भी जलन हो सकती है।

चोट या खरोंच 

यदि आपकी त्वचा पहले से संवेदनशील है और उस पर कोई चोट, कट या खरोंच लग जाती है, तो उसी जगह सोरायसिस का नया पैच बन सकता है।

कुछ दवाओं का प्रभाव 

कुछ दवाएँ, खासकर वे जो रक्तचाप या मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोग होती हैं, कभी-कभी सोरायसिस को बढ़ा सकती हैं।

जीवनशैली के कारण 

बहुत कम नींद, धूम्रपान, शराब, असंतुलित आहार और शरीर की कम गतिविधि भी सोरायसिस के लक्षणों को बिगाड़ सकती है। अगर आप देर रात सोते हैं या रोज़ तनाव में रहते हैं, तो पैचेस बढ़ने की संभावना ज़्यादा होती है।

इन कारणों को समझकर आप अपने लिए सही देखभाल कर सकते हैं। अगर आप अपनी दिनचर्या में छोटे बदलाव करेंगे, तो पैचेस के बढ़ने की गति काफी कम हो सकती है।

बिना उपचार के सोरायसिस आपकी सेहत पर आगे चलकर क्या असर डाल सकता है?

अगर सोरायसिस को समय पर संभाला न जाए, तो यह सिर्फ त्वचा पर ही असर नहीं डालता। यह एक ऐसी समस्या है जो धीरे-धीरे शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। इसलिए इसे नज़रअंदाज़ करना आपके लिए ठीक नहीं है।

  • संधिवात जैसी समस्या: कई लोगों में सोरायसिस आगे चलकर संधिवात जैसा दर्द पैदा कर सकता है। इसमें जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न शुरू हो जाती है। अगर आप सुबह उठते ही उँगलियों या पैरों में जकड़न महसूस करते हैं, तो इसे हल्के में न लें।
  • मधुमेह और मोटापा: सोरायसिस में शरीर की प्रतिरक्षा-क्रिया लगातार सक्रिय रहती है, जिससे शरीर में सूजन बढ़ती है। यह सूजन धीरे-धीरे मधुमेह, वज़न बढ़ने और हार्मोन बिगड़ने जैसा असर भी डाल सकती है।
  • रक्तचाप और हृदय-सम्बंधी जोखिम: लंबे समय तक अनियंत्रित सोरायसिस हृदय और रक्तचाप पर भी असर डाल सकता है। आपको हाई रक्तचाप, कोलेस्टरॉल बढ़ने और हृदय से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य पर असर: निरंतर खुजली, दर्द, खुश्की और त्वचा पर दिखने वाले निशानों की वजह से कई लोग आत्मविश्वास की कमी और उदासी महसूस करने लगते हैं। आपको महसूस हो सकता है कि लोग आपके बारे में गलत धारणा बनाएँगे, जिससे मानसिक तनाव और बढ़ जाता है।

इन सभी जटिलताओं से बचने का सबसे सरल तरीका यही है कि आप लक्षणों को समय पर पहचानें, उन्हें नजरअंदाज़ न करें और उपचार की ओर कदम बढ़ाएँ। सोरायसिस सिर्फ त्वचा की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है। इसलिए इसे रोकना, समझना और संभालना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है।

आयुर्वेद में कौन-सी जड़ी-बूटियाँ सोरायसिस के मोटे पैचेस को शांत करने में मदद कर सकती हैं?

सोरायसिस में सही जड़ी-बूटियाँ आपकी त्वचा की जलन, खुश्की और सूजन को काफी हद तक शांत कर सकती हैं। आयुर्वेद में कई ऐसी प्राकृतिक औषधियाँ बताई गई हैं जिनका उपयोग वर्षों से त्वचा की देखभाल और रोगों में आराम दिलाने के लिए किया जाता है।

नीम 

नीम शरीर की गर्मी और सूजन को शांत करता है। यह रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा में जमा हुई अशुद्धियों को दूर करने में मदद करता है। जब आप नीम का उपयोग करते हैं, तो खुजली और जलन में राहत मिलती है और पैचेस शांत होने लगते हैं।

गुडूची 

गुडूची प्रतिरक्षा-शक्ति को संतुलित करने में बहुत प्रभावी होती है। सोरायसिस में शरीर की प्रतिरक्षा-क्रिया अत्यधिक सक्रिय होती है, लेकिन गुडूची इसे सामान्य रखने में सहायक होती है। इससे बार-बार परतें बनने की गति कम होती है।

हल्दी 

हल्दी अपने पीले रंग जितनी ही आपकी त्वचा के लिए लाभकारी है। यह सूजन को कम करती है, खुजली शांत करती है और त्वचा को अंदर से ठीक करने में मदद करती है। हल्दी की गर्म प्रकृति त्वचा में जमा आम को घटाने में भी सहायक होती है।

घृतकुमारी 

घृतकुमारी की ठंडी और मुलायम प्रकृति सोरायसिस में बहुत आराम देती है। यह त्वचा की नमी बढ़ाती है और खिंचाव व जलन कम करती है। पैचेस जो बहुत रूखे और मोटे हो जाते हैं, वे घृतकुमारी लगाने से काफी मुलायम महसूस होने लगते हैं।

अश्वगंधा 

अश्वगंधा तनाव और चिंता को कम करती है, जो सोरायसिस के प्रमुख कारणों में से एक हैं। जब तनाव कम होता है, तो सोरायसिस की जलन और उभार भी कम होने लगते हैं। यह शरीर की शक्ति और प्रतिरक्षा-क्रिया को संतुलित रखने में भी मदद करती है।

इन जड़ी-बूटियों का सही उपयोग आपकी स्थिति और शरीर के संतुलन के अनुसार तय किया जाता है। यह सिर्फ त्वचा पर दिखने वाले मोटे पैचेस को शांत नहीं करतीं, बल्कि अंदर से शरीर को वह ताकत देती हैं जिससे सोरायसिस दोबारा बढ़ने की संभावना कम हो सके।

निष्कर्ष

सोरायसिस को समझने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि आप अपनी त्वचा में होने वाले छोटे-छोटे बदलाव भी आसानी से पहचान पाते हैं। जब आप जानते हैं कि घुटनों, कोहनियों और पीठ पर बनने वाले मोटे पैचेस क्यों होते हैं, कौन-सी चीज़ें इन्हें बढ़ाती हैं और आयुर्वेद इन्हें किस तरह गहराई से समझता है, तो आप अपने लिए सही देखभाल चुन पाते हैं। त्वचा केवल बाहर दिखने वाली परत नहीं है, यह आपके मन, भोजन, आदतों और शरीर के भीतर चल रहे संतुलन का आईना है। छोटे कदम जैसे तनाव कम करना, सही आहार लेना, जड़ी-बूटियों का उपयोग और आवश्यक होने पर पंचकर्म करवाना, ये सब आपकी त्वचा को धीरे-धीरे शांत और मजबूत बनाते हैं।

अगर आप सोरायसिस या इससे जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं, तो अपनी तकलीफ़ को अनदेखा न करें। हमारे प्रमाणित जीवा चिकित्सकों से आज ही व्यक्तिगत परामर्श लें। कॉल करें: 0129-4264323

FAQs

  1. सोरायसिस के लक्षण क्या हैं?

आपको त्वचा पर रूखे धब्बे, हल्की जलन, परतें झड़ना, खिंचाव और कभी-कभी लालिमा दिखाई दे सकती है। लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं, इसलिए इन्हें नजरअंदाज़ न करें।

  1. घुटनों पर सोरायसिस क्यों होता है?

घुटने लगातार मुड़ते-तपते हैं और इन पर दबाव व रगड़ ज़्यादा होती है। इसी कारण सोरायसिस के पैचेस पहले इन्हीं जगहों पर उभर आते हैं और मोटे हो जाते हैं।

  1. सोरायसिस को आयुर्वेद में क्या कहते हैं?

आयुर्वेद में सोरायसिस को मुख्य रूप से त्वक-दोषज विकार माना जाता है, जो वात-कफ़ असंतुलन, आम की बढ़त और त्वचा नाड़ियों में रुकावट के कारण होता है।

  1. सोरायसिस किसकी वजह से होता है?

यह आपकी प्रतिरक्षा-क्रिया के असंतुलन, तनाव, मौसम, संक्रमण, आनुवंशिक कारणों और गलत आहार-जीवनशैली से शुरू हो सकता है। कई बार छोटे ट्रिगर्स भी अचानक उभार ला देते हैं।

  1. क्या सोरायसिस हमेशा खुजली करता है?

हर व्यक्ति में खुजली अलग होती है। किसी को हल्की जलन रहती है, किसी को बिल्कुल नहीं होती। पैचेस मोटे होने पर खुजली बढ़ सकती है, इसलिए समय पर देखभाल ज़रूरी है।

  1. क्या सोरायसिस संक्रामक होता है?

नहीं, यह एक भी व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता। आप किसी के साथ बैठें, खाएँ या छूएँ तो इससे संक्रमण नहीं होता। यह शरीर के भीतर के असंतुलन से जुड़ा रोग है।

  1. क्या सोरायसिस में घरेलू तेल लगाना सही है?

सभी तेल हर व्यक्ति को सूट नहीं करते। कुछ से राहत मिलती है, कुछ से जलन बढ़ सकती है। अपनी त्वचा की प्रकृति के अनुसार तेल चुनना बेहतर रहता है।

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